Hindi Sex StoriesUncategorized

Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 57

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series

सुनीलजी ने आयेशा के होँठों को चूमते हुए उसके कानों में कहा, “भला मैं मेरी माशूका को हानि क्यों पहुँचाऊँगा? तुम निश्चिन्त रहो। ऐसा कह कर सुनीलजी ने अपना लण्ड आयेशा की चूत में थोड़ा सा घुसाया। आयेशा को बहुत अच्छा लगा और दर्द भी नहीं हुआ। सुनीलजी का लण्ड तना हुआ, खड़ा और कड़क लण्ड की धमनियों में गरम खून के तेज बहाव के कारण आयेशा को उसकी चूत में गरम महसूस हो रहा था।

आयेशा की सालों की मंशा पूरी होने जा रही थी। वह प्यार भरी उत्तेजक चुदाई का अनुभव जीवन में पहेली बार कर रही थी। उससे पहले उसके पति ने उसे चोदा जरूर था। पर उसमें ना तो ताकत थी और ना ही दम ख़म।

काफी शराब पिने के कारण उसका लण्ड चूत में जाने लायक कड़क भी नहीं हो पाता था। शायद एकाध बार आयेशा के पति ने आयेशा को ठीक ठाक चोदा था पर ना तो उस चुदाई में प्यार का कोई एहसास था और ना ही उत्तेजना का।

सुनीलजी की चुदाई एकदम अलग थी। सुनीलजी जैसे ही आयेशा की चूत में अपना लण्ड थोड़ा सा घुसाते तो झुक कर आयेशा के होँठ तो कभी कपाल तो कभी स्तन चुम लेते। साथ में वह आयेशा की चूँचिया मसलना और निप्पलोँ को प्यार से पिचकना भूलते न थे। सुनीलजी के लण्ड घुसाने की प्रक्रिया भी बड़ी ही प्यार भरी थी।

उन्हें यह ख्याल रखना था की माशूका को कम से कम दर्द हो और ज्यादा से ज्यादा आनंद मिले। इसलिए वह हर बार थोड़ा सा लंड घुसाते फिर उसे निकालते फिर दूसरी बार और थोड़ा ज्यादा घुसाते और फिर निकालते। ऐसा करते करते धीरे धीरे आयेशा को पता भी नहीं चला की कब उन्होंने अपना पूरा लण्ड आयेशा की चूत में घुसेड़ दिया।

आयेशा दर्द के कारण कम और उत्तेजना के कारण कराह रही थी। जस्सूजी चोदना बंद ना करदें इस लिए आयेशा “ओह….. आह….. माशा अल्लाह…… वाकई परदेसी…… तुम्हारा जवाब नहीं…… ” कराहते कराहते अपनी उत्तेजना जता रही थी। उस कराहट दर्द का एहसास जरूर होगा पर उत्तेजना काफी ज्यादा थी। सुनीलजी जानते थे की आयेशा प्यार के लिए तरस रही थी। उसकी चूत में फड़फड़ाहट तो महीनों या या सालों से हो रही होगी पर उस माहौल में कौन उसे प्यार जताये। लड़ाई में तो जबरदस्ती का ही माहौल होता है। चुदाई और बलात्कार में भारी अंतर होता है।

सुनीलजी ने जब अपना लण्ड आयेशा की चूत में डाल दिया तो उन्हें ज़रा सा भी दोष या गुनाह का भाव महसूस नहीं हुआ, क्यूंकि वह चुदाई जबरदस्ती की नहीं प्यार की थी। उन्हें ऐसा बिलकुल नहीं लगा जैसे उन्होंने कोई अपराध किया हो। आयेशा की महीनों या सालों की भड़क रही चूत की भूख अगर वह मिटा सके तो उनको ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने एक बड़ा नेक काम किया हो।

अपना लण्ड जब पूरी तरह आयेशा की चूत में डाल पाए तब सुनीलजी आयेशा के बदन पर झुके और अपना लण्ड सुनीता की चूत में जमा रखते हुए धीरे से उन्होंने अपना वजन आयेशा के बदन पर रखा और आयेशा के धनुष्य सामान होँठों पर अपने होँठ रख कर आयेशा के कान में फुसफुसाते हुए पूछा, “जानेमन कैसा महसूस हो रहा है?”

