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Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-5

This story is part of the Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat series

तो दोस्तो जैसा आपने पार्ट 3 और पार्ट 4 में पढ़ा कि कैसे सरपंचने और मम्मीने एकदूसरे को खुश किया। मम्मीने सरपंचजी का लंड चूसकर उनको एक नया अनुभव दिया था और सरपंच जैसा गाव का तगडे मजबूत मर्द के नीचे सोकर मम्मी भी खुश हुयी थी। जैसा पार्ट 4 में पढा सुबह सरपंचजीने हमे शादीवाले घर छोड़ा और वो कही आगे निकल गये।

मैं और मम्मी शादीवाले घर पहुंचे वहां सब औरते मम्मी को देखकर मुस्करा रही थी लेकिन मम्मी ऐसे दिखा रही थी कि ये सब उन्होने मजबूरी में किया है। मम्मी अपने संस्कारी ढोंग का नाटक कर रही थी।

मैं मम्मी के पीछे पीछे ही जा रहा था फिर मम्मी अचानक एक रूम में गयी वहां वही औरत थी जिसने कल रात मम्मी को सजाया था। वो औरत मम्मी को देखकर मुस्कुरा रही थी मम्मी भी उसको देखकर मुस्कुरायी फिर उस औरत ने दरवाजा बंद कर लिया मैं बाहर ही रुका और उनकी बातें सुनने लगा।

मम्मी : तुम ? तुम यहाँ कैसे ?

औरत : जी मालिक ने भेजा है आपके साथ रहने के लिये।

मम्मी : मेरे साथ ? क्यों ?

औरत : जी पता नही मालिक ने हुकुम किया और मैं आ गयी वो सब छोड़िये। पहले आप ये बताइये कैसी रही रात ? मालिक ने ज्यादा परेशान तो नही किया ना ?

मम्मी : (मुस्कुराकर) जी बहोत अच्छी रही। आपके मालिक कहां परेशान करते है वो तो चरमसुख देते है जो हर एक औरत चाहती है।

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औरत : अच्छा जी इतने पसंद आये हमारे मालिक आपको ?

मम्मी : (शरमाते हुये) हां

औरत : (हसकर) तो और एक रात गुजारिये हमारे मालिक के साथ और भी मजे देंगे वो आपको।

मम्मी : जी अब और कहां शादी के बाद जाना होगा वापस।

औरत : कोई बहाना मारकर रुक जाना।

मम्मी : क्या बहाना बनाऊ और मनीष के पापा भी तो आनेवाले है आज। उनसे क्या कहु ?

औरत : तो उनको भी रोक ले साथ । मैं कहती हूं मालिक को आपकी रखेल एक और रात रहना चाहती है।

मम्मी : पर मनीष के पापा के होते हुये सरपंचजी के साथ कैसे ??

औरत : वो सब मालिक संभाल लेंगे अच्छा ये बता तू तो खुश हो गयी। मालिक खुश हुये या नही ?

मम्मी : वो तो तू तेरे मालिक से ही पूछ ले मुझे तो लगता है कि उनको मैंने खुश किया।

औरत : उन्होंने तुझे कुछ गिफ्ट नही दिया क्या ?

मम्मी : नही तो कैसा गिफ्ट ?

औरत : तुझे बताया था ना मैंने जिसको भी मालिक चोदते है । उसको कोई गिफ्ट देते है।

मम्मी : (नाराज होकर) नही मुझे नही दिया कुछ।

उतने में किसीने दरवाजा खटखटाया और दोनों बाहर आ गयी। फिर दोपहर में दुल्हेवाले यानी हमारे रिश्तेदार आये पापा भी आये थे। मैं पापा के पास जाकर बैठा और मम्मी शाम के शादी के लिये तैयार हो रही थी।

मम्मी ने हल्की गुलाबी रंग की ट्रांसपरंट सारी और उसपर डार्क गुलाबी रंग का ब्लाउज पहना था। ब्लाउज बैकलेस डीप गलेवाला था पीछेसे दोरिया थी बांधने के लिये।

मम्मी की चिकनी पीठ पर वो डोरियों का जिगजैग पैटर्न कमाल लग रहा था। ट्रांसपेरेंट सारी से मम्मी के बूब्स का आकार साफ दिखाई दे रहा था और नाभी के भी दर्शन हो रहे थे।

बाल बंधे थे बालोपर गजरा लगाया हुआ था हाय हिल वाली सैंडल पहनी थी जिसकी वजह से गांड बाहर निकली थी। मम्मी किसी हीरोइन से कम नही लग रही थी। गाँव वाले हर मर्द की नजर मम्मी पर थी क्योंकि दुल्हन से ज्यादा कमाल तो ममी लग रही थी।

