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Drishyam, ek chudai ki kahani-34

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

रमेश का जवाब आया, “अर्जुनजी, यह मैं भी जानता हूँ। आरती से मैं प्रीती समझ कर चैट कर रहा था। आरती आपके कहने से प्रीती के नाम से चैट तो कर रही थी पर उसने अपने नाम और सच्चा परिचय छोड़ अपने मन की सारी बातें साफ़ साफ़ मुझे बतायी हैं…

वह मुझे अंकल कह कर चैट करती है। चुदवाने की बात तो दूर, वह अपना कुछ भी दिखाने तक से साफ़ साफ़ मना कर रही है। वह तो मेरा लण्ड भी देखने के लिए कतई तैयार नहीं थी। बड़ी मुश्किल से मैंने कितनी मिन्नतें कर उसे अपना लण्ड दिखाया…

मेरी भी समझ में यह नहीं आ रहा की मैं उसे चुदवाने के लिए कैसे मनाऊंगा। पर मैं कोशिश जरूर करूंगा क्यों की मैं सच कहता हूँ की मुझे आपकी बीबी से एक तरफा प्यार हो गया है। अब आपको अच्छा लगे या बुरा पर यह सच है।”

अर्जुन ने जब यह मेसेज पढ़ा तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसे रमेश की शर्तें मानने में कोई प्रॉब्लम नहीं था। वह जानता था की अगर रमेश थोडासा भी इधर उधर होगा तो उसको कण्ट्रोल करना कोई मुश्किल नहीं है। अर्जुन काफी पैसे वाला होने के उपरांत उसने कुछ गुंडे भी पाल रखे थे…

वक्त आने पर अगर कंपनी का कोई अफसर या मुलाजिम या फिर कोई प्रतिस्पर्धी कॉम्पिटिटर बहुत ज्यादा ही परेशान करने लगे तो अर्जुन जानता था की उसे कैसे लाइन पर लाना है। अर्जुन का काम वैसे तो बिना लड़ाई झगड़ा किये चलता रहता था, पर आपातकालीन स्थिति को निपटने के लिए उसने यह व्यवस्था कर रखी थी। ठेकेदारी के धंधे में यह सब करना पड़ता है।”

अर्जुन ने रमेश को मेसेज भेजा, “मुझे कोई आपत्ति नहीं। मैं भी पूरी कोशिश करुंगा की आरती तुमसे चुदवाने के लिए राजी हो जाए। पर एक बात है। आरती पर कोई भी जबरदस्ती नहीं कर सकता। मैं भी नहीं। वह एकदम अक्खड़ है। वह मान जाए तो अपना सब कुछ देदे। पर अगर अड़ गयी तो वह हाथ भी नहीं लगाने देगी।”

एक दूसरे से यह चैट कर के बाई कह कर अर्जुन और रमेश की चैट वहीं ख़त्म हो गयी, या यूँ कहो की उस चैट के ख़त्म होने पर उन की चैट का सिलसिला एक साल के बाद से दुबारा शुरू हो गया।

अर्जुन ने अपनी बीबी आरती से कहा, “डार्लिंग अब रमेश से तुम सीधी बात कर सकती हो अपने ओरिजनल नामसे।“

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आरती ने जब अपने पति से यह सूना तो उसने राहत की एक गहरी साँस ली, क्यूंकि एक भले आदमी से प्रीती के छद्म नाम से चैट करना आरती के दिल को कुतर रहा था। उस के बाद कुछ दिन आरती की माँ आरती और दामाद को मिलने के लिए आयी थी और कुछ त्यौहार के कारण आरती घर के काम में ही व्यस्त रही और रमेश से बात नहीं कर पायी।

इस बिच रमेश के कई मेसेज आये। एक दो बार आरती ने रमेश से थोड़ी सी चैट कर यही बताया की उसी का नाम आरती है और वह कुछ दिन व्यस्त रहेगी।

