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Mummy aur mere teacher ki sex kahani-4

This story is part of the Mummy Aur Mere Teacher Ki Sex Kahani series

नमस्कार दोस्तो पहले तीसरा पार्ट जरूर पढिये, ताकि अब तक सर और मम्मी के बीच क्या क्या हुआ ये आपको पता चले और इस पार्ट को पढ़ने में आपको मजा आये।

तो दोस्तो जैसा आपने पढ़ा सर ने मम्मी से उनका फोन नंबर लिया और चले गये। अब मुझे लगने लगा था, कि सर अब मम्मी के साथ जरूर फोन पर बाते करना चालू करेंगे।

क्योंकि ट्यूशन में वो मेरे होने के कारण ज्यादा बाते नही कर पा रहे थे। इसलिये मैने उसी दिन मम्मी के मोबाइल में कॉल रिकॉर्डिंग चालू कर दी, क्योकि मैं भी सुनना चाहता था कि सर मम्मी से क्या बाते करने वाले है।

अगले दिन मैं स्कूल में गया और वापस आते ही पहले मम्मी का फोन मैंने चेक किया, कि मम्मी को सर का फोन आया था या नही। तो मैंने देखा सर का फोन आया था और दोनों ने 10 मिनट बात की थी।

उन दिनों 1 मिनट का 2 रूपया लगता था, आज की तरह फ्री कॉल नही होती थी। तो ना जाने वो दोनों कितनी बात करते, मैंने मम्मी को देखा मम्मी कहाँ है और क्या कर रही है?

तो मम्मी उस वक्त कपड़े सुखाने छत पर गयी थी। मैंने रिकॉर्डिंग चालू की और सुनने लग गया, वो दोनों ऐसे बात कर रहे थे।

सर – हलो।

मम्मी – हां जी बोलिये राजकुमारजी।

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सर हसते हुये बोले – अरे वा क्या बात है रजनीजी! आपने तो मेरी आवाज पहचान ली।

मम्मी – जी हां क्यों नही पहचानूंगी। अब तो आपसे रोज मुलाकात होती है ना। तो आपकी आवाज मुझे मालूम हो गयी ना।

सर – अच्छा जी, और बताइये क्या कर रही है आप?

मम्मी – जी घर के काम और क्या। और आप?

सर – जी मैं तो स्कूल में हूं।

मम्मी जान भुझ कर बोली – जी लगता है आज आप टयूशन नही नही आने वाले है।

सर – नही जी आने वाला हूं। आपको ऐसा क्यों लगा?

मम्मी – नही आप कह रहे थे ना जब मैं नहीं आऊंगा तो आपको फ़ोन करके बता दूंगा।

सर – अच्छा जी, नही मैं तो आने वाला हूं आज। क्या मैं आपको बिना उस वजह के फोन ना करू?

मम्मी – जी नही मेरा मतलब आप स्कूल में बिजी होंगे ना, इसलिये मुझे लगा। तो बताइये कैसे फ़ोन लगाना हुआ।

सर – जी वो आपकी याद आ गयी तो सोचा लगा लूं फोन रजनी जी को।

मम्मी – अच्छा जी। मेरी याद अचानक कैसे?

सर – जी हम तो आप ही की याद में रहते है दिनभर। आप हो ही ऐसी!

मम्मी – अच्छा जी। कैसी हूं मैं?

सर – आपको नही पता आप कैसी है?

मम्मी – नही जी आप बताइये?

सर – जी आप बहुत सुंदर हो और।

मम्मी – और?

सर – और आप अच्छी हो, आप बहुत खूबसूरत हो। आप बहुत आकर्षक हो और।

मम्मी – और?

सर – और क्या बताऊ मै आपको, कि आप कैसी हो एकदिन जरूर बताऊंगा आप और कैसी कैसी हो। आपसे तो बहुत बाते करनी है पर मनीष होता है इसलिये बाते खुलकर नही कर पाता जी।

मम्मी – अच्छा जी। ऐसा है तो आप थोड़ा जल्दी आ जाया करिये।

अब तो मम्मी सर को खुलेआम इनविटेशन दे रही थी। और सर को भी यही सुनना था मम्मी के मुह से।

सर – जी आप कह रही है तो मैं जरूर आऊंगा। आज मैं आधा घण्टा पहले आ जाऊंगा पर मनीष?

