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Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 43

This story is part of the Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din series

सुनीता ने अपने पति को झाड़ तो दिया पर उनकी बातें सुनकर वह बहुत गरम हो गयी थी। उसकी चूत में से रस चू ने लगा था। वह जस्सूजी से तो चुदवा नहीं सकती थी पर अपने पति से जरूर चुदवा सकती थी। पति की उकसाने वाली बातें सुनकर उसकी चुदवाने की इच्छा तेज हो गयी। सुनीलजी तो अपना लोहे की छड़ जैसा लण्ड लेकर तैयार ही थे।

तब अचानक ही सुनीता को ज्योतिजी के कराहने की आवाज सुनाई दी। सुनीता ने ना चाहते हुए भी जस्सूजी और ज्योति के कमरे की और मुड़कर देखा तो पाया की जस्सूजी दोनों घुटनों पर बैठ कर अपनी बीबी ज्योतिजी पर सवार हुए थे और अपना मोटा लंबा लौड़ा बेचारी ज्योतिजीकी छोटी सी चूत में पेले जा रहे थे।

सुनीता जस्सूजी और ज्योतिजी की चुदाई देखती ही रह गयी। चाहते हुए भी वह अपनी नजर वहाँ से हटा नहीं सकी। जस्सूजी का जोश और जस्सूजी के चिकने प्रकाश में चमकते हुए लण्ड को ज्योतिजी की रस से लथपथ चूत में से अंदर बहार होते हुए देख सुनीता पर जैसे कोई तांत्रिक सम्मोहिनी का वशीकरण किया गया हो वैसे सुनीता एकटक ज्योतिजी और जस्सूजी की खुल्लमखुल्ला चुदाई देखने लगी। वह भूल गयी की उसका पति का फुला हुआ चिकना लण्ड उसकी हथेली में फर्राटे मार रहा था।

वैसे तो सुनीलजी ने चुदाई के कुछ अश्लील वीडियोस सुनीता को दिखाए थे। पर यह पहली बार था की सुनीता कोई मर्द और औरत लाइव चुदाई देख रही थी। उन वीडियो को देख कर सुनीता को इतनी उत्तेजना महसूस नहीं हुई थी जितनी उस समय उसकी दीदी की सुनीता के अपने गुरु और प्रेमी जस्सूजी को चोदते हुए देख कर हो रही थी। सुनीता का रोम रोम रोमांच से इस ज़िंदा प्रत्यक्ष साकार चुदाई देख कर कम्पन महसूस कर रहा था।

सुनीता ने महसूस किया की ज्योतिजी की छोटीसी चूत में जब जस्सूजी अपना घड़े जैसा लण्ड घुसाते थे तो बेचारी छोटीसी जयोतिजी का पूरा बदन काँप उठता था।

सुनीता को जस्सूजी और ज्योतिजी की चुदाई को मन्त्र मुग्ध हो कर देखते हुए जब सुनीलजी ने देखा तो सुनीता को हिलाकर बोले, “तुम तो अपनी चुदाई उनको दिखाना नहीं चाहती थी, पर अब उनको चोदते हुए इतने ध्यान से देखने में तुम्हे कोई परहेज क्यों नहीं है? अरे भाई अगर तुम उनकी चुदाई देख सकती हो तो वह तुम्हारी चुदाई क्यों नहीं देख सकते? यह कहाँ का न्याय है?”

सुनीता ने जबरन अपनी नजरें जस्सूजी के लण्ड पर से हटायीं और अपने पति की और देख कर मुस्करायी और बोली, “तुम मर्द लोग बड़े ही बेशर्म हो। देखो तो; ना तो तुम्हें जस्सूजी और दीदी की चुदाई देखने में कोई लज्जा आ रही है और ना तो जस्सूजी को अपनी बीबी को हमारे सामने चोदने में कोई हिचकिचाहट महसूस हो रही है।”

सुनीलजी ने कहा, “डार्लिंग, एक बात बताओ। क्या हम सब नहीं जानते की हर मर्द लगभग हर रात को अपनी बीबी को चोदता है? क्या हर औरत अपने मर्द से रात को चुदवाती नहीं है? जब यह सब साफ़ साफ़ सब जानते हैं तो फिर अपनों के सामने ही अगर हम अपनी अपनी बीबी को चोदे तो यह बताओ की तुम्हें क्या हर्ज है? तुम्ही ने तो कबूल किया था की तुम तुम्हारी दीदी और जस्सूजी से कोई पर्दा नहीं करोगी। तुम ने ज्योतिजी से यह वादा भी किया था की तुम जस्सूजी अगर तुम्हारा बदन छुएंगे तो कोई विरोध नहीं करोगी। तब अगर यह मियाँ बीबी चुदाई करते हैं तो तुम्हें क्यों आपत्ति हो रही है?”

