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Drishyam, ek chudai ki kahani-11

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

कालिया सिम्मी से बातचीत करने का मौक़ा ढूंढता रहता था। हालांकि सिम्मी कालिया से बातचीत टालने की कोशिश करती थी। कालिया के बारेमें सिम्मी के मन में हमेशा एक अजीब सा द्वन्द चलता रहता था। एक तरफ उसका मन कालिया की और आकर्षित हो रहा था हालांकि उसे पता था की कालिया मतलब बुरा समाचार।

ख़ास तौर से जबसे कालिया के बदन की बू सिम्मी ने सूंघी थी और जब से कालिया के लण्ड की ताकत सिम्मी ने अपनी चूत में महसूस की थी तब से उसका मन कालिया के बारे में ख़याल आते ही डाँवांडोल हो जाता था।

सिम्मी को कुछ हद तक बुरा भी लगता था की कालिया इतनी बात करने की कोशिश कर रहा था और वह उसे बिलकुल बात नहीं कर रही थी। कालिया भी तो ढीट था। वह हतोत्साहित नहीं होता था।

एक दिन तंग आ कर सिम्मी ने कालिया से पूछ ही लिया, “अरे भाई, तुम मेरे पीछे हाथ धो कर क्यों पड़े हुए हो? एक बार जो तुमने किया उससे तुम्हारा पेट नहीं भरा क्या? तुम मेरी मिटटी पलित कर के ही मुझे छोड़ोगे क्या?”

कालिया ने सिम्मी से धीरे से कहा, “देखो वह जो हुआ वह एक जोश और पागलपन में हुआ। मैंने तुमसे माफ़ी भी मांग ली है ना? और फिर मैंने क्या मिटटी पलित की? फ़ालतू में बनने की कोशिश मत करो। क्या तुमने एन्जॉय नहीं किया? सच सच बोलो?”

सिम्मी ने कालिया की बात को टालते हुए कालिया से अपनी नजर चुराते हुए कहा, “फ़ालतू की बात मत करो। मैं तुमसे नहीं बोलूंगी, नहीं बोलूंगी, नहीं बोलूंगी। बस कह दिया सो कह दिया।”

कालिया बहुत कोशिश करते हुए भी अपने प्राकृतिक स्वभाव में आ ही गया। कालिया ने सिम्मी को धमकाते हुए कहा, “देखो अगर तुम मुझसे बात नहीं करोगी तो अच्छा नहीं होगा। मैं वार्निंग देता हूँ।”

सिम्मी ने भी तौर में आ कर कहा, “अच्छा? तुम मुझे वार्निंग देते हो? अगर मैं नहीं बोलूंगी तो क्या कर लोगे तुम? मार डालोगे मुझे? क्या करोगे?”

कालिया ने नजरें झुकाते हुए कहा, “नहीं मैं तुम्हें कभी मार नहीं सकता। तुम तो मेरी जान हो। पर मैं और भी बहुत कुछ कर सकता हूँ?”

सिम्मी ने कालिया से नजरे मिलाते हुए बड़े उद्दंड स्वर में कटाक्ष करते हुए पूछा, “अच्छा? क्या कर लोगे तुम?”

कालिया ने कहा, “अगर तुमने मुझसे बात नहीं की तो मैं दुबारा तुम्हें पकड़ कर जबरदस्ती चोद सकता हूँ। पर इस बार मैं तुम्हें आननफानन में नहीं, मैं तुम्हें बड़े प्यार से और बड़े लम्बे समय तक चोदुँगा। तुम भी क्या याद रखोगी। फिर छोटी सी बच्ची की तरह मत चिल्लाना की बचाओ, बचाओ।”

सिम्मी ने कालिया के मुंह से चुदाई का नाम सुनते ही डर गयी। हालांकि उसको चाची ने बताया था की उसे डरना नहीं। सिम्मी ने नकली गुस्सा और हिम्मत दिखाते हुए तौर मैं आ कर कहा, “अरे, तुम क्या कर लोगे? मैं कोई छोटी बच्ची नहीं की बस चिल्लाऊंगी और तुम्हें मनमानी करने दूंगी? तुमने जो कर लिया वह कर लिया। इस बार तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।”

पर हकीकत में अंदर से कालिया की सीधे ही खरी खरी चोदने की बात सुनकर सिम्मी काँप उठी थी। उसे कालिया की चुदाई याद आयी। सिम्मी के जहन में उस समय पता नहीं कैसे भाव उठ रहे होंगे। सिम्मी ने सोचा की उसे कालिया से सीधा मुकाबला करना चाहिए।

