Hindi Sex StoriesUncategorized

Nayi Dagar, Naye Humsafar – Episode 9

This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series

मैंने दोनों हाथ से अपने शर्ट के बटन खोलना शरू किया और वो देखता रहा। ऊपर के तीन बटन खुल चुके थे और अंदर मेरे ब्रा के साथ उनमे से निकलते मेरे मोटे मम्मे दिखने लगे थे।

जोसफ: “रुको रुको, ना ना ना। कपड़े खोलने की जरुरत नहीं।”

मैं बटन खोलते खोलते रुक गयी कि उसको क्या हुआ और उसकी ओर आश्चर्य से देखने लगी।

जोसफ: “तुम अपनी तरक्की के लिए किसी के भी साथ चुदवाने के लिए तैयार हो जाती हो आसानी से ! मैं सिर्फ परीक्षा ले रहा था। तुम फेल हो गयी। तुम यहाँ से जाओ।”

मुझे कुछ समझ नहीं आया उसने मेरे साथ कैसा खेल खेला था। मैंने अपने शर्ट के बटन फिर से बंद कर दिए और अपना बेग उठा कर बाहर जाने लगी।

थोड़ा रुकी कि उससे फिर थोड़ी विनती करू पर बिना कुछ करे ही वो मेरी इज्जत उतार चूका था तो हिम्मत नहीं हुई और मैं वहा से निकल ऑफिस आ गयी।

राहुल को पता था कि मैं आज जोसफ से मिलने वाली थी , अब वो पूछेगा तो क्या जवाब दूंगी। थोड़ी देर में जैसे ही राहुल को पता चला मैं आ गयी हु तो उसने मुझे अंदर बुला लिया।

वो एक बार फिर से मेरा ऊपर से नीचे निरिक्षण करने लगा कही जोसफ ने मेरी हालत तो ख़राब नहीं की थी। इससे पहले कि वो कुछ पूछता मैं खुद ही बोल पड़ी।

Related Articles

मैं: “मैं जोसफ से मिलने नहीं गयी। ”

ये सुनते ही राहुल के चेहरे पर चिंता की लकीरे हट गयी। वो थोड़ा मुस्कुराया।

राहुल: “बहुत अच्छा किया, मैं भी तुम्हे ये ही बोल रहा था। तुम अब जाओ और चिंता मत करना, जो भी होगा मैं संभाल लूंगा।”

सैंड्रा और उसका सौतेला बेटा जैक वैसे भी शहर से बाहर गए थे। अगले हफ्ते सैंड्रा और जैक के आने तक कुछ भी होने वाला नहीं था। मैं खुश थी कि जोसफ के चंगुल में नहीं फंसी। पर रह रह कर जैक की याद आ रही थी। मैं उसके इतना करीब आ गयी थी।

उस दिन अगर जोसफ वहा नहीं आया होता तो जैक और मेरे बीच मामला थोड़ा आगे बढ़ सकता था, साथ ही ये सारी मुसीबत भी नहीं होती।

साथ ही मैं राहुल के बारे में भी सोच रही थी। वो मेरे लिए कितना चिंतित था और मेरे जैक या जोसफ के साथ समय बिताने पर उसको कितना फर्क पड़ रहा था। इतनी फिक्र तो मेरे पति को भी नहीं होती।

अगले हफ्ते जिस दिन सुबह जैक और सैंड्रा वापिस आने वाले थे, सुबह से ही मेरी चिंता बढ़ गयी थी। जोसफ अब सब कुछ सैंड्रा को बताने वाला था, पता नहीं सैंड्रा को कैसा लगेगा और क्या फैसला लेगी।

मैं ऑफिस में आ गयी थी और दिल धक धक कर रहा था कि पता नहीं कब राहुल तक फैसला पहुंच जाये कि डील कैंसल हो गयी हैं।

दोपहर बाद जब मैं वाशरूम से हो कर वापिस अपनी सीट पर गयी तो पता चला कि जैक आया हैं और राहुल के केबिन में हैं। मैं बहुत खुश हुई, इतने दिनों बाद जैक को देखूंगी।

मैं तेजी से चलते हुए राहुल के केबिन की तरफ बढ़ी। आज पहली बार उत्साह में बिना दस्तक के मैं अंदर दाखिल हो गयी। राहुल के टेबल के सामने वाली कुर्सी पर जैक बैठा था मेरी तरफ पीठ करके। मेरे अंदर आते ही जैक पीछे मुड़ा और मुझे देख कर खड़ा हो गया। वो मेरे थोड़ा करीब आया और मुझे जकड कर आलिंगन कर लिया।

उसने मुझे पीठ से कस कर पकड़ा हुआ था और मेरे मम्मे उसके सीने से दब गए थे। मेरे आँखों के सामने राहुल था जो ये दृश्य देख कर असहज हो रहा था। पहली बार जैक से गले लग मुझे भी अच्छा लग रहा था।

जैक मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा और फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए। हमने एक दूजे की आँखों में देखा और वो आगे बढ़ कर मेरे होंठो को गहराई से चूसने लगा । हमारे मुँह की लार से चूमते चूमते चप्प चप्प की आवाज आने लगी थी।

