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Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-3

नमस्कार दोस्तो इस कहानी के तीसरे पार्ट में आपका स्वागत है। जैसे आपने दूसरे पार्ट में पढ़ा की मैं और मम्मी सरपंचजी के हवेली पर पहुंच गये थे और मम्मी सरपंचजी को खुश करने के लिये तैयार हुई थी।

मम्मी को एक हवेली पर की औरत ने दुल्हन की तरह तैयार किया था मम्मी लाल साडी में बहोत सेक्सी आयटम लग रही थी अब इस पार्ट में देखिये आगे क्या होता है।

उस औरत ने पहिली मंजिल के एक कमरे मे मम्मी को अंदर छोड़ा और वो बाहर खडी थी तभी नीचे से सरपंचजी आये। सरपंचजी के बदन पर सफेद धोती थी और स्काय ब्लू कलर का कुर्ता था।

फिर उन्होंने उस औरत से कुछ बात की और उसके हाथों में कुछ पैसे रखे। कमरे के अंदर जाते ही दरवाजा बंद कर लिया। पैसे मिलते ही वो औऱत नीचे गयी और शायद उसके घर गयी। मैंने इधर उधर देखा उस पहिली मंजिल पर कोई नही था सिर्फ मैं मम्मी और सरपंचजी।

नीचे नौकर दारू पी रहे थे और हस हसकर कुछ बाते कर रहे थे मैं धीरे से उस रूम के बाहर गया और कान देकर सुनने की कोशिश कर रहा था पर कुछ सुनायी नही दे रहा था। हवेली पुरानी थी और उस कमरे के दरवाजे पर थोडा छेद था।

मैं उससे झांकके एक आंख से देखने लगा मैंने देखा अंदर मोमबतियां जल रही थी और एक बड़ा बेड था। उसपर गुलाब की पत्तियां बिखरी थी मम्मी बेड पर बैठी थी।

सरपंचजी भी मम्मी के सामने ही बैठे थे सरपंचजी ने मम्मी का चेहरा एक हाथ से उठाया और बोले “बहोत सुंदर दिख रही हो” मम्मीके पास जाकर उनके होठो से होंठ मिलाने ही वाले थे कि मम्मी ने मुस्कुराकर उनका चेहरा दूसरी ओर मोड़ लिया।

सरपंचजी को मम्मी का वो शरमाकर मुस्कराना अच्छा लगा अब वो मम्मी के बालों में लगे हुये गजरे की खुशबू को सूंघ रहे थे। फिर उन्होंने धीरे से वो गजरा निकाला और उनकी हथेली पर बांध दिया और मम्मी के बाल खुले किये।

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मम्मी के बालों को एक बाजू करके सरपंचजी मम्मी के कानों के पास जाकर उनकी गर्दन को चूम रहे थे। मम्मी के कानो के पास चलती सरपंचजी की गरम सांसे भी मम्मी को अलग एहसास दे रही थी। सरपंचजी ने मम्मी के बलाउज का लेस खोला और मम्मी का बलाउज एक कंधे से निकालकर उस कंधे पर चुम रहे थे। सरपंचजी का हर एक स्पर्श मम्मी की कामवासना बढा रहा था।

मम्मी आंखे बंद करके सरपंचजी के हरकतों का मजा उठा रही थी। मम्मी के मुहसे निकलनेवाली सिसकारी सरपंचजी को आगे बढ़ने का इशारा कर रही थी।

फिर सरपंचजी ने मम्मी का बलाउज उनकी जिस्म से अलग किया। लाल ब्रा में मम्मी के बड़े चिकने बूब्स बहोत सुंदर लग रहे थे फिर सरपंचजी ने मम्मी का चेहरा अपनी ओर करके अपने ओठो से मम्मी के ओठ मिलाकर किस करना शुरू किया।