Related Articles

आयेशा ने अपनी आँखें खोलीं और अपनी खूबसूरत घनी और नजाकत भरी पलकें उठा कर सुनीलजी के चेहरे की और देखा और शर्मीली नयी नवेली दुल्हन सा शर्मा कर बोली, “परदेसी, क्या बताऊँ? आज तुमने मुझे हमारे इस बदन के मिलन से अपना बना दिया है। तुम्हारे इस मोटे और लम्बे लण्ड ने मुझे सही मायने में एक औरत की इज्जत बक्शी है। आज मैं तुम्हारी मर्दानगी को अपने बदन के कोने कोने में महसूस कर रही हूँ। तुम्हारा लण्ड मेरी बच्चेदानी तक पहुँच चुका है, और इंशाअल्लाह मैं खुदा से इबादत करती हूँ की आज तुम मुझे अपने बच्चे की माँ बना सको तो मेरा जीवन कामयाब हो जाएगा।”

सुनीलजी आयेशा की बात सुनकर पिघल से गए। उनसे चुदवाते समय उन्हें कभी किसी औरत ने इतने प्यार भरे शब्द नहीं कहे थे। उन्होंने कई औरतोंको चोदा था। कई औरतें उनपर फ़िदा थीं, पर आयेशा ने उन्हें ऐसी बात कह दी जो हर मर्द अपने साथ चुदाई करवाने के लिए लेटी हुई औरत से सुनना चाहता है। सुनीलजी ने तय किया की वह उस रात आयेशा को इतना प्यार करेंगे जितना उन्होंने किसी को नहीं किया।

सुनीलजी ने अपने होँठ आयेशा के होँठों से चिपका दिए और उसे और कुछ ना बोलपाने पर मजबूर किया। आयेशा के रसीले होँठों का रस वह जिंदगी भर के लिए चूसना चाहते थे। आयेशा के मुंह से निकला रस भी इतना स्वादिष्ट था की वह बरबस ही आयेशा की मुंह की लार चूसते और निगलते रहे। आयेशा के मुँह में अपनी जीभ डाल उसे अंदर बाहर करते हुए सुनीलजी आयेशा के मुँह को अपनी जुबान से पता नहीं कितने समय तक चोदते रहे।

बिच बिच में वह अपना लण्ड ऊपर निचे कर आयेशा को यह दिलासा दे रहे थे की अभी छूटने में वक्त लगेगा। सुनीलजी का लण्ड अपनी चूत की सुरंग में पूरी तरह भर जाने के कारण आयेशा की चूत पूरी तरह से अपना पूरा तनाव में थी। पर आयेशा की उत्तेजना उसकी चूत की पूरी सुरंग के स्नायु की फड़कन से सुनीलजी महसूस कर रहे थे। उनका लण्ड बार बार आयेशा की चूत की दीवारें एकदम दबा के पकड़ लेतीं तो कभी थोड़ा कम दबाव होता।

आयेशा भी उसकी इतनी उत्तेजक चुदाई से उन्मादित हो कर परदेसी को कभी होँठों पर तो कभी उनकी गर्दन पर, कभी उनके कानों को तो कभी उनकी दाढ़ी को अपने होंठों से परदेसी के बदन के निचे दबी हुई आयेशा चूमती रहती थी। एक औरत प्यार भरी चुदाई कितना एन्जॉय कर सकती है यह आयेशा के चहरे के भाव बता देते थे।

कभी सुनीलजी के भारी भरखम लण्ड के अंदर बाहर होने के कारण हो रहे दर्द के मारे आयेशा की भौंहें सिकुड़ जाती थीं, तो कभी परदेसी के लण्ड की गर्मी उसे ऐसी उन्मादित कर देती थी की वह “आह….” बोल पड़ती थी। कभी परदेसी के लण्ड के उसकी चूत की सुरंग में सरकने से हो रहा उन्मादक घर्षण उसे पागल कर देता था तो कभी परदेसी के लण्ड की उसकी बच्चेदानी पर लगी ठोकर से वह “ओह…..” बोलकर रुक जाती थी।

जैसे जैसे सुनीलजी ने धीरे धीरे अपनी चुदाई की रफ़्तार बधाई, आयेशा भी उनके साथ साथ परदेसी का लण्ड ज्यादा से ज्यादा वक्त उसकी चूत में रहे और घुसे उसकी फिराक में अपना पेंडू ऊपर उठाकर परदेसी के तगड़े लण्ड को और अंदर घुसने की जगह बनाने की कोशिश करती रहती थी।

सुनीलजी की “उँह ……” और आयेशा की “ओह…… आह……” से गुफा गूंज रही थी। आयेशा ने अपनी सुआकार टांगें ऊपर उठाकर परदेसी के कन्धों पर रक्खी हुई थीं। सुनीलजी का लण्ड इंजन के पिस्टन की तरह फुर्ती से अंदर बाहर हो रहा था। आयेशा भी परदेसी के अंदर बाहर होते हुए लण्ड को अपनी चूत की सुरंग में घिसवाने से हो रहे आनंद का अद्भुत अनुभव कर रही थी।

