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Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 4

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series

जिस दिन कर्नल साहब की औपचारिक रूप से सुनील और उसकी पत्नी सुनीता से पहली बार सुनील और सुनीता के घर में मुलाक़ात हुई और कर्नल साहब का पहले गरम और बाद में सुनीता को देख कर नरम होना हुआ.

उस रात को सुनील ने अपनी पत्नी सुनीता को हलके फुल्के लहजे में कहा, “लगता है, कर्नल साहब पर तुम्हारा जादू चल गया है। आज तो तुम्हें वह बड़े घूर घूर कर देख रहे थे। तुम भी तो कर्नल साहब को देख कर चालु हो गयी थी! कहीं तुम भी तो?…”

सुनीता हँस कर नकली गुस्से में सुनील की छाती पर हल्का सा घूँसा मार कर बोली, “धत्त! क्या पागलों जैसी बात कर रहे हो। ऐसी कोई बात नहीं है। कर्नल साहब हमारे पडोसी हैं। अगर मैं इतनी लम्बी और मोटी उनके सामने बैठूंगी या खड़ी रहूंगी, तो उनको मेरे अलावा कुछ दिखाई भी तो नहीं देगा। तब तो वह मुझे ही देखेंगे ना? तुम ना हर बार कुछ ना कुछ उलटा पुल्टा सोचते रहते हो। तुम्हें हमेशा कोई ना कोई नयी शरारत सूझती रहती है। वह बड़े चुस्त और तंदुरस्त हैं। रोज सुबह वह कैसी दौड़ लगाते हैं? और तुम? देखो तुम्हारी यह तोंद कैसी निकली हुई है? ज़रा कर्नल साहब से कुछ सीखो।”

सुनील ने महसूस किया की उसकी बीबी सुनीता भी कर्नल साहब के तेज तर्रार व्यक्तित्व और कसरत के कारण सुगठित बदन से काफी प्रभावित लग रही थी।

कुछ देर बाद सुनीता ने पूछ ही लिया, “कर्नल साहब क्या करते हैं?”

सुनील ने कहा, “आर्मी में कर्नल हैं। बड़े ही सुसम्मानित अफसर हैं। उनको कई बड़े सम्मानों से नवाजा गया है। कहते हैं की लड़ाई में वह अपनी जान पर खेल जाते हैं। कई बार उन्होंने युद्ध में अकेले ही बड़ी से बड़ी चुनौतियों का मुकाबला किया है। कई मैडल उन्होंने इतनी कम उम्र में ही पा लिए हैं। जल्द ही हमें अब उनके घर जाना ही होगा। बाकी सब अगली बार उनसे मिलते ही या तो तुम उनसे सीधे ही पूछ लेना या फिर मैं उनको पूछ कर तुम्हें बता दूंगा।”

सुनीता अपने पति की बात सुनकर थोड़ी सकपका गयी और बोली, “ऐसी कोई बात नहीं। मैं तो वैसे ही पूछ रही थी।”

वैसे ही आते जाते जब भी कभी सुनील से मुलाकात होती तो कर्नल साहब उसे बड़े ही अंतरंग भाव से अपने घर आने का न्योता देना ना चूकते।

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एक रात को सुनील ने सुनीता से कहा, “आज कर्नल साहब मिले थे। पहले उन्होंने कई बार मुझे तुम्हारे साथ उनके घर आने के लिए आग्रह किया था। पर आज तो वह अड़ ही गए। उन्होंने कहा की अगर हम उनके घर नहीं गए तो वह नाराज हो जाएंगे।”

सुनीता ने कहा, “हाँ, आज ज्योति जी भी मुझे मार्किट में मिली थीं। वह मुझे बड़ा आग्रह कर रही थी की हम उनके घर जाएँ। मुझे लगता है की अब हमें उनके घर जल्द ही जाना चाहिए।”

सुनील और सुनीता ने कर्नल साहब को फ़ोन कर अगले शुक्रवार की शाम उनके वहाँ पहुँच ने का प्रोग्राम बनाया। उनके पहुँचते ही कर्नल साहब ने व्हिस्की, रम, जिन, बियर इत्यादि पेय पेश किये, जबकि उनकी पत्नी ज्योति ने साथ साथ कुछ हलके फुल्के नमकीन आदि पहले से ही सजा के रखे हुए थे।

कर्नल साहब और अपने पति सुनील के आग्रह के बावजूद, सुनीता ने कोई भी कड़क पेय लेने से साफ़ मना कर दिया। हालांकि वह कभी कभी बियर पी लेती थी।

सुनील ने देखा की कर्नल साहब को यह अच्छा नहीं लगा पर वह चुप रहे। कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने सब का मन रखने के लिए एक ग्लास में बियर डाला। कर्नल साहब और सुनील ने व्हिस्की के गिलास भरे।

