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Drishyam, ek chudai ki kahani-31

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

अर्जुन ने कहा, “नेट पर तो विदेशियों की तस्वीरें ज्यादा आती हैं, पर मैं तो तुम्हें देसी हमारे जैसे कुछ आम लोगों के लण्डों की तस्वीर दिखाता हूँ। यह देखो।”

आरती ने जब अर्जुन ने दिखाई हुई पहली तस्वीर देखि तो उसकी आँखें फ़टी की फ़टी ही रह गयीं। उसको तो जैसे चक्कर से आने लगे। एक देसी भारतीय लंबा पतला आदमी नंगा खड़ा हुआ था। उसका लण्ड उसके बदन से ऐसे बाहर निकला हुआ था जैसे सख्त लोहे का लंबा गोल चौड़ा सीधा पाइप उस मर्द की टाँगों के बिच में चिपका दिया गया हो। आरती कुछ घबराती डरी हुई दबी आवाज में बोली, “क्या ऐसे वास्तव में भी होते हैं? मैंने तो सोचा था यह सब कैमरा ट्रिक होंगी।”

“अरे नहीं रे बाबा। यह सब सच है। क्या तुम्हें लगता है यह सब सच नहीं है?” अर्जुन ने पूछा।

“मुझे क्या खबर बाबा? मैंने थोड़े ही यह सब पहले देखा है? तुम मर्द लोग ना बड़े बेशरम हो। पता नहीं क्या क्या यह सब देखते रहते हो।” आरती ने आँखें मूँद कर डर जाने का ढोंग करते हुए कहा।

“अच्छा? हम मर्द ही यह सब देखते हैं क्या? लडकियां, औरतें यह सब नहीं देखतीं क्या? तुमने ही तो अभी अभी कहा की तुम्हारी भाभी ने तुम्हें यह सब पहली बार दिखाया था?”

आरती अर्जुन के गले लिपट कर बोली, “यह सब मुझे मत दिखाओ। एक तो तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं और दूसरे तुम मुझे यह सब दिखा कर यूँ पागल कर रहे हो। देखो यह सब देख कर मैं पागल सी हो जाती हूँ। मेरा तुमसे करवाने का बहुत मन करने लगता है। मेरी उसमें में पता नहीं क्या क्या हो जाता है। ऐसा मत दिखाओ मुझे प्लीज! अगर मुझे ऐसा देखने की आदत हो गयी ना, तो फिर तुम बाहर टूर पर कहीं चले गए तो मैं कहाँ जाउंगी?”

अर्जुन ने आरती के ब्लाउज के बटन खोल कर ब्रा की पट्टी खोल आरती के मस्त स्तनोँ को दबाते हुए और उसकी निप्पलों को अपनी उँगलियों में पिचकते हुए कहा, “अरे डार्लिंग, मैं अभी तो यहाँ हूँ ना? आज मैं भी पागल हो रहा हूँ। आज मैं तुम्हारी बढ़िया चुदाई करूंगा।”

आरती ने अपने पति के पायजामे का नाडा खोल दिया। अर्जुन ने फट से अपनी निक्कर निकाल फेंकी और अपनी बीबी को उठा कर बैडरूम में पलंग पर लिटा दिया। आरती की ब्रा और पैंटी निकाल अर्जुन अपनी बीबी को नंगी लेटी हुई देखता ही रहा।

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आरती ने अर्जुन को उसे नंगी देखते हुए पाया तो कुछ शर्मा गयी और बोली, “क्या देख रहे हो? अब तो मैं तुम्हारी बीबी हूँ और तुम मुझे पता नहीं सैंकड़ों बार नंगी देख चुके हो। ऐसा क्या है मुझमें?”