सुनीलजी का लण्ड अपनी चिकनाहट और आयेशा की चूत से झर रहे स्राव से पूरी तरह चिकनाहट से सराबोर हो चुका था। आयेशा को परदेसी के लण्ड के घुसने और निकलने से ज्यादा परेशानी नहीं हो रही थी। वह तो दर्द के भी मजे ले रही थी। सुनीलजी के हाथ आयेशा की भरपूर चूँचियों को जकड़े हुए थे। परदेसी के धक्कों से आयेशा का पूरा बदन हिल रहा था।

यह सिलसिला करीब आधे घंटे तक बिना रुके चलता रहा। दोनों प्रेमियों में से कोई भी जल्दी से झड़ने के लिए तैयार न था। शायद वह तो पूरी रात ही चुदाई जारी रखना चाहते थे। पर आयेशा ने एक वाक्य कहा जिसे सुनकर उसके परदेसी के लण्ड में अद्भुत सी मचलन होने लगी। आयेशा ने कहा, “परदेसी, मैं तुम्हारी बीबी बनकर इस तुम्हारे मोटे और तगड़े लण्ड से तुमसे हररोज दिन हो या रात कई बार चुदवाना चाहती हूँ। पर यह कैसे होगा? क्या तुम मुझे चोद कर छोड़ दोगे? क्या तुम मुझे जिंदगी भर चोदना नहीं चाहते?”

आयेशा की बात सुनकर सुनीलजी काफी भावुक हो गए। उनके लण्ड में वीर्य की मौंजें तेज हो गयी। वीर्य की धमनियों में उनका वीर्य तेजी से दौड़ने लगा। सुनीलजी को लगा की अब झड़ने का समय आ गया है। उन्होंने आनन् फानन में अपनी माशूक़ा आयेशा से कहा, “आयेशा, वह सब बाद में बात करेंगे, अभी तो मैं अपना माल छोड़ने वाला हूँ। बोलो अंदर छोडूं या बाहर? क्या तुम सचमुच में मेरे बच्चों की माँ बनना चाहती हो? क्या तुम मेरे बगैर मेरे बच्चों को पाल सकोगी? कहीं लोग तुम्हें बिनब्याही माँ कहके परेशान तो नहीं करेंगे?”

आयेशा ने बेझिझक कहा, “मैं ऐसे छोटे मोटे अनाड़ियों से आसानी से निपट लुंगी, पर हाँ, अगर हो सके तो मुझे जरूर तुम्हारे बच्चों की माँ बनना है। तुम अपना सारा माल मेरी चूत में उंडेल दो। मैं भी तो देखूं की हिंदुस्तानी वीर्य में कितना दम है?”

आयेशा की बेबाक बात सुन कर सुनीलजी अचरज में पड़ गए। वह सोचने लगे “क्या कोई औरत सिर्फ एक दिन की मुलाक़ात में किसी मर्द के लिए इतना सहने के लिए तैयार हो सकती है?”

सुनीलजी ने बड़े प्यारसे आयेशा को दुबारा चूमते हुए आयेशा को चोदने की गति तेज करदी। आयेशा भी अब पूरी तरह अपनी चुदाई में अपना ध्यान लगा रही थी। परदेसी के अंदर बाहर होते हुए मोटे लण्ड से वह चुदवाने का अनोखा आनंद ले रही थी। उसके लिए उस रात का हर एक पल सालों जैसा था। उसका उन्माद भी अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच रहा था।

आयेशा चाहती थी की उसका झड़ना भी अपने परदेसी आशिक़ के साथ ही हो। आयेशा ने भी अपनी उत्तेजना और उन्माद और बढ़ाने के लिए अपने पेंडू से अपनी कमर को ऊपर कर अपने आशिक़ का लण्ड और गहराई तक पहुंचे और उसमें और ज्यादा हवस का जोश पैदा हो ताकि दोनों का झड़ना एक साथ ही हो।

चंद पलों में आयेशा कराह उठी, “ओह……. परदेसी, तुम गज़ब की चुदाई कर रहे हो! आह….. बापरे…… ओह……. मैं झड़ रही हूँ…… मुझे पकड़ो यार……आह….. कमाल हो गया…..”

सुनीलजी भी, “आयेशा, मेरा यकीन करो, मेरी इतनी लम्बी जिंदगी में मुझे इस कदर महसूस नहीं हुआ। पता नहीं मैं तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ?”