हम दोनों बिलकुल भूल ही गए थे कि हम कहा खड़े हैं। राहुल ने थोड़ा खांसते हुए हमें अहसास दिलाया कि वो भी वहा हैं और हमने एक दूसरे को चूमना छोड़ा और उसकी तरफ देखने लगे। वो दूसरी दिशा में देख रहा था ताकि हम शर्मिंदा ना हो ।

मुझे राहुल के लिए थोड़ा बुरा लगा, मुझे पता था कि वो रूही समझ कर मुझसे प्यार करने लगा था। उस दिन पार्टी वाली रात वो मुझे चूमना चाहता था और मैंने मना कर दिया था पर आज मुझे उसके सामने कोई और चुम रहा था और मैं मना नहीं कर रही थी।

जैक: “हम चले?”

मैं: “मेरा ऑफिस चालू हैं। ”

जैक: “छुट्टी ले लो, राहुल प्लीज आज उसको छुट्टी दे दो। ”

राहुल: “प्रतिमा वैसे भी छुट्टी नहीं लेती हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। उससे पहले मुझे प्रतिमा से थोड़ी बात करनी हैं।”

जैक: “ओके, मैं तुम्हारा बाहर पार्किंग में वेट करता हूँ। ”

जैक केबिन से बाहर निकल गया। राहुल ने मुझे बैठने के लिए बोला और मैं उसके सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी।

अब राहुल ने समझाना शुरू किया “देखो मुझे नहीं पता तुम दोनों के बीच क्या चल रहा हैं। तुम दोनों के बीच प्यार हैं या सिर्फ आकर्षण हैं ये तुम्हारा निजी मामला हैं। अगर ये प्यार हैं तो इसका क्या भविष्य हैं? प्रतिमा तुम शादीशुदा हो, जैक को क्या पता हैं?”

मैं: “तुम सही बोल रहे हो पर शायद हमें भी नहीं पता ये क्या हैं। अभी हम सिर्फ एक दूसरे को ज्यादा जानने की कोशिश कर रहे हैं। मान लेते हैं कि अभी ये आकर्षण हैं। ”

राहुल: “ठीक हैं , पर थोड़ा ध्यान रखना, हमारे समाज में एक शादीशुदा औरत का इस तरह का रिश्ता… बाकी तुम खुद समझदार हो। मैं एक शुभचिंतक होने के नाते बता रहा हूँ। ”

मैं: “उस दिन पार्टी में जो तुमने करने की कोशिश की थी वो क्या था ?”

राहुल: “मैं मानता हु वो मेरी गलती थी, पर वो सिर्फ मेरा आकर्षण नहीं था। मैं किसी का इस्तेमाल कर फेंक दू ऐसा नहीं हैं। जैक कुछ दिनों बाद अपने वतन लौट जायेगा, मुझे लगता हैं ये जैक के लिए सिर्फ एक खेल हैं।”

मैं: “मुझे बस ये पता हैं कि वो मुझे पसंद करने लगा हैं।”

राहुल: “प्रतिमा सोच लो, जैक के आगे भी तुम्हारी ज़िन्दगी हैं।”

मैं: “मुझे पता हैं राहुल, मैं भी पूरी ज़िन्दगी जैक के साथ गुजारने क बारे में नहीं सोच रही हूँ। पर जब तक वो मेरे सामने हैं मैं उसको रोक भी नहीं पा रही हूँ।”

राहुल: “मुझे जो समझाना था समझा दिया, बाकी तुम दोनों का फैसला और जिंदगी।”

मुझे पता था जैक के साथ आगे बढ़ने का मेरा निर्णय गलत था पर उस वक्त मुझ पर उसका जादू चढ़ा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। मैं अब केबिन से बाहर आ कर जैक के पास पार्किंग में आ गयी।

मैं: “जैक, कहाँ जायेंगे? होटल नहीं जा सकते, फिर जोसफ आ गया तो ?”

जैक: “अब हम होटल में नहीं रहते, कुछ दिन पहले ही हमारा कंपनी गेस्ट हाउस क्लीन हो गया तो आज सुबह एयरपोर्ट से आने के बाद हम सीधा गेस्ट हॉउस ही गए थे । सैंड्रा और जोसफ अभी ऑफिस में होंगे तो हम गेस्ट हाउस चलते हैं।”

हम गेस्ट हाउस पहुंचे और जैक मुझे लेकर सीधा बैडरूम में आ गया । मैं अपनी शपथ जैक के आकर्षण में भूल चुकी थी। मुझे पता था कि मैं एक गलती करने जा रही थी पर एक रोमांच और उत्साह था जो कि मुझे रोक नहीं पा रहा था।

जैक: “उस दिन होटल में क्या हुआ था, जोसफ ने तुमसे क्या कहा। मेरे पूछने पर जोसफ ने टाल दिया कि कोई ऑफिस का काम था। मैं बाहर आया तब तक तुम भी चली गयी थी।”