शादी के समय से आधा घण्टा पहिले सरपंचजी भी आये कल की तरह आज भी सरपंचजी की एंट्री धमाकेदार हुयी

सरपंचजी ने व्हाइट कुर्ता व्हाइट पैंट और ऊपर ब्लैक स्लीवलेस ब्लेझर पहना था सरपंचजी हैंडसम लग रहे थे।उनके आते ही सब खड़े हो गये पापा भी खड़े हुये फिर सरपंचजी बैठने के बाद सब बैठ गये फिर पापा ने मुझे पूछा “बेटा ये कौन है ?”

मैं : पापा ये इस गाँव के सरपंचजी है।

पापा : अच्छा पर ये सब लोग खड़े क्यों हुये आने के बाद ?

मैं : पापा इस गांव के सब लोग उनको मानते है। उनका मान रखते है और बड़े जमीनदार भी है।

पापा : अच्छा तुम्हे ये सब कैसे पता?

मैं : वो पापा सरपंचजी कल भी आये थे ना हल्दी के लिये।

पापा : और क्या बेटा।

मैं : पापा इनकी बहोत बड़ी हवेली भी है कल रात हम वही रुके थे

पापा : क्या ?

मैं : हां।

पापा : दूल्हा भी आया था क्या।

मैं : नही मैं और मम्मी ही गये थे बहोत बड़ी हवेली है उनकी।

पापा ये सब सुनकर चौक गये फिर सरपंचजी ने मुझे देखा उनको अंदाजा लग गया कि मेरे बाजू में बैठा हुआ आदमी मेरा बाप है। वो हमारे पास आये और मुझसे कहने लगे।

सरपंचजी : और मनीष बेटा क्या कर रहे हो।

मैं :जी कुछ नही पापा से बाते कर रहा हूं।

सरपंचजी : अच्छा हमे नही मिलाओगे पापा से।

फिर सरपंचजी और पापा बात करने लगे सरपंचजी ने बातों ही बातों में पापा के साथ अच्छी बॉन्डिंग बनायी दोनों को एक साथ देखकर मम्मी भी घबरा रही थी पर सरपंचजी ने उनको इशारे में शांत रहने को कहा।

सरपंचजी ने बातों बातों में पापा को बताया कि कल रात मैं और मम्मी उनके हवेली पर रुके थे क्योंकि ये हमारे गांव का रिवाज है। ये सुनकर पापा को जो पहले शक हुआ वो दूर हुआ, उनको सरपंच अब अच्छा आदमी लगा। क्योंकि उसने खुद कबूल किया कि मम्मी और मैं कल उसके हवेली पर थे।

फिर शादी के बाद पापा और सरपंचजी ने साथ मे खाना भी खाया गांव के लोग बोल रहे थे “सरपंचजी को तो देखो कल रात जिसकी बीवी को चोदा आज उसीके साथ बैठकर खाना खा रहा है ” कोई कहता ” उस बिचारे को क्या पता वो जिसके साथ खाना खा रहा है कल उसीने उसके बीवी की जवानी खायी है’ और हसने लगे।

थोड़ी देर बाद मम्मी भी उन दोनों के पास गयी अब हम चारो आसपास थे। फिर सरपंचजी ने पापा को आज रात हवेली पर रुकने का आमंत्रण दिया पर पापा मना कर रहे थे।

सरपंचजी होशियार थे उन्होंने रिवाज की बात कहकर कहा कि “हमारे गांव का रिवाज है कि शादी के घर जो मेहमान आते है वो हमारे हवेली जरूर रुकते है। और मम्मी की ओर देखकर कहा कल रात हमने आपकी पत्नी की अच्छे से मेहमाननवाजी की आज भी करने का मौका दीजिये ” ये सुनकर मम्मी मुस्करायी।

फिर पापा ने मम्मी की ओर देखा मम्मी ने भी रुकने के लिये हां बोला तो पापा मान गये और हम उस रात फिर से हवेली गये, पर आज हमारे साथ पापा भी थे। अब पापा के सामने सरपंचजी कैसे मजे लेंगे या वो रात बिना चुदाई की ही निकल जाती है जानने के लिये अगला पार्ट जरूर पढिये।

दोस्तो कहानी पसंद आयी हो तो लाइक कीजिये और कमेंट में जरूर बताइये की कहानी कैसे लगी। कोई अगर मुझसे फीडबैक देना चाहता है तो मेल कीजिये या हेंगआउट पर मैसेज कीजिये।

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