सिम्मी ने अपनी अकड़ दिखाते हुए कहा, “अच्छा? तो तुम मुझसे फिरसे जबरदस्ती करोगे? अरे तुम्हारी क्या हिम्मत की तुम मुझे छू भी सको? तुम अब कुछ नहीं कर सकते। तुमसे जो हो सके कर लो। मैं भी देखती हूँ तुम क्या करते हो। तुम जानते हो की मेरे चाचाजी की पुलिस महकमें में कितनी जानपहचान है। जेल में डलवा देंगे तुम्हें। मैं तुमसे डरने वाली नहीं। जाओ यहां से।”

यह कह कर सिम्मी वहाँ से चलती बनी। कालिया भाग कर सिम्मी के सामने जा खड़ा हुआ और बोला, “देखो मुझे चुनौती मत दो। मेरा दिमाग ख़राब हुआ तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। और फिर अगर वाकई में मैंने तुम्हें चुदवाने के लिए मजबूर किया तो फिर तुम वचन दो की तुम चिलाओगी नहीं। बोलो, अगर तुमको इतना आत्मविश्वास है तो वचन दो।”

सिम्मी ने एक झटका देकर कालिया को एक तरफ हटा दिया और बोली, “जो तुमसे बन पड़े कर लेना। मेरी हिम्मत की बात करते हो? अब तुम मुझे मजबूर कर ही नहीं सकोगे। अगर ऐसा कुछ हुआ तो जाओ मैं वचन देती हूँ की मैं नहीं चिल्लाऊंगी।” फिर कालिया की और तिरस्कार की नजर से देखती हुई सिम्मी वहां से चली गयी।

सिम्मी की सीधी ललकार सुनकर कालिया वाकई में डर गया होता। पर जाते जाते आखिर में सिम्मी की शकल पर कालिया ने शरारत के भाव देखे। जब सिम्मी वहां से चलती बनी उसके पहले एक पल के लिए ही सही पर सिम्मी के चेहरे पर हलकी सी शरारत भरी मुस्कान कालिया ने देखि।

कालिया को यकीन हो गया की सिम्मी की ना में ही उसकी हाँ छिपी हुई थी। सिम्मी कालिया को चोदने के लिए थोड़े ही आमंत्रण देगी? यह शायद सिम्मी का कालिया को चुदाई के लिए उकसाने का तरिका था।

अब कालिया के लिए यह आरपार की लड़ाई हो चुकी थी। उसे कुछ ऐसा लगा की शायद कहीं ना कहीं सिम्मी भी चाहती थी कालिया सिम्मी पर जबरदस्ती करे। पर कालिया डर भी रहा था। कहीं उसके पागलपन की सिम्मी अपने चाचा से शिकायत ना कर दे।

अगर ऐसा कुछ हुआ तो उसकी आमदनी भी खतम हो जायेगी और शायद वह रिहायशी इलाका वाले उसे बाहर ना रवाना कर दें। बदनामी होगी सो अलग। पर कहते हैं ना की जब किसी के दिमाग पर कोई भूत सवार होता है तो वह इंसान किसी की भी नहीं सुनता। अपनी बुद्धि की भी नहीं। और फिर सिम्मी ने उसे वचन जो दिया था की वह चिल्लायेगी भी नहीं और शिकायत भी नहीं करेगी।

कालिया से अब सिम्मी के बदन की ललक रोकी नहीं जा रही थी। उसे येनकेनप्रकारेण सिम्मी के बदन को पाना ही था। उसे समझ आ गयी थी की जब एक बार वह सिम्मी को चोद पाया और सिम्मी ने किसी से भी शिकायत नहीं की तो दूसरी बार भी नहीं करेगी।

अब कालिया को कुछ ना कुछ कर सिम्मी को अकेले में पकड़ना था। कालिया यह भी समझ गया था की पर अब वह सिम्मी को प्यार से चोदना चाहता था। वह चाहता था की इस बार उसे सिम्मी पर जबरदस्ती न करनी पड़े बल्कि सिम्मी उससे प्यार से चुदवाये। ऐसा कुछ करने के लिए उसे कोई ना कोई युक्ति तो करनी पड़ेगी। उसने यही तय किया की वह जल्दबाजी कर खेल बिगाड़ेगा नहीं। उसे धैर्य रखना पडेगा। वह कुछ ना उच्च करके सिम्मी का दिल जितने का प्रयास करेगा।

कालिया ने सिम्मी को अपनी इच्छा तो कह ही दी थी। कालिया सिम्मी के साथ हुई यह नोकझोंक को जैसे भुलाकर आगे सिम्मी को और ना छेड़ते हुए वह वापस अपने काम में लगा रहा।

जब भी कालिया चाचाजी की दूकान पर सामान ले कर डिलीवरी के लिए आता तो वह सिम्मी के लिए कुछ ना कुछ छोटी मोटी भेंट जरूर लाता जैसे कोई बार लिपस्टिक तो कोई बार परफ्यूम।