आयेशा ने पट से जवाब दिया, “प्यार में शुक्रिया नहीं कहते। यह तो हम अपने और अपनों के लिए करते हैं। फिर शुक्रिया कैसा? और रुकिए, मैं आज आपको यहां नहीं छोड़ने वाली। आज आपको पूरी रात भर मेरी चुदाई करनी है। मैं तैयार हूँ। कहीं आप ना मुकर जाना।”

आयेशा ने फ़टाफ़ट कपडे से पहले अपने आपको साफ़ किया। अपनी चूत और उसके इर्दगिर्द सफाई की और फिर सुनीलजी के लण्ड को अच्छी तरह से पोंछा और उसे चुम्बन कर के उठ खड़ी हुई। सुनीलजी आयेशा के कोमल और कमसिन नंगे बदन को देखते ही नहीं थकते थे।

सुनीलजी ने कहा, “अभी तो रात जवान है। मैं मुकरने वालों में से नहीं। पर हम अब फिलहाल कपडे पहन लेते हैं। हम यह देखें कहीं कोई उंचनीच ना हो जाए।”

आयेशा ने फ़ौरन उठकर परदेसी की नजर के लिए ख़ास नंगी चलती हुई, अपने कूल्हे मटकाती हुई सुखाये हुए कपडे ले आयी। कपडे तब तक सुख चुके थे। सुनीलजी को उनके कपडे दिए।

अपने कपडे फुर्ती से पहनते हुए सुनीलजी बोले, “अब दो घंटे तुम आराम करोगी और मैं पहरा दूंगा। हमें प्यार करते हुए भी गाफिल नहीं रहना है।” यह कह कर सुनीलजी गुफा के अंदर दरवाजे के पास बैठ गए और बाहर अँधेरे में कोई हलचल हो तो उसका ख्याल सावधानी से रखने में लग गए।

आयेशा पुरे दिन की उत्तेजना और रात के रोमाँच के कारण काफी थकी हुई थी। पुरे दिन भर चौकन्ना रह कर पहरा देने के बाद रातको परदेसी के तगड़े लण्ड से अच्छी तरह से और जोशोखरोश से चुदाई करवाने के कारण आयेशा पूरी तरह थक चुकी थी। सुनीलजी के कहने पर वह जैसे ही लेटी की निढाल हो कर बेहोश सी गहरी नींद की गोद में पहुँच गयी।

जो कपडे आयेशा ने पहन रक्खे थे वह भी कई जगह से फ़टे हुए और छोटे से थे। अच्छी तरह से और बड़े प्यार से चुदने के बाद एक औरत के चेहरे पर जैसे संतुष्टि होती है वैसी संतुष्टि आयेशा के चेहरे पर दिखाई दे रही थी। नींदमें भी वह कभी कभार मुस्कुरा देती थी। शायद उसे अपने आशिक़ परदेसी के लण्ड का उसकी चूत में जो एहसास हुआ था वह उसे सपने में दुबारा अनुभव रहा था।

सुनीलजी ने खड़े खड़े ही लंबा फ़ैल कर लेटी हुई आयेशा को देखा। जन्नत से उतरी हूर जैसी आयेशा के कपडे इधर उधर बिखरे हुए थे। आयेशा के स्तन ब्लाउज और ब्रा की परवाह ना करते हुए सर उठा कर खड़े हों ऐसे दिख रहे थे।

सुनीता की सुआकार जाँघें खुली हुई थीं और बिच के प्रेम भरी चूत को मुश्किल से छुपा पा रहीं थीं। आयेशा को इतना नंगा देखने और अपने लण्ड से चोदने के बाद भी आयेशा का ढका हुआ बदन देख कर ही सुनीलजी का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था।

वह चाहते थे की आयेशा कम से कम दो घंटे आराम करे।

कहानी आगे जारी रहेगी!!!

[email protected]

 

https://s.magsrv.com/splash.php?idzone=5160226

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button
Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
grandpashabet
grandpashabet
grandpashabet
İzmir psikoloji
creative news
Digital marketing
radio kalasin
radinongkhai
gebze escort
casibom
casibom
extrabet giriş
extrabet
sekabet güncel adres
sekabet yeni adres
matadorbet giriş
betturkey giriş
casibom
casibom
casibom
tiktok video indir
Türkçe Altyazılı Porno
betkom giriş
Casibom Giriş
deneme bonusu veren bahis siteleri
deneme bonusu
grandpashabet
marsbahiscasibom güncel girişligobetsetrabetmarsbahiscasibom güncel girişligobetsetrabet
marsbahismarsbahismarsbahismarsbahismarsbahismarsbahis