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सुनीता की नजर फिर बरबस जस्सूजी और ज्योतिजी की चुदाई की और चली गयी। इस बार सुनीता ने देखा की जस्सूजी ने भी सुनीता की और देखा। सुनीता को समझ नहीं आ रहा था की वह गुस्साए या मुस्काये। जस्सूजी ने अपनी बीबी की चूत में लण्ड पेलते हुए ही सुनीता की और देखा और बड़ी ही सादगी से मुस्कराये।

सुनीता को शक हुआ की शायद उनकी मुस्कान में कुछ रंजिश की झलक भी दिख रही थी। सुनीता यह जानती थी की उस समय कहीं ना कहीं जस्सूजी के मन में यह भाव भी हो सकता है की काश वह उस समय उनकीअपनी बीबी ज्योति को नहीं बल्कि सुनीलजी की बीबी सुनीता को चोद रहे होते। यह सोचते ही सुनीता काँप उठी।

जस्सूजी के लण्ड को ज्योतिजी की छोटी सी चूत में घुसते समय हर एक बार ज्योति जी की जो कराहट उनके मुंह से निकल जाती थी उससे सुनीता को अच्छा खासा अंदाज हो रहा था की ज्योतिजी चुदाई के आनंद के साथ साथ काफी मीठा दर्द भी बर्दाश्त कर रही होंगी। वह दर्द कैसा होगा? यह तो जब सुनीता जस्सूजी से चुदवायेगी तब ही उसे पता लगेगा। सुनीता अब यह अच्छी तरह जान गयी थी की वह इस जनम में तो नहीं होगा।

ज्योतिजी भी अपने पति का घोड़े जैसा लण्ड लेकर काफी उत्तेजित लग रहीं थीं। अपने पति के साथ साथ सुनीता ज्योतिजी का स्टैमिना देख कर भी हैरान रह गयी। ज्योतिजी ने सुनीलजी से उस दोपहर चुदवाया था यह तो स्थापित हो चुका था। और सुनीता यह भी जानती थी की उसके पति कैसी जबरदस्त चुदाई करते हैं। जब वह चोदते हैं तो औरत की जान निकाल लेते हैं।

सुनीता को इसका पूरा अनुभव था। सुनीता यह भी जानती थी की ज्योतिजी की चूत का द्वार एकदम छोटा था। सुनीलजी से चुदवाने के बाद अगर वह जस्सूजी के इतने मोटे लण्ड से चुदवा रही थी तो मानना पडेगा की ज्योतिजी की दर्द सहन करने की क्षमता बहुत ज्यादा थी।

सुनीता ने अपने मन ही मन में गहराई से सोचने लगी। आखिर उसके पति सुनीलजी की बात तो सही थी। हर औरत अपने मर्द से चुदवाती तो है ही। हर मर्द भी लगभग हर रात को अपनी बीबी को चोदता ही है। यह तो पूरी दुनिया जानती है, चाहे वह इस बात को किसी से ना कहे। जस्सूजी भी जानते थे की सुनीलजी सुनीता को कैसे चोदते थे। बल्कि उस रात ट्रैन में तो जरूर जस्सूजी ने सुनीता और सुनील की चुदाई कम्बल के अंदर होती हुई देखि भले ना हो पर महसूस तो जरूर की होगी।

जब उस समय जस्सूजी और ज्योतिजी की चुदाई सुनीता बड़ी ही बेशर्मी से खुद देख रही थी तो उसे कोई अधिकार नहीं था की वह जस्सूजी और ज्योतिजी से अपनी चुदाई छुपाये। क्या उन दोनों को भी सुनीता की चुदाई देखने का अधिकार नहीं है? सुनीता के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था।

सुनीता ने आखिर में हार कर अपने पति के कानों में बोला, “सुनीलजी, आपसे ना? बहस करना बेकार है। देखिये मैं आपकी बीबी हूँ। मेरी लाज की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। अगर आप ही मेरी इज्जत नीलाम करोगे तो फिर मैं कहाँ जाउंगी?”