दोनों आंखे बंद करके एकदूसरे के ओठो की प्यास बुझा रहे थे सरपंचजी के ओठो को मम्मी के ओठ इस तरह चिपक गये थे जैसे मधुमक्खी फूलोसे चिपकती है दोनों बहोत पैशनेटली एकदूसरे के मुंह मे मुंह डालकर चूस रहे थे इनदोनो की हरकतें देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो रहा था।

फिर सरपंचजीने उनका कुर्ता निकाला और जमीन पर फेंक दिया और मम्मी को बेडपर लिटाकर उनके उपर आ गये सरपंचजी ने मम्मी के सारी को कमर से अलग कर दिया पेटीकोट का नाडा खोलकर उसे भी निचे फेक दिया। मम्मी भी पेटीकोट निकालते समय गांड उठाकर सरपंचजी की मदद कर रही थी मम्मी के ये हरकत देखकर सरपंचजी समझ गये की मम्मी अब गरम हो गयी है । हर उतरते कपड़े के साथ मम्मी का बदन उस मोमबत्ती के उजाले में और भी मादक लग रहा था।

फिर सरपंचजी मम्मी को और भी गरम करने लगे वो मम्मी के पैर के पास आकर मम्मी का एक पैर हाथो में लेकर पैरोंपर चूमने लगे और दूसरे हाथ से मम्मी की मोटी चिकनी जांघो को दबा रहे थे।

सरपंचजी की इन हरकतों का मम्मी आंखे बंद करके ऐसे मजे ले रही थी जैसे कोई गैरमर्द उनके साथ है ही नही। फिर सरपंचजी मम्मी के पेट पर हथेली घूमाने लगे और नाभी के आसपास जुबान घुमा रहे थे सरपंचजी की गरम थूक से मम्मी तडप उठी और आह आह करके सिसकिया ले रही थी।

फिर सरपंचजी ने मम्मी को बेड से उठाया और उनकी गोद में मम्मी को बिठाया मम्मी के दोनों पैर सरपंचजीके कमर को जकड़ रहे थे इस पोजीशन में सरपंचजी फिर से मम्मी के ओठो का रस पीने लगे मम्मी के पीठ पर हाथ घुमा रहे थे मम्मी के कूल्हे दबा रहे थे। मम्मी भी सरपंचजी के बालों में उंगलिया डालकर खेल रही थी आंख बंद करके सरपंचजी की सख्त पीठ पर हाथ घुमा रही थी।

सरपंचजी ने ब्रा का हुक खोला ब्रा को नीचे फेकते ही मम्मी के दुधु देखकर सरपंचजी के मुहसे लार टपकने लगी वो मम्मी के चिकने स्तनोंको चूसना चाहते थे।

मम्मी का एक दूध मुह में लेकर चूसने लगे मम्मी भी आंखे बंद करके सरपंचजीका सिर हाथो से दबाकर मस्त चुसवा रही थी।

फिर सरपंचजीने मम्मी को बेडपर लिटाया और धोती खोलकर मम्मी के उपर आकर मम्मी के बूब्स चूस रहे थे एक हाथ से एक बूब दबाते और दूसरा चूसते।

मम्मी के बूब्स सरपंचजी की गरम लार से भीग गये थे सरपंचजी ने मम्मी के बदन का हर एक हिस्सा चूमकर गरम कर दिया था। फिर सरपंचजी धीरे धीरे चूमते हुये नीचे आये और मम्मी की पैंटी निकाली।

मम्मी की गुलाबी चिकनी चूत सरपंचजी की आंखो के सामने आ गयी उन्होंने मम्मी के चूत पर हाथ फेरा और बोले “वा !! क्या मस्त चूत है यार तेरी। इतनी चिकनी साफसूत्री चूत मजा आयेगा आज । हमेशा ऐसे ही रखती है क्या बाल काटकर” मम्मी बोली “हां”

सरपंचजी बोले “यार तेरा पती बहोत किस्मतवाला है जो उसे रोज ऐसी चूत मिलती है चोदने के लिये। पर लगता है तेरा पती तुझे खुश नही रखता”