अर्जुन ने कुछ झेंपते हुए कहा, “मैं जब भी तुम्हें नंगी देखता हूँ तो सोचता हूँ, मेरे और कमल के अलावा किसी औरने तुम्हें आजतक नंगी नहीं देखा। जो तुम्हें नंगी देखेगा उसका तो जीवन ही सफल हो जाएगा। बेचारे यह नेट वाले मर्द कितने दुर्भागी हैं की तुम्हें नंगी नहीं देखा उन्होंने?”

“अरे! तुम मुझे इस नेट वालों को नंगी दिखाना चाहते हो क्या?” आरती ने कुछ शरारत भरी निगाहों से अर्जुन को पूछा।

“देखो तुम बड़ी दयालु हो। क्यों ना अपने नंगे रूप का तुम उनको भी दर्शन कराओ? देखो कमल भी तुम्हें नंगी देख कर कैसे पागल हो गया था?” अर्जुन ने पूछा।

“हाँ, सच बताऊँ? कमल तो अभी भी मुझे उकसाने की कोशिश करता है। उसके मेसेज आते रहते हैं। कहता है एक बार मिलो और मेरे मन की इच्छा पूरी करो। वह तो मुझसे करने के लिए आज भी पागल हो रहा है। सच कहूं? वास्तव में तो कमल मुझसे शादी करना चाहता था। पर वह जानता था की मैं उससे शादी नहीं करती। तो वो मुझे इस तरह उकसा कर सेक्स कर शायद मुझे उसके साथ शादी करने के लिए बाध्य करने की कोशिश कर रहा था। अगर उस दिन मामी ने हमें बिच में रोका नहीं होता तो क्या पता, मैं आज शायद तुम्हारी नहीं कमल की पत्नी होती।” आरती ने अर्जुन को चिढ़ाते हुए कहा।

“तो क्यों नहीं तुम उसे एक बार यहां बुला लेती? इस बार उसके साथ पूरी चुदाई करवा लो। मुझे कोई आपत्ति नहीं।” अर्जुन ने कहा।

“अर्जुन, यह क्या बोल रहे हो? मैं तुम्हारी पत्नी हूँ। मैंने तुमसे शादी की है। मैं तुम्हारी ही हूँ। तुम्हारे ही भोगने के लिए हूँ। यह मेरा बदन, मेरा सब कुछ सिर्फ तुम्हारा है। तुम्हें भले ही कोई आपत्ति ना हो पर मुझे तो है ना।” फिर अर्जुन का फुला हुआ मोटा लण्ड अपनी उँगलियों के साथ खेलती हुई आरती बोली, “अरे मुझे तो इस से ही फुर्सत नहीं मिलती। दिन रात मैं तो इसी के सपने देखती रहती हूँ। और यह जब मेरे अंदर जाता है तो मुझे सारी दुनिया का सुख मिल जाता है। मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”

अर्जुन ने अपना लण्ड आरती की दो टाँगों के बिच में फूल सी नाजुक चूत के ऊपर हलके से रगड़ते हुए कहा, “चलो, अपने सुख के लिए नहीं तो मेरे लिए ही सही, पर अब तुम मेरे साथ यह सब देखो तो सही। और अगर तुम्हें यह सब देख कर चुदवाने का मन करे तो मैं तुम्हारे लिए बढ़िया से बढ़िया तगड़े लण्ड का इंतजाम भी कर सकता हूँ। एक बार ऐसे तगड़े लण्ड से चुदवा लिया ना, तो फिर तुम मेरा लण्ड भी भूल जाओगी।”

“तब तो मुझे बिलकुल ऐसे लोगों के नहीं देखने जिसे देख कर मैं तुम्हारा भूल जाऊं।” आरती ने अर्जुन का लण्ड अपनी उँगलियों में लिया और बैठ कर उसे चूमा और फिर लेट गयी और अर्जुन का लण्ड पकड़ कर उसे अपनी चूत की पंखुडिपों के बिच में ठीक से सेट करते हुए, कुछ कटाक्ष में मुंह मोड़ते हुए कहा। आरती लण्ड चूत, चुदाई बगैरह शब्द बोलने से झिझकती थी।