जब प्राथमिक औपचारिक बातें हो गयीं तब सुनीता के बार बार पूछने पर कर्नल साहब ने बताया की वह आतंकी सुरक्षाबल में कमांडो ग्रुप में कर्नल थे। उन्होंने कई बार युद्ध मैं शौर्य प्रदर्शन किया था जिसके कारण उन्हें कई मेडल्स मिले थे।

सुनील की पत्नी सुनीता के पिताजी भी आर्मी में थे और आर्मी वालों को सुनीता बड़े सम्मान से देखती थी। सुनीता की यह शिकायत हमेशा रही की वह आर्मी में भर्ती होना चाहती थी पर उन दिनों आर्मी में महिलाओं की भर्ती नहीं होती थी। उसे देश सेवा की बड़ी लगन थी और वह एन.सी.सी. में कडेट रह चुकी थी। जाहिर है उसे आर्मी के बारे में बहोत ज्यादा उत्सुकता और जिज्ञाषा रहती थी।

जब सुनीता बड़ी उत्सुकता से कर्नल साहब को उनके मेडल्स के बारे में पूछने लगी तो कर्नल साहब ने खड़े होकर बड़े गर्व के साथ एक के बाद एक उन्हें कौन सा मैडल कब मिला था और कौन से जंग में वह कैसे लड़े थे और उन्हें कहाँ कहाँ घाव लगे थे, उसकी कहानियां जब सुनाई तो सुनीता की आँखों में से आंसू झलक उठे।

कर्नल साहब भी युद्ध के उनके अनुभव के बारेमें सुनीता को विस्तार से बताने लगे। आधुनिक युद्ध कैसे लड़ा जाता है और पुराने जमाने के मुकाबले नयी तकनीक और उपकरण कैसे इस्तेमाल होते हैं वह कर्नल साहब ने सुनील की पत्नी सुनीता को भली भाँती समझाया।

सुनीता के मन में कई प्रश्न थे जो एक के बाद एक वह कर्नल साहब को पूछने लगी। कर्नल साहब भी सारे प्रश्नों का बड़े धैर्य, गंभीरता और ध्यान से जवाब दे रहे थे।

उस शाम सुनील ने महसूस किया की उसकी पत्नी सुनीता कर्नल साहब के शौर्य और वीरता की कायल हो गयी थी।

काफी देर तक कर्नल साहब की पत्नी ज्योति और सुनील चुपचाप सुनीता और कर्नल साहब की बातें सुनते रहे। कुछ देर बाद सुनील जब बोर होने लगा तो उसने कर्नल साहब की पत्नी ज्योति से पूछा, “ज्योति जी, आप क्या करती हैं?”

ज्योति ने बताया की वह भी आर्मी अफसर की बेटी हैं और अब वह आर्मी पब्लिक स्कूल में सामाजिक विज्ञान (पोलिटिकल साइंस) पढ़ाती हैं।

बात करते करते सुनील को पता चला की कर्नल साहब की बीबी ज्योति ने राजकीय विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है और वह राजकीय मसलों पर काफी कुछ पढ़ती रहती हैं।

ज्योति बोलने में कुछ शर्मिलि थीं। सुनील की बीबी सुनीता की तरह वह ज्यादा नहीं बोलती थी। पर दिमाग की वह बड़ी कुशाग्र थी। उनकी राजकीय समझ बड़ी तेज थी।

सुनील की पत्नी सुनीता और कर्नल साहब आर्मी की बातों में व्यस्त हो गए तो सुनील और ज्योति अपनी बातों में जुट गए।

ज्योति के बदन की सुकोमल और चिकनी त्वचा देखने में बड़ी आकर्षक थी। उसका बदन और खासकर चेहरा जैसी शीशे का बना हो ऐसे पारदर्शक सा लगता था। उसका चेहरा एक बालक के सामान था। वह अक्सर ब्यूटी पार्लर जाती थी जिसके कारण उसकी आँखों की भौंहें तेज कटार के सामान नुकीली थीं। उसके शरीर का हर अंग ना तो पतला था और ना ही मोटा। हर कोने से वह पूरी तरह सुआकार थी। उसके स्तन बड़े और फुले हुए थे। उसकी गाँड़ की गोलाई और घुमाव खूबसूरत थी।

सुनील को उसके होँठ बड़े ही रसीले लगे। सुनील को ऐसा लगा जैसे उन में से हरदम रस बहता रहता हो। उससे भी कहीं ज्यादा कटीली थी ज्योति की नशीली आँखें। उन्हें देखते ही ऐसा लगता था जैसे वह आमंत्रण दे रही हों।

सुनील और कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने जब राजकीय बातें शुरू की तो सुनील को पता चला की वह राजकीय हालात से भली भाँती वाकिफ थीं।

बात करते हुए ज्योति ने कहा की वह काफी समय से सुनील से मिलने के लिए बड़ी उत्सुक थी। उसने सुनील की पत्नी सुनीता से सुनील के बारे में सुना था। ज्योति ने सुनील के कई लेख पढ़े थे और वह सुनील की लिखनी से काफी प्रभावित थी।