मम्मी बोली “हां अब तक आपने जितना मुझे गरम किया है इतनी गरम मैं आज तक नही हुयी हूं।”

सरपंचजी ने अंडरवियर उतारते हुये मम्मी से कहा “आज तेरी चूत की आग मेरा ये काला नाग शांत करेगा ..जब से तुझे देखा है जिद कर बैठा है कि तेरी चूत के बिल में इसे जाना है”

सरपंचजी का काला 8 इंच लंड देखकर मम्मी ने कहा “आपका नाग तो लंबा और कडक है। क्यों तड़पा रहे हो आप इसे पूरी कीजिये इसकी इच्छा” और दोनों हसने लगे।

फिर सरपंचजीने मम्मी के दोनों पैरों को कंधो पर लिया और लंड चूत की द्वार पर रखकर एक जोर से झटका दिया एक झटके में ही सरपंचजी का लंड अंदर चला गया क्योंकि सरपंचजीके गरम फोरप्लेने मम्मी की चूत को पहलेसेही गिला कर रखा था।

फिर सरपंचजी मम्मी को धक्के मार रहे थे और मम्मी आह आह करके मस्त चुदवा रही थी सरपंचजी के धक्कों से बेड हिल रहा था और आवाज कर रहा था इतनी जोरो की चुदाई चल रही थी मम्मी बिना किसी शरम के मजे ले रही थी।

10 मिनिट धक्के मारने के बाद सरपंचजीने उनका लंड चूत से निकाला और मम्मी को उनकी जांघो पर बिठाकर खुद बेडपर लेटकर नीचे से उनकी चूत में लंड घुसा रहे थे मम्मी भी उछल उछल कर सरपंचजीका साथ दे रही थी।

10 मिनिट फिर से पोजीशन बदली और सरपंचजी ने फिर से मम्मी को बेड के किनारे लाकर उनके पैर फैलाये और खुद जमीन पर खड़े होकर चोद रहे थे।

फिर 10 मिनिट ऐसे चोदने के बाद सरपंचजीने लंड बाहर निकाला और हिलाकर वो उनका सफेद गाढ़ा वीर्य मम्मी के पेटपर गिरानेही वाले थे कि मम्मी ने उनका काला लंड अपने मुह में लेकर चूसने लगी।

मम्मी के इस हरकत से सरपंचजी चौक गये लेकिन मम्मी लंड चूसने में लगी हुयी थी, और सरपंचजी के लंडको मम्मी के मुह में की लार और गरमाहट ने ज्यादा देर टिकने नही दिया और सरपंचजी का वीर्य मम्मी के मुह में गिर गया मम्मी ने सारा वीर्य पी लिया। मम्मी के चेहरे पर अलग ही खुशी थी लंड चूसने की ये आदत मम्मी को मेरे टिचर राजकुमारजी ने लगायी थी (मेरी पहली कहानी मम्मी और टीचर की सेक्स कहानी जरूर पढ़ें)

फिर सरपंचजी और मम्मी बेड पर लेट गये दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्करा रहे थे इतनी देर की कामुक आवाजो के बाद कमरा शांत हुआ था।

सरपंचजी ने मम्मी को उनकी बाहों में लिया मम्मी उनका सर सरपंचजी के चौड़ी मर्दाना छाती पर रखी थी और वो छातीपर के बालों को सहला रही थी। सरपंचजीने मम्मी को कहा “कैसा रहा मजा आया ना तुझे ” मम्मी सरपंचजी की ओर देखकर हसकर हां मे गर्दन हिलायी और सरपंचजी से जोर से चिपक गयी।

फिर सरपंचजी ने कहा ” सच मे ऐसा अनुभव आजतक मुझे किसी औरत ने नही दिया ..”