अर्जुन ने थोड़ा सा धक्का मारा और अर्जुन का लण्ड आरती की चूत के के मुखद्वार से आरती की चूत की गहरी सुरंगों में प्रवेश कर गया।

पति के लण्ड को अपनी चूत के गहराइयों में विहार करते हुए पाकर आरती का मन सम्भोग के आनंद की लहरों में झूमने लगा। पर इस बार उस लण्ड के घर्षण के कारण पैदा हुए उन्माद से भी कहीं ज्यादा उन्माद आरती को पति ने आरती से दूसरे लण्ड की विविधता को भोगने का जो प्रस्ताव रखा था उससे आरती का मन उन मादक क्षणों की कल्पना कर और उन्मादित हुआ। कोई और मर्द अपने बड़े लण्ड से क्या आरती को सम्भोग के उन्माद की और भी ज्यादा ऊंचाइयों पर ले जा सकता है जो ऊँचाइयाँ उस दिन तक आरती ने पति से सम्भोग कर छुईं थीं?

यह सोच मात्र से ही आरती की ना सिर्फ चूत में बल्कि पुरे बदन में रोमांच का अद्भुत अनुभव होने लगा। आरती के स्तनों में एक अजीब सा रोमांच और उस रोमांच के कारण स्तनोँ की निप्पलोँ के श्यामल रंग के एरिओला के घेरे में फुंसियां उठ खड़ीं हुईं जो आरती के सम्भोगुन्माद को प्रत्यक्ष कर रहीं थीं। अर्जुन ने बखूबी उसे अनुभव किया। अर्जुन को अपने लण्ड की सतह पर आरती की चूत की फड़कन महसूस हुई।

अर्जुन जानता था की वह फड़कन आरती के अतिउन्माद की द्योतक थी, आरती के अत्योन्माद का कारण थी। और वह कारण आरती की अपने पति से चुदाई से कहीं ज्यादा दूसरे मर्दों के लण्ड का अनुभव करने की कल्पना मात्र से ही हो रहा था यह अर्जुन भलीभांति जानता था।

अर्जुन आरती का विरोध तोड़ कर उसे मनाने के लिए और हथकण्डे अपनाने पड़ेंगे यह समझ गया था। आरती की चूतमें अपने लण्ड को पेलते हुए अर्जुन कहने लगा, “आरती, मेरा यह लण्ड जो अभी तुझे इतना आल्हादक लग रहा है, सोच अगर मेरे लण्ड से कहीं लंबा और काफी मोटा लण्ड तुम्हारी चूत को चोदे तो तुम्हें कैसे महसूस होगा?”

आरती पहले से ही दूसरे लण्ड से चुदवाने के बारे में सोच कर पगला रही थी और ऊपर से उसका पति उसकी उत्तेजना की आग में जैसे घी डाले जा रहे थे। पर आरती को अपनी उत्तेजना को नियत्रण में रखना था।

आखिर वह एक गृहिणी थी और उसकी चूत बल्कि उसका पूरा बदन अपने पति के भोग के लिए ही था यह आरती के मन में भलीभाँती वृक्ष की जड़ की तरह स्थापित हो चुका था। भला वह कैसे कोई साधारण छिनाल औरत की तरह पति के अलावा किसी दूसरे लण्ड के बारेमें सोच भी सकती है?

