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Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 23

This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series

राहुल मेरे कपड़े निकाल मुझे वही बिना चोदे नंगा छोड़ अंदर चला गया। मैं वही पड़ी रही और दस मिनट बाद वो वापिस आया और मेरा हाथ पकड़ उठाने लगा पर मैंने उसका हाथ झटक दिया।

उसने जबरदस्ती मुझे उठाया और अपने कंधे पर लाद दिया। उसमे मुझे मेरी नंगी गांड से पकड़ रखा था और मेरा सर उसकी पीठ की तरफ लटका था, उसने अभी भी कपड़े नहीं पहने थे और मुझे उसकी गठीली गांड और मांसल जाँघे दिख रही थी।

राहुल: “सोना हैं तो अंदर सो जाना, मेरा केयरटेकर आधे एक घंटे में आने वाला होगा। ”

वो मुझे बैडरूम में ले आया और बिस्तर पर लेटा दिया। उसने मुझे थोड़ी देर इंतजार करने को कहा कि मेरे कपड़े ड्रायर में सुख रहे हैं। फिर वो मेरे पास वही बैठ कर मुझे मनाने लगा।

राहुल: “मेरी बात नहीं सुनोगी तो मुझे समझोगी कैसे”

मैं: “मुझे कुछ नहीं सुनना हैं”

राहुल: “मतलब तुम्हे सिर्फ वो वीडियो सच्चा लगा पर मेरी भावनाये सब झूठी लगी । अच्छा मेरी दो बातें सुनो और फिर उसका जवाब दो ”

मैं: “मुझे कोई जवाब नहीं देना और ना ही कुछ सुनना हैं”

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राहुल: “मेरी बात सुनवाने के लिए मुझे फिर से वही करना पड़ेगा”

मैं: “हाथ भी मत लगाना मुझे अब, दूर रहो”

राहुल: “तो फिर मेरी बात सुनो, जैसे भी हो मैं तुम्हे अपनी बात सुनवा के रहूँगा। मुझ पर इल्जाम लगा हैं मैं अपना पक्ष रखूँगा। ”

मैंने उसको धक्का देकर बाहर जाने को बोला पर उसने मुझे पकड़ लिया और बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ा हुआ था। मैं लगातार आवाज निकालते हुए उसकी आवाज को दबा रही थी। उसने मेरे दोनों हाथ बिस्तर पर दबा कर मेरे पुरे पुरे शरीर को अपने नीचे दबा रखा था।

उसका लंड मेरी गांड से छू रहा था और धीरे धीरे वो कड़क हो मुझे चुभ सा रहा था।

उसने मेरी टांगो के बीच जगह बनाई और मैं चिल्लाई और तब तक उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल जोर जोर से धक्के मारना शुरू कर दिया।

उसके झटको से मेरा पूरा शरीर बिस्तर पर ऊपर नीचे हिल रहा था और मैं उस पर चिल्ला रही थी। थोड़ी ही देर में मेरा चिल्लाना धीरे धीरे कम होता गया और एक दम रुक गया।

फिर मेरे मुँह से सिर्फ सिसकियाँ निकल रही थी। उसने मुझे चोदते चोदते ही अपनी बात सुनाई।

राहुल: “भले ही मैंने तुम्हारी गांड धोखे से मारी थी पर हमारे बीच जो ऑफिस में हुआ वो तो तुम्हारी मर्जी से हुआ था या नहीं ? बोलो….अब कुछ क्यों नहीं बोलती ….. जवाब दो तुम भी मुझे चाहती हो”

मैं: “आअह्ह आह्ह हां वो मेरी मर्जी थी ”

राहुल: “कल रात को यहाँ रुकना तुम्हारी इच्छा से था, मैंने तो मजबूर नहीं किया था ना, बोलो?”

मैं: “हम्म्म अहहह हां मेरी मर्जी थी ”

राहुल: “मैंने तो तुम्हे जोसफ और जैक से बचाने की हमेशा कोशिश की हैं। मुझे अपनी रूही हर कीमत पर वापिस चाहिए थी, सारो कोशिशे कर ली, धोखा नहीं करता तो क्या करता, तुम्हारा दिल कैसे जीतता”

मैं: “जो प्यार करते हैं ..अहह.. झूठ नहीं बोलते, तुम कल रात .आह्ह.. मेरा फायदा उठाने से पहले मुझे सब सच बता सकते थे..आह्ह ..मुझे जोसफ से पता चला ”

राहुल: “मैं वैसे भी तुम्हे आज सुबह बताने वाला था। मुझे नहीं पता था जोसफ के पास ये वीडियो हैं। वरना मैं खुद पहले बता देता। आहहह आहहह आहहह ओह प्रतिमा, केन आई फक यू , अम्म्म हाहह आह्ह ”

मैं: “या या या उह्ह्ह उम्म्म हम्म्म हम्म्म ऊऊओह्ह्ह आआआ”