मैंने जैक को सारी बात बता दी कि कैसे जोसफ हमारे बारे में सैंड्रा को शिकायत की धमकी दे रहा था।

जैक: “जब मैंने पहली बार सैंड्रा को चोदा था तब उसने भी मुझे धमकी दी कि वो मेरे बाप को बता देगी। इस डर को दिखा कर उसने मुझे कई बार और चोदने को मजबूर किया हैं। वो मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के साथ भी नहीं रहने देती और बंदिशें लगाती हैं। फिर भी छुप छुप कर अपनी कॉलेज गर्लफ्रेंड के घर उसके साथ एक दो बार मैंने सेक्स किया हैं।”

मुझे उस पर और दया आने लगी। शायद मैं उसको वो सुख दे सकती थी जिसकी उसको तलाश थी।

बैडरूम में आते ही उसने मेरे सर के पीछे हाथ रखा और मुझे अपनी तरफ खिंच एक बार फिर अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठो पर रख चूमना शुरू कर दिया। मैं भी एक सप्ताह से तड़प रही थी तो उसका साथ देते हुए उसके गुलाबी होंठो को चूसने लगी। एक बार फिर हमारे मुँह से चप्प चप्प की आवाज आनी शुरू हो गयी।

आज हमें जोसफ का भी डर नहीं था। हम अपने होंठ को सामने वाले के मुँह में घुसाते हुए एक दूजे की जीभ को चाटने लगे। अगले कुछ मिनटों तक हम चूमने का ही मजा लेते रहे। उत्तेजित हो मेरा शरीर थर थर कांपने लगा था। मेरा ब्रा मेरे लगातार फूलते हुए मम्मो को अब संभाल नहीं पा रहा था। कसे हुए ब्रा से मेरे मम्मो में दर्द होने लगा था। मैं इस दबाव को जल्दी से हटा अपने कपड़े खोल देना चाहती थी।

पर खुद अपने कपड़े कैसे खोलती। उसको कैसे बोलू कि मैं तैयार थी। मैंने तो उसको चूमने की ही इजाजत दी थी पर इतना कुछ हो चूका था कि मन में हम जानते थे कि हम दोनों ही चुदने के लिए तैयार थे।

उसने मेरे मन की बात पढ़ ली थी और मुझे चूमना छोड़ कर मेरे शर्ट के बटन खोलने लगा और स्कर्ट में फंसा शर्ट का हिस्सा भी निकाल दिया। वो मेरे ब्रा में से फूलकर बाहर आने को उतारू मम्मो को देख तारीफ़ करने लगा। उसने अपनी उंगलिया मेरे दीखते मम्मो पर रगड़नी शुरू कर दी।

उसने मुझे पीछे घुमाया और मेरा शर्ट कंधो से उतार पूरा निकाल दिया। फिर उसने मेरी ब्रा का हुक खोला जिससे मेरे मम्मो को सांस लेने की जगह मिलने से बहुत राहत मिली। उसने मेरी पीठ पर ऊपर से नीचे अपना हाथ फिराया। मुझे उसने फिर सीधा किया। वो अब मेरे मम्मो के पहले दीदार के लिए तैयार था।

उसने मेरे ब्रा को ऊपर उठा कर मेरे मम्मो को बाहर निकाल दिया। उसके मुँह से एक वाऊ निकली और उसने अपने एक हाथ से ब्रा पकड़े हुए दूसरे से मेरा एक मम्मा पकड़ लिया और हलके से दबा दिया। वो मेरे मम्मो की तारीफ़ करता रहा और मेरे मम्मे मसलता रहा।

उसने अपनी दो उंगलियों से मेरे निप्पल को घिसा और मेरी सिसकी निकल गयी। उसने अब झुक कर अपने नाजुक होंठो में मेरे निप्पल भर लिए और बच्चे की तरह चूसने लगा। मुझे एक करंट सा लगा और मैं आहें भरने लगी। मेरे शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए थे।

वो लगातार मेरे बदन पर उंगलिया और अपने होंठ फिराते हुए मुझे पूरी तरह से तैयार कर रहा था। मैंने भी अब तक आत्मसमर्पण कर दिया था। मुझे पता था की आज तो मैं चुद कर ही रहूंगी। आज तक किसी गौरे से नहीं चुदवाया था तो मन में एक अजीब सी तरंग दौड़ रही थी। मेरी सिसकिया रह रह कर निकल रही थी।

जैक मेरे मम्मो में जैसे खो चूका था। मैं तड़प कर इंतजार कर रही थी की कब वो मुझे अपना गोरा लंड दिखायेगा और उसे में अपनी चुत में समा कर उसे ऐसा मजा दिलाऊ की वो ज़िन्दगी भर याद रखें। मुझे भी मेरा पहला अनुभव लेना था की ये गोरे किस तरह चोदते हैं।

अगले भाग में आप मेरे साथ एक अनोखी चुदाई का मजा लेंगे तब तक इंतजार करे।

[email protected]

https://s.magsrv.com/splash.php?idzone=5160226

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button