आरती ने अपना सर हिलाते हुए कहा, “अर्जुन, तुम यह सोचना भी मत की मैं किसी और मर्द को अपना यह बदन सौपूंगी। सेक्स करने की बात तो दूर, मैं कभी किसी और मर्द को मेरा बदन छूने तक नहीं दूंगी। मैं सिर्फ तुम्हारी शादीशुदा पत्नी हूँ और हमेशा तुम्हारी ही रहूंगी।”

अपनी पत्नी का यह वचन सुनकर अर्जुन थोडा सा हतोत्साहित हो गया। पर वह जानता भी था की आरती की यही प्रतिक्रया होगी। अपनी हतासा पर काबू रख कर अर्जुन बड़ा ही उत्साह दिखाते हुए बोला, “वह सब तो मैं मानता हूँ, पर देखो मेरा यह लण्ड ना तुम्हारे साथ यह सब देख कर और ऐसी बातें कर के बड़ा सख्त हो जाता है और फिर मैं तुम्हें अच्छी तरह चोदने के लिए तैयार हो जाता हूँ। तो क्या तुम मेरे लिए मेरा साथ नहीं दोगी? तुम क्या मरे साथ बैठ कर इन वेबसाइटों को देख नहीं सकतीं? मैं तुम्हें वास्तव में नहीं पर कल्पना में तो चुदवाने की बात कर सकता हूँ ना? इतना तो तुम कर सकती हो ना?”

आरती भी जानती थी अर्जुन सही कह रहा है। जब आरती ने अर्जुन के साथ बैठ कर अलग अलग पोर्न साइट पर अलग अलग मर्दों के लण्ड देखे थे और बड़े तगड़े मर्द औरतों को कैसे चोदते थे वह देखा था तो अर्जुन चुदाई में बहुत ही आक्रामक हो गया था और उस रात आरती को खूब चोदा था और आरती भी उस चुदाई से बड़ी खुश थी।

आरती ने कहा, “मुझे तुम्हारे साथ बैठ कर इन वेबसाइट देखने में कोई एतराज नहीं है। हम साथ में यह वेबसाइट जरूर देखेंगे पर तुम प्लीज यह मत कहना मुझे की मैं किसी और मर्द से सेक्स करूँ। तुम ही कोई औरत ढूंढो इन साइटों पर और अगर तुम उसे घर में नहीं बिठाओगे तो उसे खूब सेक्स करो, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। पर मुझे किसीसे नहीं करना।”

अर्जुन ने अपना कान पकड़ कर बड़ी निराशा दिखाते हुए कहा, “मैं मान गया माताजी की तुम किसी गैर मर्द से हकीकत में नहीं चुदवाओगी। पर क्या हम इसके बारे में बात भी नहीं कर सकते? हम इसके सपने भी नहीं देख सकते?”

आरती ने अपनी आशंका जताते हुए कहा, “मैं अगर इसके बारे में बात करने लगी तो तुम फिर मुझ पर हकीकत में सेक्स करने के लिए जबरदस्ती करने लगोगे।”

अर्जुन ने आरती के सर पर हाथ रख कर कहा, “मैं तुम्हें वचन देता हूँ की अगर तुम्हारी इच्छा नहीं होगी तो मैं तुम पर किसी और मर्द से चुदवाने के लिए जबरदस्ती नहीं करूंगा। बस अब तो खुश? पर तुम दूसरे मर्द से चुदवाने के बारे में बात तो कर सकती हो ना? सिर्फ बात। ओके?”

आरती ने कहा, “ठीक है बाबा, बात करुँगी, बस? अब बातें मत करो और तुम जल्दी से चोदो मुझे मेरा छूटने वाला है।” अर्जुन ने पहली बार आरती के मुंह से चोदो शब्द सूना। सुन कर वह बहुत खुश हुआ। उसे लगा की लक्ष्य दूर है पर मिलेगा जरूर।

अर्जुन ने आरती से छोटी सी ही सही पर कुछ रियायत तो ले ही ली थी। आरती चुदवाने की बातें करने के लिए तो तैयार हुई थी। अब उसे धीरे धीरे आरती के मन के अंदर जा कर हर औरत के मन के छोटे से कोने में जो एक छिनालपन होता है उसे उजागर करना था। आरती के मन में रह रह कर यही सवाल उठ रहा था की “तेरे बिस्तर में सारी दुनिया को पाया, तुम कहते हो गैरों को उस पर ले आओ।”

पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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