माँ के आरती के घर से वापस लौटने के बाद आरती ने जब इंटरनेट खोल कर देखा तो रमेश के मैसेजेस की भरमार आयी पड़ी थी। आरती हैरान रह गयी की उन छह सात दिनों में में आरती को रमेश ने करीब तीस मैसेजेस भेजे थे।

हर मेसेज मैं बार बार रमेश लिखता था, “आरती मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, तुम्हारे पति कहते हैं उसे कोई एतराज नहीं। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ, मैं तुम्हें बहुत ख़ुशी दूंगा, रानी बना कर रखूँगा, तुम्हें कोई भी चीज़ की कमी नहीं आने दूंगा, तुम मुझसे प्यार के लिए हाँ कहो” बगैरह बगैरह।

आरती हैरान रह गयी की एक इंसान एक शादीशुदा औरत को कैसे इस तरह के मेसेजेस भेज कर परेशान कर सकता है? पर आखिर रमेश का भी क्या कसूर? जब अपने ही घरमें खोट हो तो बाहर के आदमी को दोष देने से क्या फायदा? आरती का पति ही आरती को गैर मर्द से चुदवाने के लिए इतना उत्सुक हो रहा हो तो रमेश का कसूर निकालने का क्या फायदा?

आरती ने रमेश को मेसेज भेजा, “रमेश अंकल। आपके मेसेजेस मिले। आपको तो पता है की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरी अर्जुन से शादी हो चुकी है। मैं दूसरी शादी कैसे कर सकती हूँ? मुझे आपसे चैट करने में कोई आपत्ति नहीं, पर प्लीज् यह शादी और सेक्स के बातें मुझसे मत कीजिये।”

रमेश ने फ़ौरन जवाब भेजा, “आरती मेरी तुम्हारे पति से बात हो चुकी है। वह तो तुम्हारी शादी मुझसे करवाने के लिए तैयार है। फिर तुम क्यों मना कर रही हो?”

रमेश ने पढ़कर फौरन मेसेज भेजा, “आरती, तुम मुझसे चैट करना बंद मत करना। मैं तुम्हें परेशान नहीं करूंगा। प्लीज सालों के बाद तुमसे बात करके मुझे बड़ा सकुन मिला है। प्लीज मुझसे बात करते रहना। मैं वादा करता हूँ की मैं तुम्हें परेशान नहीं करूंगा। पर तुम मुझसे चैट तो करोगी ना? प्लीज जवाब देना।”

आरती ने उसके बाद दो दिन तक इंटरनेट नहीं खोला। आरती रमेशजी को थोड़ा सबक देना चाहती थी। दो दिन के बाद आरती ने जब इंटरनेट खोला तो रमेशजी के कई मेसेज आ चुके थे। सारे मेसेजेस में रमेशजी माफ़ी मांग रहे थे। आरती ने सारे मेसेजेस पढ़े पर कोई जवाब नहीं दिया। आरती मन ही मन में मुस्कुरा रही थी।

आरती को रमेशजी की यह तड़पन अच्छी लग रही थी। आरती को लगा की आखिर इस दुनिया में कोई तो था जो आरती के लिए इतना तड़प रहा था। अर्जुन तो शाम को थका हुआ आता था, नहा धो कर कुछ शराब पीकर, कुछ खाकर वह बिस्तरे में ढेर हो कर गिर जाता था। चोदने की बात तो दूर उसे अपने शरीर तक की सुध ना होती थी।

उन्ही दिनों जब अर्जुन और रमेश की यह गुत्थमगुत्थी चल रही थी तब अर्जुन ने “देसी कहानी” वेब साइट पर मेरी लिखी दो कहानियाँ “बड़ी मुश्किल से बीबी को तैयार किया” और “उत्तेजना साहस और रोमांच के वह दिन” के सारे पार्ट्स पढ़ डाले।