सुनीलजी अपने मन में ही मुस्काये। उनको महसूस हुआ की उस रात पहेली बार उनकी बीबी सुनीता चुदाई के मामले में उनके साथ एक कदम और चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार हुई थी।

सुनीलजी ने एक चद्दर सुनीता पर डाल दी और उसका गाउन निकाल दिया और बोले, “क्या तुम्हें कभी भी ऐसा लगा की जस्सूजी, मैं और ज्योतिजी हम तीनों में से कोई भी तुम्हारी इज्जत नहीं करता? क्या तुम्हें ऐसा शक है की अगर मैं तुम्हें चोदुँगा तो तुम्हारी इज्जत हम तीनों की नजर में कम हो जायेगी? अरे भाई, हम पति पत्नी हैं। अगर हम चुदाई करती हैं तो तुम्हारी इज्जत कैसे कम होगी?”

सुनीता ने अपने पति की बात का कोई जवाब नहीं दिय। सुनीता समझ गयी थी की उसके पति उसको तर्क में तो जितने नहीं देंगे। सुनीता खुद जस्सूजी और ज्योतिजी की चुदाई देख कर काफी उत्तेजित हो गयी थी। उनकी खुल्लम खुली चुदाई देखकर उसकी हिचकिचाहट कुछ तो कम हुई ही थी, पर फिर भी जब तक सुनीलजी ज्यादा आग्रह नहीं करंगे तो भला वह कैसे मान सकती है? आखिर वह एक मानिनी भी तो है? उसको दिखावा करना पडेगा की वह तो राजी नहीं थी, पर पति की जिद के आगे वह करे भी तो क्या करे?

सुनीता इस उलझन में थी की तब अचानक ही उन्हें जस्सूजी की हाँफती हुए आवाज सुनाई दी। वह बोले, “सुनीलजी और सुनीता, अब ज्यादा बातचीत किये बिना जो करना है जल्दी करो। कल जल्दी सुबह चार बजे ही उठ कर पांच बजे मैदान पर पहुँचना है।”

सुनीता ने जस्सूजी के पलंग की और देखा तो पाया की जस्सूजी पूरी तरह जोशो खरोश से ज्योतिजी को चोद रहे थे और शायद उनका मामला अब लास्ट स्टेज पर पहुंचा हुआ था। जस्सूजी कस कस के ज्योतिजी की चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे। पुरे कमरे में उनकी चुदाई की “फच्च, फच्च” की आवाज गूंज रही थी।

जैसे ही जस्सूजी का लण्ड पूरा ज्योतिजी की चूत में घुस जाता था और उनका अंडकोष ज्योतिजी की गांड पर फटाक फटाक थपेड़ मार रहा था, तो उस थपेड़ की “फच्च फच्च” आवाज के साथ ज्योतिजी की एक कराहट और जस्सूजी का “उम्फ… उम्फ…” की आवाज भी उस आवाज में शामिल होजाती थी।

उनकी चुदाई की तीव्रता के कारण उनका पलंग इतना सॉलिड होते हुए भी हिल रहा था। सुनीता ने देखा की ज्योतिजी की खूबसूरत चूँचियाँ जस्सूजी के धक्के के कारण ऐसी हिल रहीं थीं जैसे तेज हवा में पत्ते हिल रहे हों।

जस्सूजी की चेतावनी सुनकर सुनीलजी ने अपनी बीबी सुनीता की टांगें फैलायीं और अपनी उँगलियों से सुनीता की चूत के दोनों होँठों को अलग कर अपना लण्ड सुनीता के प्रेम छिद्र पर टिकाया। सुनीता ने भी अपना हाथ अपनी टांगों के बिच हाथ डाल कर अपने पति का लण्ड अपनी उँगलियों के बिच टिकाया और अपना पेंडू ऊपर कर अपने पति को चोदने की शुरुआत करने के लिए धक्का मारने का इशारा किया।

जैसे सुनीलजी ने चुदाई की शुरुआत की तो हर एक धक्के के बाद धीरे धीरे सुनीलजी का लण्ड उनकी बीबी सुनीता की चूत में थोड़ा थोड़ा कर अंदर अपना रास्ता बनाने लगा। सुनीलजी को आज दो दो महोतरमाओं को चोदने का सुअवसर प्राप्त हो रहा था।