जब सुनील ने ज्योति से बात शुरू की तब उसे पता चला की बाहर से एकदम गंभीर, संकोचशील और अमिलनसार दिखने वाली ज्योति वाकई में काफी बोल लेती थी और कभी कभी मजाक भी कर लेती थी।

जब उन्होंने पोलिटिकल विज्ञान और इतिहास की बातें शुरू की तो ज्योति अचानक वाचाल सी हो गयी। सुनील को ऐसा भी लगा की शायद अपने पति कर्नल साहब के प्रति उनके मन में कुछ रंजिश सी भी है।

सुनील ने मन ही मन तय किया की वह जल्द ही पता करेगा की उन दोनों में रंजिश का क्या कारण हो सकता था।

समय बीतता ही गया पर कर्नल साहब और सुनील की पत्नी सुनीता को जैसे समय का कोई पता ही नहीं था। कर्नल साहब की बातें ख़तम होने का नाम नहीं ले रही थीं और सुनीता एक के बाद एक बड़ी ही उत्सुकता से प्रश्न पूछ कर उनको गजब का प्रोत्साहन दे रही थी।

इधर सुनील और ज्योति की बातें जल्द ही ख़त्म हो गयीं। सुनील अपनी घडी को और देखने लगा तब ज्योति ने एक बात कही जिससे शायद ज्योति की रंजिश के बारे में सुनील को कुछ अंदाज हुआ।

कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने कहा, “इनका (कर्नल साहब का) व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा अनोखा है की कोई भी सुन्दर स्त्री से यह जब बात करने लगते हैं तब उनकी बातें ख़तम ही नहीं होतीं। और जब कोई सुन्दर स्त्री उनसे बात करने लगती है तो वह स्त्री भी उनसे सवाल पूछते थकती नहीं है। इनकी बातें ही इतनी रसीली और नशीली होती हैं की बस।”

सुनील कर्नल साहब की बीबी ज्योति की बात सुनकर समझ नहीं पाया की ज्योति अपने पति की तारीफ़ कर रही थी या शिकायत।

जाहिर है की पत्नी कितनी ही समझदार क्यों ना हो, कहीं ना कहीं जब किसी और औरत के साथ अपने पति के जुड़ने की बात आती है तो वह थोड़ा नकारात्मक तो हो ही जाती है।

उनकी बात सुनकर सुनील हँस पड़ा और बोला, “देखिये ना ज्योति जी, हम दोनों भी तो काफी समय से बातचीत में इतने तल्लीन थे की समय का कोई ध्यान ही नहीं रहा। मैं भी आपके पति जैसा ही हूँ। बस एक फर्क है। आप जैसी खूबसूरत और सेक्सी औरत को देखकर मैं भी बोलता ही जा रहा हूँ। पर क्या इसमें मेरा कसूर है? कौन भला आपकी और आकर्षित नहीं होगा? मैं भी तो अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहा हूँ।”

फिर थोड़ा रुक कर सुनील ने कहा, “ज्योति जी मेरी बात का कहीं आप बुरा तो नहीं मानेंगे ना?”

ज्योति ने सुनील की और शर्माते हुए तिरछी नज़रों से देखा और मुस्कुरायी और बोली, “वाह रे सुनील साहब! आप ने तो एक ही वाक्य में मुझे बहुत कुछ कह दिया! पहले तो आप ने बातों बातों में ही अपनी तुलना मेरे पति के साथ कर दी। फिर आपने मुझे सेक्सी भी कह डाला। और आखिर में आप ने यह भी कह दिया की आप मेरी और आकर्षित हैं…

पर ज़रा ध्यान रखिये। आप कांटो की राह पर मत चलिए, कहीं पाँव में कांटें न चुभ जाएँ। आपका मुझे पता नहीं पर मेरे पति को आप नहीं जानते। वह इतने रोमांटिक हैं की अच्छी से अच्छी औरतें भी उनकी बातों में आ जाती हैं। देखिये कहीं आपकी पत्नी उनके चक्कर में ना फँसे।”

सुनील जोर से हँस पड़ा। उसने पट से जवाब दिया, “मुझे कोई चिंता नहीं है ज्योति जी। पहले तो मैं मेरी पत्नी को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ। वह ऐसे ही किसी की बातों में फँसने वाली नहीं है। दूसरे अगर मान भी लिया जाए की ऐसा कुछ हो सकता है तो आप हैं ना मेरा बीमा। अगर उन्होंने मेरी पत्नी को फाँस दिया तो वह कहाँ बचेंगे?” इतना कह कर सुनील चुप हो गया।

ज्योति सुनील की बात जरूर समझ गयी होंगी, पर कुछ न बोली।

पढ़ते रहिये, क्योकि यह कहानी अभी जारी रहेगी..

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