इन्हें पढ़ कर अर्जुन काफी प्रभावित हुआ और उसने मेरी बाकी की कहानियाँ भी पढ़ीं। उसने आरती को भी वह कहानिया पढ़ायीं। उनको पढ़ने के बाद शायद आरती से भी बात करने के बाद अर्जुन ने मुझे एक ईमेल द्वारा चिट्ठी लिखी। अर्जुन की उस चिट्ठी से मेरा इस कहानी में प्रवेश हुआ। इसके बाद मैं अर्जुन आरती की जिंदगी का जैसे एक हिस्सा सा बन गया। उस चिट्ठी का सारांश मैं निचे लिख रहा हूँ।

अर्जुन ने लिखा था

श्रीमान,

मैं आपकी कहानियां पढता हूँ और आपका बड़ा प्रशंशक रहा हूँ। मैंने आपकी सारी कहानियां पढ़ी हैं और उनसे बड़ा प्रभावित हुआ हूँ। मैं अर्जुन गुजरात के एक कसबे में रहता हूँ। मेरा अपना ठेकेदारी का काम है। मुझे आपसे इस माध्यम द्वारा मेरे एक अत्याधिक निजी मामले के बारेमें परामर्श करना है। क्या आप मुझे अपना कुछ समय दे पाएंगे?
आपका अर्जुन।

मैंने उसे जवाब दिया

प्यारे अर्जुन,

आपका मेरी कहानियां पढ़ने और सराहने के लिए बहुत धन्यवाद. मैं अपनी सिमित निजी क्षमता के अनुसार आपकी पूरी सहायता करने का प्रयास करूँगा। आप निस्संकोच मुझे आपकी समस्या अथवा उलझन का पर्याप्त विवरण मुझे भेजें, जिसे पढ़कर मैं आपको अपनी राय दे पाऊँ।”

इस के जवाब में अर्जुन ने मुझे लिखा की वह मेरी कहानी की लिखाई से बहुत ज्यादा प्रभावित है और वह चाहता है की मैं उसकी कहानी लिखूं। पर मैं उस समय कुछ ज्यादा ही व्यस्त था। मैंने उसे लिखा, “प्यारे अर्जुन, मैं अभी बहुत ही ज्यादा व्यस्त हूँ। मैं एक लम्बी कहानी लिख रहा हूँ। मुझे उसे पूरी करने में दो या तीन महीने लगेंगे। तुम अपनी कहानी का सारांश मुझे विस्तार से लिख कर भेज दो। मैं उसे पढ़ कर फिर बतलाऊंगा की मेरे हिसाब से तुम्हारी कहानी लिखने योग्य है की नहीं।”

इस के जवाब में अर्जुन ने पहले तो निराशा जताई की मैं उसकी कहानी तुरंत नहीं लिख सकता पर फिर उसने उसकी बहन सिम्मी की कालिया से चुदाई से ले कर उस दिन तक की सारी कहानी मुझे लिख कर भेज दी।

आखिर में अर्जुन ने लिखा, “सर जी, मेरी एक समस्या और भी है। मैंने तीन साल की मेहनत और जाँच परख के बाद रमेश नाम के एक सख्श को मेरी बीबी की चुदाई के लिए चुना है। बड़ी ही कठिनाई के बाद मेरी बीबी आरती रमेश से चैट करने के लिए तैयार हुई है। आरती रमेश से चैट तो करती है पर उससे चुदाई करवाने के लिए बिलकुल तैयार नहीं है। हालांकि रमेश ना सिर्फ मेरी बीबी को चोदने के लिए बल्कि उससे शादी करने तक के लिए तैयार है। मैं चाहता हूँ की आप मेरी बीबी से बात करो और उसे मनाओ की वह रमेश से चुदाई करवाने के लिए तैयार हो।”

मैंने अर्जुन को जवाब में लिखा, “मुझे बहुत अच्छा लगता है जब दो जवाँ बदन, चाहे वह पति पत्नी हो या नहीं, चुदाई करते हैं तो। बल्कि मैं चाहता हूँ की पति अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से चुदवाने के लिए उत्साहित रहे। चुदाई तो भगवान की दी हुई भेंट है। यह गुण भगवान ने ही इंसान क्या जानवरों में भी दिए हैं…