मम्मी ने भी उनकी तारीफ करते हुये कहा “आप कम थोड़ी ना है …आपके नाग ने भी तो मुझे तृप्त कर दिया…आप का ये मर्दाना जिस्म हरएक स्त्री को आकर्षित कर सकता है कोईभी स्त्री आप जैसे मर्द के नीचे आने के लिये तडपती होगी ”

सरपंचजी ये सुनकर खुश हुये और कहा “सच” मम्मी ने कहा “जी हां आप जब शादीवाले घर मे आये थे ना। तभी आपका रुतबा और मर्दाना अंदाज मुझे पसंद आया था। जितना बेताब आप थे मेरे साथ सोने में उतनी ही बेताब मैं थी आपके नीचे सोने में।” मम्मी की बाते सूनकर सरपंचजी को अब उनकी मर्दानगी पर गर्व हो रहा था।

सरपंचजी ने आगे कहा “तुम्हारा ये लंड चुसने का अंदाज मुझे बहोत पसंद आया। आजतक मैने ये सिर्फ ब्लू फिल्म में देखा था .. जब तुम लंड चूस रही थी ना मैं अलग ही दुनिया मे था ऐसा लग रहा था कि ये रात खत्म ही ना हो”

मम्मी ये सुनकर शरमा गयी और कहने लगी “चाहती तो मैं भी यही हूं सरपंच बाबू कि ये रात कभी खत्म ना हो”

ये कहकर दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने लगे। फिर सरपंचजी ने कहा “अब 1 घण्टा सोते है फिरसे करेंगे तब तक तुम्हारी चूत को आराम मिलेगा और मेरा लंड भी तैयार ही जायेगा ” और दोनों वैसे ही बाहों में बाहे डालकर नंगे सो गये।

मम्मी अब कितनी चुदककड हुयी थी कि एक ही रात में एक अनजान आदमी के साथ ऐसा बर्ताव कर रही थी जैसे वो गैरमर्द है ही नही फिर मैं वहां से निकलकर अपने कमरे में जा रहा था।

तभी नीचे नौकरो की बाते सुनने में आयी “आज उस रंडी को मालिक रातभर चोदचोदकर उसका कीमा बना देंगे …. हां यार लेकिन कुछ भी कहो वो रंडी है बड़ी कमाल की… अरे पर कितनी बेशरम है देख ना चुदवाने आयी है और वो भी बेटे को साथ लेकर …”

मम्मी के लिये ऐसी बाते सुनकर मुझे अजीब महसूस हो रहा था। फिर मैं अपने कमरे में चला गया सोने की कोशिश कर रहा था पर क्या खाक नींद आयेगी । जब लाइव चुदाई देखने का चांस हो तो कौन सोना चाहेगा।

मैं फिर से उसी कमरे की तरफ निकल पड़ा जहां मम्मी सरपंचजीकी एक रंडी बनकर चुद रही थी मैने फिर से दरवाजे से देखा मम्मी अब सरपंचजी खड़े थे और मम्मी नीचे घुटने के बल बैठकर उनका लंड चूस रही थी एक पोर्नस्टार की तरह। सरपंचजी के मुह से आह आह निकल रहा था सरपंचजी आंखे बंद करके मजे ले रहे थे।

फिर मम्मी ने मुह से लंड निकाला मम्मी के थूक से लंड चमक रहा था सरपंचजी का लंड फिर से तन के नये जोश के साथ चुदाई के लिये खड़ा हुआ । सरपंचजी ने मम्मी को बेडपर लिटाया और वो मम्मी के जांघो की तरफ जा रहे थे।

सरपंचजी अब मम्मी के चूत के इर्दगिर्द जुबान फेर रहे थे और मम्मी आहे भर रही थी फिर सरपंचजी मम्मी के चूत के दाने को जुबान से हिलाया। इस हरकत से तो मम्मी एक मछली की तरह तडप उठी और सरपंचजी के मुह को अपने हाथोंसे चूत में घुसा रही थी। फिर सरपंचजीने मम्मी को चूत चाटनी शुरू की मम्मी अब उनकी गुलाम बन गयी थी।

