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Mummy Aur Mere Teacher Ki Sex Kahani – Part 2

This story is part of the Mummy Aur Mere Teacher Ki Sex Kahani series

ये पार्ट पढ़ने से पहले पहला पार्ट जरूर पढिये।

फिर सर अंदर आकर सोफा पे बैठे और पसीना पोछ रहे थे। तो मम्मी ने उनको पूछा”जी क्या हुआ आपको ? आपकी आंखें इतनी लाल कैसे हुई और पसीना भी आ रहा है आप ठीक है ना?”

“हां जी मैं ठीक हूं वो आज मैंने गॉगल नही पहना ना इसलिये मेरी आँखें धूप से लाल हुई बहोत गर्मी है ना !”मम्मी के बदन को ताड़ते हुये सर ने उनका खड़ा हुआ लंड छुपाकर कहा। लेकिन मुझे पता था कि सर की आंखे क्यों लाल हुई जैसा मेरे सीनियरोने बताया था।

मम्मी : ठीक है। मैं आपके लिये पानी लाती हूं।

मम्मी किचन की ओर जाने लगी तो सर को उनके पसीने से भरे पीठ के दर्शन हुये पसीने के वजह से ब्लाउज एकदम पीठ पर चिपक गया था और मम्मी के ब्रा का हुक दिखाई दे रहा था सर मम्मी के मटकती चाल को देखकर और परेशान होने लगे।

फिर मम्मी ने सर को पानी दिया और बैठ गयी।

मम्मी : कहिये जी कैसे आने हुआ मनीष ने कुछ शरारत कर दी क्या स्कूल में ?

सर : जी नही मनीष तो अच्छा लड़का है। वो दरअसल इंग्लिश में मनीष के नंबर कम आये। पिछले साल तो मनीष फर्स्ट आया था पर इस साल उसको ग्रामर में कठिनाई हो रही है। इसलिए सोचा आपसे मुलाकात कर लूं। जी मनीष के पापा और आप उसे पढ़ाते नही क्या ?

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मम्मी थोड़ी उदासी से : जी अब क्या कहू मनीष के पापा तो सुबह 7-8 बजे निकलते है और शाम 9-10 बजे थके हुये आते है। उनको तो समय ही नही रहता हमारे लिये और रही बात मेरी तो मुझे नही आता इंग्लिश ग्रामर वगैरा।

मम्मी के बातों से सर को थोड़ा अंदाजा हुआ कि पापा घर मे ज्यादातर नहीं होते और थके हुये आते है ये सुनकर सर ने शायद ये भी सोचा कि मम्मी सन्तुष्ट नही है।

सर : अच्छा तो कोई बात नही। मैं दूंगा मनीष को ट्यूशन। पर एक प्रॉब्लम है।

मम्मी : जी कहिये

सर: वो ट्यूशन देने से स्कूल में मनाई है इसलिये मुझे यहां आकर ट्यूशन देना होगा अगर आपको एतराज ना हो तो।

मम्मी : जी मुझे कुछ प्रॉब्लम नही है वैसे भी दिनभर मैं और मनीष ही होते है घरपर। मनीष को भी कोई तकलीफ नही है ना मनीष ??

मैंने हां में सर मिलाया।

सर : तो ठीक है मैं कल से आऊंगा ट्यूशन देने शाम 5 बजे।

मम्मी : हां ठीक है आ जाइये पर फीस ….!! वो मनीष के पापा को बताना होगा ना।

सर: जी फीस की चिंता मत कीजिये वक्त आने पर मैं मांग लूंगा.. आपसे …..!!! सर ने मम्मी के बदन को ऊपर से निचे निहारते हुये स्माइल करके कहा।

मम्मी ने भी सर को स्माइल दी।

फिर सर चले गये।

मम्मी ने सब बात पापा को बताई। पापाने भी कहा कोई आपत्ति नही जतायी।

अगले दिन मैं स्कूल से घर आया और होमवर्क करके सर के आने का इंतज़ार करने लगा। फिर ठीक 5 बजे डोर बेल बजी मैंने दरवाजा खोला तो क्या सर थे पर मैं सर को देखकर चौक गया था।

क्योंकि सर एक ब्लैक कलर की टाइट टीशर्ट पहनकर आये थे। जिससे सर का सीना बाहर आया था। (जैसा मैंने आपसे फर्स्ट पार्ट में कहा था कि सर एकदम फिट थे जैसे रोज जिम जाते हो) हाफ स्लीव्ज होने के कारण सर के डोले भी दिखाई दे रहे थे। नीचे एक लाइट ब्लू जीन्स थी और स्पोर्ट शूज हाथ मे वॉच और आंखों पर ब्लैक गॉगल और सर अंदर आते ही खुशबू आने लगी यानी सर ने परफ्यूम भी लगाया था।

मैं तो सर का ये रूप देखकर जान गया कि सर ममी को इम्प्रेस करने के कोशिश करनेवाले है और सर ममी पर लटटू हो गये है।

सर : गुड इवनिंग बेटा मनीष। ( शायद ही सर ने कभी किसी स्टूडेंट को बेटा कहा हो मैं जान गया ये सब मम्मी के हुस्न का कमाल है)

मैं : गुड़ इवनिंग सर।

सर : घर पर कोई नही है क्या मनीष?