जब सिम्मी दुकान पर होती तब कालिया बिना कुछ कहे चुपचाप सामान के साथ सिम्मी के लिए लायी हुई भेंट अलग से सिम्मी की तरफ सरका देता। जब सिम्मी उसे पूछती की वह सामान लिस्ट में नहीं है तो कालिया कहता, “गलती से आ गया होगा। जब आ ही गया है तो रख लो।”

सिम्मी भी खुश हो कर उस को रख लेती। पर हर बार जब कालिया कुछ ना कुछ स्त्री को काम आने वाली चीज़ लाने लगा तब सिम्मी को शक हुआ की कालिया गलती से नहीं पर जानबुझ कर उसके लिए वह भेंट ला रहा था। वह समझ गयी की कालिया क्यों यह सब ला रहा था। वह समझ गयी थी की कालिया की नियत उसे चोदने की थी।

कालिया कुछ ना कुछ तिकड़म करके उसे जरूर फाँसेगा और उसे चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। पर स्त्रियां मुफ्त भेंट को नकार नहीं सकती। सिम्मी ने चुपचाप कालिया की भेंट स्वीकार करती गयी। यह कालिया के लिए एक सकारात्मक संदेश था।

सिम्मी के लिए कालिया का लण्ड अब जी का जंजाल बन गया था। भले ही कालिया ने सिम्मी के साथ चुदाई किया था पर सिम्मी को जिंदगी में पहली बार जब कालिया से चुदवाने का अनुभव हुआ तो वह समझ गयी की सहेलियां जो कह रही थीं की औरतों को तगड़े लण्ड से चुदवाने में बड़ा मजा आता है हालांकि उन्हें दर्द भी होता है, वह बात पूरी तरह गलत नहीं थी।

कई बार रातको सिम्मी को सपने में कालिया उसे चोद रहा है ऐसा दिखता और उससे चुदाई करवाते हुए सिम्मी के बदन पर पसीना बहने लगता। सिम्मी कई बार तो कालिया से चुदवाने में उसका पूरा साथ देती और कई बार उसको गालियां निकालती और कोसती। सिम्मी को नींद में से जाग कर यह समझ में नहीं आता था की उसे कालिया से तिरस्कार का भाव था या वह कालिया से दुबारा चुदवाना चाहती थी।

सिम्मी को ऐसा लगता जैसे चुदवाते हुए कालिया के जबरदस्त धक्के मारने से उसका पूरा बदन हिल रहा था। सपने में भी सिम्मी को लगता था जैसे उसके बदन के साथ साथ उसका पूरा पलंग हिल रहा था। उत्तेजना के मारे या फिर कालिया के चोदने के भय के कारण जब बीचमें सिम्मी की नींद टूट जाती थी तब वह महसूस करती थी की उसका बदन पसीने से तरबतर हो जाता था।

सपने के बाद उठते ही सीम्मीकी चूत में अजीब सी हलचल होने लगती। सिम्मी की चूत में से पानी बहने लगता। वह अपने आप पर काबू नहीं पा रही थी।

सिम्मी धीरे धीरे यह समझने लगी थी की कालिया उसे चोदे बगैर छोड़ेगा नहीं। और उसको यह भी समझ में आने लगा की उसकी भी कालिया से चुदवाने की तगड़ी लालसा थी। सिम्मी के मन में कहीं ना कहीं यह शक भी था की भाई अर्जुन भी कालिया का साथ दे रहा था।

सिम्मी अपने आपको कालिया से चुदवाने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने की कोशिश करने लगी। सिम्मी की चूत उसकी दुश्मन बन रही थी। जब तक वह कालिया से नहीं चुदवायेगी तब तक उसकी चूत की फड़फड़ाहट कम नहीं होगी यह सच्चाई सिम्मी समझने लगी थी।

कालिया यह भी समझ गया की उसे अर्जुन का भी इस काम में साथ मिलेगा, क्यूंकि अर्जुन कालिया और सिम्मी को साथ में लानेको उत्सुक दिख रहा था। कालिया ने अर्जुन के साथ उठना बैठना और अर्जुन के लिए कोई ना कोई भेंट लाना बढ़ा दिया।

शायद अर्जुन भी भाँप गया था की कालिया उससे संपर्क इस लिए बढ़ा रहा था की जिससे अर्जुन कालिया को सिम्मी को चोदने में मदद करे। अर्जुन का हकीकत में यह स्वार्थ था की वह देखना चाहता था की कालिया कैसे दीदी को चोदता है।

अर्जुन जानता था की कालिया जब दीदी को चोदेगा तो दीदी की हालत खराब कर देगा। अर्जुन ने कालिया का लण्ड देखा था। उसने दीदी को कालिया से चुदवाते हुए तो नहीं देखा था पर चुदाई के बाद दीदी का कैसा बुरा हाल हुआ था वह तो अर्जुन ने देखा था।