दोनों की चूत में भी काफी फर्क था। ज्योतिजी की चूत काफी टाइट थी। जबकि उनकी बीबी सुनीता की चूत रसीली और नरम थी जिससे उनके लण्ड अंदर घुसने में ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। ज्योतिजी की चूत उनको लण्ड को इतना टाइट पकड़ती थी की उनका लंड कभी ज्यादा दब जाता तो कभी वह दबाव कम हो जाता था। इसके कारण ज्योति को चोदते हुए उनके जहन में काफी उत्तेजना और रोमांच फ़ैल जाता था।

सुनीता की चूत की तो बात ही कुछ और थी। रसीली और लचकदार होने के कारण उन्हें सुनीता को चोदने में खूब आनंद मिलता था। उनका लण्ड सुनीता के रस में सराबोर रहता था। पर फिर भी उनके लण्ड को सुनीता की चूत अपनी दीवारों में जकड कर रखती थी।

सुनीता को चोदने में सबसे ज्यादा मजा सुनीता के चेहरे के हावभाव देखने में सुनीलजी को मिलता था। सुनीता अपनी चुदाई करवाते समय उसमें इतनी मग्न हो जाती थी की उसे उस समय अपनी चूत में हो रहे उन्माद के अलावा कोई भी बाह्य चीज़ का ध्यान नहीं रहता था।

कोई भी मर्द को औरत को चोदते समय अगर औरत चुदाई का पूरा आनंद लेती है तो खूब मजा आता है। अगर औरत चुदाई करवाते समय खाली निष्क्रिय बन पड़ी रहती है तो मर्द का आनंद भी कम हो जाता है। सुनीता चुदाई करवाते समय यह शेरनी की तरह दहाड़ने लगती थी। उसके पुरे बदन में चुदाई की उत्तेजना फ़ैल जाती थी।

जब एक मर्द एक औरत चोदता है और उस चुदाई को औरत एन्जॉय करती है तो मर्द को बहुत ज्यादा आनंद होता है। अक्सर हर मर्द की यह तमन्ना होती है की औरत भी उस चुदाई का पूरा आनंद ले। चोदते समय अगर औरत चुदाई का आनंद लेती है लेती है और उस उत्तेजना का आनंद जब औरत के चेहरे पर दिखता है तो मर्द का चोदने का आनंद दुगुना हो जाता है। क्यूंकि मर्द को तब अपनी चुदाई सार्थक हुईं नजर आती है।

सुनीता में वह ख़ास खूबी थी। सुनीलजी जब जब भी सुनीता को चोदते थे तब सुनीता के चेहरे पर उन्माद और उत्तेजना का ऐसा जबरदस्त भाव छा जाता था की सुनीलजी का आनंद कई गुना बढ़ जाता था। उनका पुरुषत्व इस भाव से पूरा संतुष्ट होता था। उन्हें महसूस होता था की वह अपनी चुदाई करने की कला से अपने साथीदार को (सुनीता को) कितना अद्भुत आनंद दे पा रहे हैं। अक्सर कई औरतें अपने मन के भाव प्रकट नहीं करतीं और पुरुष बेचारा यह समझ नहीं पाता की वह अपनी औरत को वह आनंद दे पाता है या नहीं।

ज्योतिजी की कराहटों से कमरा गूंजने लगा। जिस तरह ज्योतिजी कराह रहीं थीं यह साफ़ था की वह अपनी चरम पर पहुँच रहीं थीं। फिर उसमें जस्सूजी की भी आवाज जुड़ गयी। जस्सूजी ज्योति के दोनों स्तनों को कस के पकड़ कर अपनी भौंहें सिकुड़ कर ज्योतिजी की चूत में अपना लण्ड पेलते हुए बोलने लगे, “ज्योति, आह्हः… क्या बढ़िया पकड़ के रखती हो…. आह्हः…. ओह्ह्ह….” करते हुए जस्सूजी के लण्ड से ज्योति जी की चूत की गुफा में जोरदार फ़व्वार्रा छूट पड़ा।

उसके साथ साथ ज्योति के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल पड़ी। “जस्सूजी, कमाल है! क्या चोदते हो आप। ओह्ह्ह… आअह्ह्ह…. बापरे……”