मम्मी – जी मैं मनीष को बाहर भेज दूंगी खेलने।

सर खुश होकर बोले – जी तो तैयार होकर बैठिये। आज मैंने आपसे बहुत बाते करनी है आपसे।

मम्मी – हां जी।

सर – अच्छा तो रखता हूं। ओके बाय।

मम्मी – बाय।

मैं तो हैरान रह गया, क्योंकि मम्मी मुझे कभी धूप में खेलने नही जाने देती और आज सर के लिये मुझे बाहर भेजने वाली थी। मैने भी सोच लिया कि मैं मम्मी को हां कह कर बाहर जाउंगा, लेकिन घर के पीछे जाकर छुपकर सर के आने के बाद सर की और मम्मी की बाते सुनूंगा।

फिर मम्मी छत से नीचे आयी, और उन्होंने मुझे खाना परोसा। मैंने खाना खाया और मै टीवी देख रहा था और फिर मैंने अंदर जाकर देखा तो मम्मी आज जल्दी से ही तैयार हो रही थी।

मैं ऐसा दिखा रहा था कि मुझे कुछ समझ नहीं रहा है। फिर मम्मी तैयार होकर आयी और मुझे बोली।

मम्मी – जा मनीष बाहर गली के बच्चे क्रिकेट खेल रहे है तुझे खेलना है तो तू चला जा।

मैंने देखा मम्मी ने आज रेड कलर की ट्रांसपेरेंट साड़ी और उस पर डीप नेक स्लीवलेस और पीछे पीठ पर सिर्फ एक इंच वाली स्ट्रिप का काला ब्लाउज पहना था।

उनके हाथो में लाल चूड़ियां और होंठो पर लाल लिपस्टिक खुले छोडे हुये बाल और साड़ी नाभी के नीचे उन्होंने पहनी हुई थी। उन्होंने पल्लू ऐसा लिया था कि उनके आधा बूब्स बाहर थे।

ब्लाउज डीप नेक वाला होने के कारण थोडा क्लीवेज भी दिख रहा था। आज तो मम्मी एकदम कड़क माल दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि आज तो सर देखते ही मम्मी पर चढ़ जायेंगे।
मम्मी के कहने के बाद मैं जाने लगा और थोड़ी देर बाद आकर घर के पीछे छुप गया। करीब 10 मिनट बाद गेट खोलने की आवाज आयी और मैंने चुप के से देखा सर आये थे, सर भी एकदम दबंग होकर आये थे।

उन्होंने ब्लैक कलर की टाइट टीशर्ट और ब्लू जीन्स स्पोर्ट शूज और काला गॉगल।

करीब 5 मिनट बाद मैं धीरे धीरे सामने आया तो देखा हॉल का दरवाजा बंद है, यानी सर को अंदर लेकर मम्मी ने दरवाजा बंद कर दिया था। मैं थोड़ा ऊपर होकर खिड़की से अंदर देखने लग गया।

तो सर सोफे पर बैठे थे और मम्मी पानी ला रही थी पानी देते वक्त मम्मी थोड़ी झुकी तो उनके आधे से ज्यादा क्लीवेज सर को दिख रहा था।

सर ने पानी पिया और मम्मी को बैठने को कहा, मम्मी सर के सामने वाली चेयर पर बैठी और दोनों बाते करने लगे। दोनों को लग रहा था कि उन दोनों के अलावा घर में और कोई नही है।

सर – कहां है मनीष अंदर है क्या?

मम्मी – जी नही मैंने उसे भेज दिया है क्रिकेट खेलने के लिए।

सर – अच्छा किया, मैंने आपसे बहुत बाते करनी है, पर क्या करू मनीष होता है तो नही कर पाता था।

मम्मी सर को अपनी ओर ऐसे देखते हुये शरमारकर नीचे देख कर बोली – जी कहिये क्या कहना है आपको?