अर्जुन दीदी की तगड़ी चुदाई देखना चाहता था। उसे चुदाई देखने का नशा चढ़ गया था। अर्जुन को खुद चोदने की इतनी ललक नहीं होती थी जितनी दूसरों को चोदते हुए देखने की हो रही थी।

अब कैसे भी कालिया दीदी को चोदे और अर्जुन खुद वह दृश्य देखे यह बात अर्जुन के मन में घर गयी थी और एक पागलपन की तरह उसका दिमाग कुतर रही थी। कई लोगों को यह पढ़ कर आश्चर्य हो सकता है। पर इस दुनिया में भगवान ने इतनी सारी अजीबोगरीब विविधताएं भरी हुई हैं की भले ही हमारे लिए यह मानना बड़ा ही मुश्किल हो, पर यह होता है। इसे मानसिक विकृति भी कहा जा सकता है। हम अक्सर किस्से कहानियां और कोर्ट में भी ऐसे केस देखते हैं। आजकल इंटरनेट में भी ऐसी कई किस्सों की भरमार देखि जाती है।

सबसे पहले अर्जुन को यह सुनिश्चित करना था भी कालिया ना सिर्फ दीदी को चोदे बल्कि अर्जुन उस दृश्य को अच्छी तरह देख पाए। यह आसानी से तो हो नहीं सकता। अगर कालिया कैसे भी करके दीदी को चोद पाए तो भी अर्जुन उस को कैसे देखे यह मुश्किल था।

पर कहते हैं ना की जहां चाह वहाँ राह। सोचते सोचते अर्जुन ने प्लान बना ही लिया। दूसरे दिन कालिया अर्जुन से मिलने आया तब बात ही बात में जब लड़कियों के बारे में कालिया बात करने लगा तब सही मौक़ा देख कर अर्जुन ने उसे पूछा, “कालिया, तुम कह रहे थे ना की दीदी तुम्हें सेक्सी लगती है? तुमने कहा था ना की तुम दीदी से बहुत प्यार करना चाहते हो? सच है की नहीं? तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ।”

कालिया ने जब यह सूना तो उसका मन नाच उठा। कालिया अर्जुन से यही सुनना चाहता था. कालिया ने कहा, “देखो अर्जुन, अब तुमने जब पूछ ही लया है तो मैं तुम्हें कुछ कहना चाहता हूँ। हम सच्चे दोस्त बन गए हैं। मैं तुम्हारी बहन को बहुत प्यार करना चाहता हूँ। तुम बुरा मत मानना। क्या तुम मेरी मदद करोगे? अगर तुम मेरी मदद करोगे तो मैं तुम्हें जो चाहे दूंगा।”

अर्जुन ने कुछ सोचने का नाटक किया और फिर धीरे से बोला, “मुश्किल तो है। मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। पर एक शर्त है।”

कालिया से रहा नहीं गया। उसने कहा, “मुझे सब शर्त मंजूर है। बोलो क्या चाहिए तुम्हें।”

अर्जुन ने धीरे से कहा, “मेरे पास इसके लिए एक प्लान भी है।”

कालिया की जिज्ञासा अब चरम पर थी। उसने पूछा, “क्या प्लान है?”

अर्जुन ने आसपास कोई ना सुन सके इसलिए कालिया को करीब बुलाकर उसके कान में अपना प्लान सुनाया।

अर्जुन का प्लान सुनकर कालिया हँसने लगा। अर्जुन के कंधे पर जोरसे हाथ मार कर कालिया बोला, “अर्जुन, तू तो बड़ा हरामी निकला रे! क्या शातिर दिमाग चलता है तेरा रे! मैंने सोचा था इस बस्ती में मैं ही सबसे कमीना और हरामी हूँ। पर तु तो मुझसे भी कहीं ज्यादा हरामी निकला रे! खैर मुझे क्या? मुझे तेरी शर्त मंजूर है। तू चिंता मत कर तू चाहेगा तो मैं तेरी गोटी भी सेट कर सकता हूँ।”

कालिया की बात सुनकर अर्जुन खिसिया सा गया और अपनी शर्मिंदगी छिपाने की कोशिश करते हुए बोला, “नहीं कालिया। मैं तुम्हारा दोस्त हूँ तो तुम्हारी मदद करना मेरा फर्ज है।”

कालिया ने फिर हँसते हुए अर्जुन को पकड़ कर उसका पूरा बदन हिलाते हुए कहा, “साला तू है तो हरामी पर फिर भी अपनी बात में पक्का है। चल मैं चलता हूँ। तू मुझे जरूर बताना।”

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

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