राहुल और मैं जोर से चीख निकालते और आहें भरते रहे, अंदर से फच्चाक फच्चाक की आवाजे आने लगी। मेरा तेजी से पानी छूटने लगा था और उसने अपनी पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी और फिर थोड़े हलके झटको के साथ बाकी की बची बुँदे भी मेरे अंदर डाल दी। हम दोनों बुरी तरह से हांफते हुए झड़ गए। और तेज तेज सांस लेते हुए हम वैसे ही बिस्तर पर पड़े रहे।

राहुल: “शायद ये हमारे बीच का आखिरी संबंध हो। पर फैसला तुम्हारे पास हैं। क्या तुमने कभी किसी को धोखा नहीं दिया”

मैं: “मैंने ऐसे कामो के लिए धोखा नहीं देती”

राहुल: “तो फिर नौकरी ज्वाइन करने के बाद जो तुम मेरा ध्यान अपने कपड़ो और उसमे से झाकते अंगो पर देखने पर मजबूर क्यों करती थी, वो क्या था ?”

अब झेंपने की बारी मेरी थी, उसको मेरी उस चाल के बारे में अब तक सब पता था। आग तो शायद मैंने ही लगाई थी। पर मेरी कोई बुरी नीयत नहीं थी कि किसी के इज्जत से खेलु।

मैं: “मैंने ऐसा कुछ नहीं किया हैं ”

राहुल: “मेरी नजरो में नजरे डाल कर बोलो”

मैं: “तुम मेरे ऊपर से हटो, तुमने अभी मेरे साथ जबरदस्ती की हैं ”

राहुल: “जबरदस्ती थी तो रोकने की बजाय आहें क्यों भर रही थी”

मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और भाग कर वाशरूम में चली गयी। मेरी एक चोरी भी पकड़ा गयी थी। पर उसके गुनाह के सामने मेरी गलती कुछ ही नहीं थी। मैं नहा धो कर साफ़ हो गयी। मेरे पास पहनने को कपड़े नहीं थे तो टॉवेल लपेट कर वाशरूम के दरवाजे से झाँका। राहुल वहां नहीं था पर बिस्तर पर मेरे सूखे हुए कपड़े पड़े थे।

मैं वाशरूम से बाहर आ गयी और बेडरूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े पहन लिए और तैयार हो गयी।

मैं अब बैडरूम से बाहर आयी, हाल में राहुल तैयार बैठा था। मेरे आते ही वो खड़ा हो गया। उसके हाथ में मेरा पर्स था जो उसने दिया।

राहुल: “चलो मैं तुम्हे घर छोड़ देता हूँ”

हम दोनों कार में थे और मेरे घर की तरफ जा रहे थे।

राहुल: “अगर तुम्हे मेरी शिकायत करके सजा दिलवानी हैं तो दे दो। माफ़ करना हैं तो कर दो। सब तुम्हारी मर्जी हैं। पर मैं तुमसे प्यार करना नहीं छोडूंगा, तुम करो या न करो ”

मैंने उसको कुछ नहीं बोला और घर पर आ गयी। मुझे इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरुरत थी।

घर पर आने के बाद पूरा दिन में इसी विचार में खोयी रही कि मुझे अब आगे क्या करना हैं। क्या मैं राहुल को माफ़ कर उसे एक और मौका दू या उसे हमेशा के लिए छोड़ कोई दूसरी नौकरी ढूंढ लू या फिर घर पर बैठ जाऊ।

मैंने कड़ी मेहनत से ये मुकाम पाया था, क्या मैं इसे अपने हाथ से जाने दू। मैं उन लोगो को छोड़ दू जिन्होंने मुझे धोखा दिया था। मैंने आखिर फैसला कर लिया था। मैं अपनी नौकरी और पोजीशन नहीं छोडूंगी, ये मेरे खून और पसीने से अर्जित की हुई हैं। मगर मैं राहुल को दूसरा मौका नहीं दूंगी। मेरे उसके साथ संबंध सिर्फ एक बॉस और कर्मचारी के होंगे और कोई दिल का रिश्ता नहीं होगा।

उसने मुझे धोखा दिया मगर मैं उसे एक बार माफ़ भी कर करती हूँ क्यों कि वो आग मैंने ही उसमे लगाई थी। पर सैंड्रा, उसका तो मुझसे कोई लेना देना ही नहीं था, उसको मेरा फायदा क्यों उठवाने दिया दुसरो से।

मैंने जैक के साथ थोड़ा समय ही तो बिताया था इसके बदले मेरा दिल तोड़ने की क्या जरुरत थी। यहाँ तक कि उसने मुझसे जैक को भी छीन लिया था।

अगले दिन रविवार की छुट्टी थी, और कल की परेशानी अब भी मेरे सर पर थी। तभी मुझे जोसफ की याद आयी, जिसने मेरी मदद की और मुझे उस कड़वे सच से रूबरू करवाया। उसको एक धन्यवाद देना तो बनता था। जैसे ही पति थोड़ा इधर उधर हुए मैंने जोसफ को फ़ोन मिलाया और उसको वो वीडियो भेजने के लिए धन्यवाद कहा।

उसने मेरी सलामती पूछी कि मैं ठीक हु या नहीं, उसको ये तो नहीं कह सकती थी कि उसका मैसेज देर से पढ़ने के कारण मैं लूट चुकी थी उसको अफ़सोस होता पर उससे माफ़ी जरूर मांगी कि मैंने उसको गलत समझा।