मैं : है ना सर मम्मी है। किचन में है शायद। मम्मी मम्मी मैंने आवाज लगायी।

मम्मी : क्या हुआ ? ऐसा कहते हुये मम्मी हॉल में आई और सर को देखकर एकदम रुक सी गयी मम्मी भी शायद मेरी तरह सर का ये रुप देखकर चौक गयी।

सर : जी कुछ नही एक ग्लास पानी मिलेगा।

मम्मी : जी हां अभी लाती हूं।

फिर मम्मी पानी लेकर आयी और सर को देने लगी। तो सर ने ग्लास पकड़ने के बहाने मम्मी के हाथो को टच किया। मम्मी थोड़ा पीछे हट गयीं सर पानी पीते पीते मम्मी को ताड़ रहे थे और मम्मी सर के डोलो की तरफ और छाती को देख रही थी।

शायद मम्मी भी इम्प्रेस हो गयी थी। फिर पानी पीने के बाद सर ने ग्लास लौटाने के बहाने फिर से मम्मी को छुआ लेकिन इस बार मम्मी पीछे नही हटी बल्कि शरमाके अंदर चली गयी।

सर मन ही मन ख़ुश हुये। फिर सर ने मुझे पढ़ाया और जाते समय फिर मम्मी को बुलाने को कहा मैंने मम्मी को आवाज लगायी।

शायद मम्मी भी इंतजार ही कर रही थी मम्मी बहोत जल्दी हॉल में आयी और फिर सर ने मम्मी को कहा जी चलिये कल आता हूं।

मम्मी ने हां में सर मिलाया और सर उनकी बाइक पर चले गये। उस दिन मैंने नोटिस किया सर हमारे दरवाजे से गेट के बाहर जाने तक ही नहीं तो बाइक पर बैठकर निकलने तक मम्मी सर को देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी। इतना तो मम्मी ने कभी पापा को भी नही देखा होगा।

उस दिन मैंने नोटिस किया मम्मी थोड़ी खुश नजर आ रही थी मुझसे पूछने लगी”कैसे पढा रहे है सर बेटा ? अच्छा पढा रहे है ना समझ आ रहा है ना तुझे ग्रामर”

मैंने कहा”हां मम्मी। सर अच्छा पढा रहे है सर बहोत अच्छे है।”

मम्मी ने भी मुस्कुराके कहा”हां। अच्छे है सर !!”

फिर अगले दिन सर आने के टाइम पर मम्मी पता नही क्यों मम्मी तैयार हो रही थी मेक-अप करके तैयार बैठी थी।

मम्मी ने ट्रांसपेरेंट स्काई ब्लू कलर की सारी पहनी थी नाभी के नीचे सारी पहनी और थोड़ी कमर खुली रखी थी। उसपर डीप नेक बैकलेस ब्लाउज पहना था। मम्मी एकदम आयटम लग रही थी। इस रूप को देखकर किसी को अपने आप पर काबू ना रहे ऐसी दिख रही थी मम्मी।

मैंने मम्मी से कहा”मम्मी आप कही बाहर जा रही हो क्या ?”

मम्मी: नही बेटा क्यों ?

मैं : नही आप तैयार हो रही हो।

मम्मी : नही बेटा बस ऐसे ही।

उतने में डोर बेल बजी तो मम्मी खुश होकर बोली “जा बेटा दरवाजा खोल लगता है सर आ गये।”

मैंने दरवाजा खोला आज भी सर एकदम वैसे ही एकदम माचो मजनू की तरह बनकर आये थे। यलो कलर की टीशर्ट और ब्लैक जीन्स ब्लू गॉगल।

फिर सर अंदर आये आज सर फिर पानी मांगने के बहाने मम्मी को बुलाते पर टेबल पर पहले ही ग्लास रखा था। सर थोड़ा नाराज हुये सर को लगा शायद वो नाकाम रहे।

फिर सर ने मुझे किताब खोलने कहा और पढ़ा रहे थे पर बार बार अंदर झाक रहे थे। शायद उनकी आंखें मम्मी का हुस्न देखने के लिये तरस गयी थी पर सर को आइडिया नही आ रहा कि कैसे बुलाया जाये मम्मी को।

सर फिर मुझे पढ़ाने लगे उतने में पायल की आवाज सुनाई दी सर को लगा शायद मम्मी आ रही है। सर ने फिर अंदर झांका पर कोई नहीं आया फिर थोडी देर बाद पायल की आवाज आयी पर सर ने इसबार इग्नोर किया।

लेकिन मैंने किताब से ऊपर देखा की मम्मी चाय ला रही थी पर सर का ध्यान ही नही था।

तो मम्मी ने सर को आवाज दिया”राजकुमारजी !!”

मम्मी के लब्ज से उनका नाम सुनकर सर ने मम्मी की ओर देखा तो वो देखते ही रह गये। सर मम्मी के कमर की तरफ देख रहे थे ट्रांसपरेंट सारी से मम्मी की नाभी के दर्शन हो रहे थे।

फिर सर नाभी से उपर नजर उठाने लगे तो मम्मी का छाती का उभार दिखाई दे रहा था। सही में आज मम्मी सर पर कहर बरसा रही थी।

मैंने देखा सर के जीन्स में तंबू बन गया था। सर का लंड मम्मी के हुस्न को सलामी दे रहा था। सर की आंखे लाल हो रही थी और मम्मी उनकी आंखों में देख रही थी।

सर मानो मम्मी के हुस्न के जलवे में खो गये थे। सर को कुछ होश नही था कि सर कहाँ है! सर वही उनके लंड पर हाथ रखकर सहलाने वाले थे कि फिर मम्मी ने आवाज दी “राजकुमारजी … चाय”

अब सर को होश आया उन्होंने झटक से उनका हाथ लंड के ऊपर से निकाला और थोडे हक्के बक्के हो गये और मुझे देखने लगे।
आगे के पार्ट में पढिये की मम्मी और सर का रिश्ता कहाँ तक जाता है।

कहानी पसन्द आयी तो like कीजिये और कमेंट में अपना फीडबैक दीजिए!

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