सर – रजनी जी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही है, आप इतनी सुंदर आकर्षक है की आपसे नजर हटाने का मन ही नही करता है।

सर के मुंह से इतनी तारीफ सुनकर मम्मी शरमाकर मुस्करा रही थी।

सर – सच में मनीष के पापा बहुत खुशनसीब है, कि उनको आप जैसी सुंदर बीवी मिली है।

मम्मी – जी खुशनसीब तो आपकी बीवी भी तो है, जो उनको आप जैसे हैंडसम और फिट पती मिले है।

मम्मी के मुह से तारीफ सुनकर सर खुश हुये सर को अब यकीन हुआ, कि मम्मी भी सर को चाहने लगी है।

सर – जी अब आप मेरी झूठी तारीफ मत कीजिये।

मम्मी – नही जी सच में आप भी बहुत आकर्षक है।

सर – मनीष के पापा तो आपसे बहुत प्यार करते होंगे? मैं भी क्या पूछ रहा हूं इतनी खूबसूरत आकर्षक बीवी हो तो कौन प्यार नही करता होगा।

मम्मी थोड़ा उदास होते हुये बोली – जी करते तो है पर उनको टाइम ही नही मिलता हमारे लिये। सुबह जल्दी जाते है और रात को थककर वापस आते है। खैर छोड़िये मैं आपके लिये चाय लाती हूं।

सर मम्मी का मूड ऑफ होता हुआ देखकर ज्यादा फोर्स ना करते हुये बोले – जी ठीक है।

मम्मी का उदास चेहरा देख कर सर जान गये की मम्मी अंसतुष्ट है। उतने मैं जानबूझकर आया और मैंने बेल बजा दी। सर ने दरवाजा खोला।

मैं – अरे सर आप, आज आप जल्दी आ गये?

सर थोड़ा भौखलाते हुये बोले – हां बेटा वो मुझे थोड़ा काम था, इसलिए में तो जल्दी आ गया। तुम जाओ किताबे लेकर आओ जल्दी से।

मैं – ठीक है।

फिर सर मुझे पढ़ाने लग गये, मम्मी चाय लेकर आयी और सर को देने के लिये झुकी तो मम्मी का पल्लू ही गिर गया। और मम्मी के बूब्स अब सर के सामने आधे से भी ज्यादा नंगे हो गये।

ये सब देख कर सर की तो हालत खराब हो गयी, सर की पैंट में तंबू बन गया था। मम्मी के हाथों में ट्रे होने के कारण मम्मी भी पल्लू ठीक नही कर पा रही थी।

सर मम्मी के बूब्स देखे जा रहे थे. उनका ध्यान मम्मी के ब्लाउज के अंदर ही था और चाय का कप उठाते वक्त थोड़ी चाय सर के कपड़ो पर गिरी और सर का ध्यान भटका।

मम्मी – अरे मनीष ये लो ट्रे देखो राज कुमार जी के कपड़ो पर चाय गिरी है।

मैंने ट्रे लिया और मम्मी ने पल्लू ठीक करके सर से बोली – जी सॉरी सॉरी पता नही कैसे गिर गयी।

और सर के कपड़ो पे हाथ लगाने लग गयी, पोछते समय मम्मी का हाथ सर के लंड को भी लगा और मम्मी ने हाथ पीछे लिया और वो बोली।

मम्मी – चलिये अंदर। बाथरूम में साफ कीजिये और ये कपड़े चेंज कर कीजिये।

फिर मम्मी और सर अंदर चले गये।

दोस्तो आपको लग रहा होगा, कि कहानी स्लो चल रही है पर दोस्तो मैं आपको हर एक बात बताना चाहता हूं कि कैसे एक अनजान इंसान से सर मम्मी के लिये केसे सब कुछ बन गये।

कहानी पसन्द आयी हो तो जरूर लाइक कीजिये।

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