मैं उसके इशारे पढ़ नहीं पायी कि वो मेरा शुभचिंतक हैं। उसने मुझे मेरा ध्यान रखने की सलाह दी। फ़ोन रखने से पहले उसने एक और बात कही।

जोसफ: “मुझे तुमसे एक फेवर चाहिए”

एक बार तो मैं डर गयी, ये क्या मांगने वाला हैं और चुप हो गयी।

जोसफ: “घबराओ मत, कुछ ऐसा वैसा नहीं मांग रहा। वैसे मैं अपने लिए नहीं मांग रहा। ये जैक के लिए हैं। जब से उसने तुम्हे और मुझे एक साथ वो सब करते हुए देखा हैं, उसका दिल टूट गया हैं। उसकी हालत देख कर मुझे पता चला वो तुमको बहुत प्यार करता हैं। सैंड्रा ने मुझे उसे सच्चाई बताने से मना किया हैं। मैं चाहता हु कि तुम उससे मिलो”

मैं: “किस मुँह से जाऊ उसके सामने, मैं भी उसको बहुत पसंद करती हूँ पर अब वो मुझे देख कैसे रियेक्ट करेगा पता नहीं। शायद वो मुझसे मिलना भी ना चाहे”

जोसफ: “नहीं, उसे अब भी यकीन नहीं हैं कि तुम ऐसा कर सकती हो। उसने मुझसे भी कई बार पूछा पर मैं बता नहीं सकता था। सैंड्रा को पता चल गया तो वो मेरा जीना हराम कर देगी। तुम जैक से मिलने जाओ और उसको सब सच बताओ, और सैंड्रा के सामने ही बताओ ताकि वो मुझ पर शक ना करे कि मैंने जैक को सच बताया”

मैं: “जैक मेरी बात का यकीन क्यों करेगा भला ! तुम्हे क्या लगता हैं”

जोसफ: “करेगा, जरूर करेगा। सच्चा प्यार इतना कच्चा नहीं होता हैं। तुम सुबह के समय जाना जब सैंड्रा होगी या फिर शाम को”

मैं:”ठीक हैं मैं कोशिश करुँगी”

वीकेंड ख़त्म हुआ और सोमवार के दिन अशोक के घर से ऑफिस जाते ही मैं तैयार हुई। मैंने अपनी स्लीवलेस बॉडीकॉन ड्रेस पहनी जो घुटनो के ऊपर तक ही थी। मैं ऑफिस नहीं गयी और सीधा जैक के गेस्ट हाउस पहुंची। ड्राइवर गाड़ी के साथ बाहर ही खड़ा था मतलब सैंड्रा वही थी।

दरवाजा जैक ने ही खोला था। उसने मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया और फिर कुछ याद कर मुझसे कहा कि जोसफ तो बाहर गया हुआ हैं कुछ दिन के लिए काम से।

मैंने कहा कि मुझे पता हैं और मैं उसी से मिलने आयी हु। उसने मुझे अंदर लिया, सैंड्रा उस वक्त वाशरूम में थी। मैंने उसको सच बताना शुरू किया।

उस दिन जोसफ के साथ मैंने जो कुछ भी किया था वो सब मज़बूरी में सैंड्रा के कहने पर किया था ताकि वो मुझसे दूर हो जाये। मैं तो उसे अब भी चाहती हूँ। उसको मुझ पर यकीन हो भी गया, क्यों कि वो अपनी माँ की आदतों को अच्छे से पहचानता था। वो जैक की कुछ गर्लफ्रेंड को पहले भी भगा चुकी थी।

जैक: “तुम सिर्फ ये कहने के लिए ही आयी थी यहाँ”

मैं: “नहीं, मैं ये कहने भी आयी कि मैं तुम्हे और भी पसंद करने लगी हूँ। तुम्हारे जैसा सच्चा इंसान मिलना बहुत मुश्किल हैं। तुमने इतनी आसानी से मेरी बात पर विश्वास कर लिया”

जैक: “मुझे उसी दिन लग गया था जिस तरह तुम मुझसे नजरे चुरा रही थी। मुझे पता था तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकती”

मैं: “मुझ पर भरोसा बनाये रखने के लिए थैंक्स”

जैक: “पता नहीं तुम मुँह पर यकीन करोगी या नहीं पर आई रियली लव यू। तुम्हे नहीं पता तुमने यहाँ आकर…”

वो आगे कुछ बोल ही नहीं पाया. उसकी वो नीली नीली खूबसूरत आँखें एकदम नम हो चुकी थी और प्यार से मेरी तरफ ही देख रहा था। उसकी हालत देख मेरी भी आँख से एक दो आंसू टपक पड़े।

मैंने उसको “आई लव यू टू ” बोला और उसको अपने गले से लगा लिया। इतने बड़े धोखे के बाद उसकी बाहों में बहुत सुकून मिल रहा था।
इस कहानी के अगले व अंतिम अध्याय में पढ़िए मेरे कौन से हमसफ़र साथ रहे और कौन बिछड़ गए।

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