कुछ ही देर में दोनों मियाँ बीबी पलंग पर निढाल होकर गिर पड़े। सुनीता ने देखा की जस्सूजी का वीर्य ज्योतिजी की चूत से बाहर निकल रहा था। जस्सूजी के वीर्य की तादाद इतनी ज्यादा थी की ज्योतिजी की चूत इतना ज्यादा वीर्य समा नहीं पायी। सुनीता की जान हथेली में आ गयी। अगर जस्सूजी को कभी सुनीता को चोदने का अवसर मिल गया तो जरूर इतने ज्यादा वीर्य से वह सुनीता को गर्भवती बना सकते हैं।

उधर सुनीलजी सुनीता की चूत में अपना लण्ड पेलने में लगे हुए थे। सुनीलजी ने सुनीता को चद्दर के अंदर ढक कर रखा हुआ था। खुद सारे कपडे निकाल कर सुनीता का गाउन भी निकाल कर दो नंगे बदन एक दूसरे को आनंद देने में लगे हुए थे। सुनीता अपने पति को ज्योतिजी से कुछ ज्यादा आनंद दे सके इस फिराक में थी। उसे पता था की उसी दोपहर को पति सुनीलजी ने कस के ज्योतिजी की चुदाई की थी।

सुनीलजी ने सुनीता को चोदने की रफ़्तार बढ़ाई। सुनीता के चेहरे पर बदलते हुए भाव देखते ही सुनीलजी का जोश बढ़ने लगा। सुनीलजी के जोर जोर से धक्के मारने के कारण ऊपर की चद्दर खिसक गयी और सुनीता और सुनील ज्योतिजी और जस्सूजी के सामने नंगे चुदाई करते हुए दिखाई दिए। सुनीता की आँखें बंद थीं उसे नहीं पता था की वह जस्सूजी को नंगी सुनीलजी से चुदवाती दिख रहीं थीं। सुनीता को पहली बार बिलकुल नंग धडंग देख कर जस्सूजी देखते ही रह गए।

सुनीता की चुन्चियाँ दबी हुई होने के कारण पूरी तरह साफ़ दिख नहीं रहीं थीं। सुनीता की कमर का घुमाव और उसके सपाट सतह के निचे सुनीलजी के बदन से ढकी हुई सुनीता की चूत देखने को जस्सूजी बेताब हो रहे थे।

सुनीता की सुडौल नंगीं जांघें इतनी खूबसूरत नजर आ रहीं थीं की बस! जस्सूजी ने गहरी साँस लेते हुए लाचारी में अपनी नजर सुनीता के नंगे बदन से हटाई।

सुनीलजी की तेज रफ़्तार से पेंडू उठाकर मुकाबला कर रही सुनीता को कहाँ पता था की उसे चुदवाने का नजारा जस्सूजी और ज्योतिजी बड़े प्यारसे ले रहे थे? सुनीलजी जब वीर्य छोड़ने के कगार पर पहुँचने वाले ही थे सुनीता की आँखें खुलीं और उसने देखा की उनको ढक रही चद्दर हट चुकी थी और वह और उसके पति के नंगे बदन और उनकी चुदाई जस्सूजी और ज्योतिजी प्यार से देख रहे थे।

सुनीता को उस समय कोई लज्जा या छोटापन का भाव नहीं महसूस हुआ। आखिर चुदाई करना औरत और मर्द का धर्म है। भगवान् ने खुद यह भाव हम सब में दिया है।

औरत के बगैर मर्द कैसे रह सकता है? दुनिया को चलाने के लिए औरत का होना अनिवार्य है। अपने पसंदीदा मर्द से चुदवाना औरत के लिए सौभाग्य की बात है।

सुनीता ने भी हिम्मत कर के ज्योतिजी और जस्सूजी की आँख से आँख मिलाई और मुस्कुरा दी। यह पहला मौका था जब सुनीता ने चुदाई को इतना सहज रूप में स्वीकार किया था। जस्सूजी ने आँख मार कर सुनीता को प्रोत्साहन दिया की चिंता की कोई बात नहीं थी।

इससे सुनीता को यह सन्देश भी मिला की जस्सूजी सुनीता की चुदाई करवाते हुए देख कर भी उतनी ही इज्जत करते थे जितनी की पहले करते थे। ज्योतिजी जो की अपनी खुद की चुदाई करवाके निढाल पड़ी हुई थीं, उन्होंने भी उड़ती हुई किस देकर ज्योति की खुल्लमखुल्ला चुदाई को सलाम किया।

कहानी आगे जारी रहेगी..!

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