समाज ने इसे गलत बताया तो है, पर समाज के अग्रणी भी अपनी पत्नी के अलावा और औरतों को चोदने से बाज नहीं आते, हालांकि वह यह सब चोरी छुपी करते हैं। मैं चाहता हूँ की हर पति अपनी पत्नी के अलावा किसी और औरत को जरूर चोदे और हर पत्नी अपने पति के अलावा भी और मनपसंद मर्द से चुदवाये और खुश रहे। पर हाँ यह दोनों पति और पत्नी की स्पष्ट या परोक्ष सहमति से होना चाहिए…

चोदते और चुदवाते हुए इस बात का ध्यान रहे की अपने तत्कालीन चुदाई के साथीदार से वह कोई जज्बाती रिश्ता ना बना दे क्यूंकि वह दाम्पत्य जीवन को आहत कर सकता है। ऐसी चुदाई में यह एक खतरा जरूर है उसे ध्यान में रखा रखा जाना चाहिए। हालांकि मैं यह मानता हूँ की अगर पति और पत्नी में इस बात के लिए जागरूकता हो तो कोई परेशानी नहीं आती। मैं तुम्हारी पत्नी आरती को मनाने की जरूर कोशिश करुंगा अगर तुम मेरी सीधी बात आरती से करा दोगे तो।”

मेरी बात सुन कर अर्जुन ने फ़ौरन हामी भरी। अर्जुन ने जरूर आरती से बात की होगी, क्यूंकि अर्जुन का फौरन जवाब आया, “आप आरती की किसी और नाम से आईडी बनाओ और उसे आमंत्रण दो। वह आपसे चैट कर लेगी।”

मैंने गूगल हैंगऑउट पर एक किसी लड़की के छद्म नाम पर आईडी बनायी और अर्जुन को उस आईडी का यूजरनेम और पासवर्ड भेजा। मैंने फिर अपने आप को ही आमंत्रण भेजा और उसके जवाब में मैंने “हाय!” कह कर चैट की शुरुआत की। दूसरे दिन मुझे आरती का जवाब आया।

आरती ने लिखा था, “सर, मेरा नाम आरती है। मैं अर्जुनजी की पत्नी हूँ। मुझे मेरे पति ने आपसे चैट करने को कहा है। मैं वैसे तो ऐसे लफडेजफड़े में नहीं पड़ना चाहती थी पर अब मेरे ना चाहने पर भी मैं इस चक्कर में फँस चुकी हूँ, क्यूंकि मेरे पति के अत्याधिक आग्रह के कारण मैंने सिर्फ चैटिंग करने के लिए हामी भरी थी। मैं मेरे पति से बहुत परेशान हूँ…

मेरे पति चाहते हैं की मैं किसी तगड़े गैर मर्द से सेक्स करूँ और इसके लिए उन्होंने कुछ मर्दों को इंटरनेट के माध्यम से चुना है। उनमें से एक रमेशजी नामक व्यक्ति हैं। मेरे पति ने मेरी पहचान रमेशजी से कराई है। वैसे तो रमेशजी भले इंसान लगते हैं पर मेरी मुसीबत यह है की वह मेरे पीछे पागल हैं…

बड़ी मुसीबत तो यह है की मेरे पति उसे उकसाते रहते हैं। मेरी समझ में नहीं आता की मैं क्या करूँ? मैं एक पतिव्रता नारी हूँ और इन चक्करों में पड़ना नहीं चाहती। मैं मेरे पति अर्जुन से भलीभांति खुश हूँ, और उनसे संतुष्ट हूँ। मुझे और किसीसे कुछ नहीं लेना देना। मैं बड़ी कन्फ्यूज्ड हूँ। अब आप ही मेरा मार्ग दर्शन कीजिये। आप ही मुझे कुछ रास्ता बताइये।”

पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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