मम्मी को अब जल्द ही उनके चूत में लंड चाहिये था और उन्होने सरपंचजी से कहा “सरपंच बाबू बस हो गया अब और ना तड़पाओ जी…डाल दो आपका लंड अंदर…मेरी चुत और आपका ये जुल्म नही सह सकती । सरपंचबाबू कर दीजिये मेरी चुत की आग को शांत …हहहह उफ्फ्फ…” सरपंचजी कहा मानने वाले थे वो चूत चाटते रहे।

मम्मी आउट ऑफ कंट्रोल हुयी और सरपंचजी के मुहपर झड़ गयी। मम्मी के चुत का रस पीकर सरपंचजी भी खुश हुये उन्होंने फिर से मम्मी के गरम और नरम जिस्म को चूम चूमकर मम्मी की कामवासना जगाना शुरू किया। जल्दही मम्मी चुदने के लिये बेताब हुयी और इसबार सरपंचजी ने मम्मी को उनकी कुतिया बनाया यानी डॉगी स्टाइल में धक्के देकर चोदने लगे।

इस पोजीशन में मम्मी और सरपंचजी बहोत ख़ूबसूरत लग रहे थे सरपंचजी पीछे से जोर जोर से धक्के दे रहे थे उसकी वजह से पलंग जोरो से हिल रहा था और मम्मी के चूतड़ सरपंचजी के गोटियों को जोरो से लग रहे थे तो कमरे में थप थप आवाजे गूंज रही थी बहोत मादक आवाज थी मम्मी के बूब्स जोर जोर से हवा में हिल रहे थे।

ये चुदाई देखकर मेरी हालत और खराब हो गयी मेरा लंड अब आउट ऑफ कंट्रोल हो गया और मैं लंड हिलाने लगा । ऐसा लग ही नही रहा था कि ये चुदाई किसी गांव में हो रही है क्योंकि ये एक पोर्नवीडियो कि तरह लग रहा था ।

थोड़ी देर बाद सरपंचजी ने लंड बाहर निकाला मम्मी की गोरी चूतड़ सरपंचजीके धक्कों से लाल हुयी थी फिर सरपंचजी मम्मी को बेड पर पटककर पैर कंधो पर लेकर इतने जोर से चुदाई कर रहे थे कि मम्मी का सब जिस्म हिल रहा था। पलंग तो ऐसे हिल रहा था जैसे भूकंप आया हो।

10 मिनिट की ठुकाई के बाद सरपंचजी का निकलनेवाला था उन्होंने मम्मी से पूछा कहां निकालू तो मम्मी ने चुत में ही निकालने को कहा और सरपंचजीने उनका गरम सफेद गाढ़ा वीर्य मम्मी के चुत में निकाल दिया। सरपंचजी इतनी घमासान चुदाई के बाद मम्मी के उपर ही ढेर हो गये।

मम्मी भी थक गयी थी उनके चेहरे पर थकान के साथ खुशी भी थी शायद मेरे टीचर राजकुमारजी से भी ज्यादा मजा मम्मी को सरपंचजी के साथ आया था। यहां मेरा भी निकल गया और ये मेरी पहली मेरी मुठ थी जो कि मैंने अपनी ही मा को एक गैरमर्द के साथ चुदवाते हुये निकाली थी मैं भी थक गया था और कमरे में जाकर सो गया।

अगले पार्ट में देखिये की कैसे शादी के रात क्या होता है क्या सरपंचजी मम्मी को और एक रात उनकी हवेली पर चोदेगे या पापा को मम्मी की चुदाई के बारे में पता चल जाता है ।

दोस्तो कहानी पसंद आयी हो तो लाइक कीजिये और कमेंट में जरूर बताइये की कहानी कैसे लगी। कोई अगर मुझसे फीडबैक देना चाहता है तो मेल कीजिये या हेंगआउट पर मैसेज कीजिये।

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