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Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat-11

This story is part of the Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat series

हेलो दोस्तो जैसा आपने पार्ट 10 में पढा की सरपंचजी पापा के कमरे में पापा के ही बिस्तर पर मम्मी को चोद रहे थे और मैं उनकी चुदाई छुपकर देख रहा था। उस रात मेरे सो जाने के बाद सरपंचजी ने फिर से मम्मी को चोदा होगा।

अगले दिन सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने देखा मम्मी मेरे बाजू में नही थी। मुझे लगा था चुदाई होने के बाद मम्मी मेरे कमरे में आकर मेरे बाजू में सोयेगी पर मम्मी वही सोयी थी सरपंचजी के साथ। मैंने दरवाजा खोला और बाहर आया तो देखा सरपंचजी हॉल में बैठे थे सिर्फ अंडरवियर पर। ऊपर से नंगे ही थे। उन्होंने मुझे देखा और कहा।

सरपंचजी : अरे बेटा उठ गये तुम गुड़ मॉर्निंग !

मैं : जी गुड़ मॉर्निंग अंकल !! मम्मी बाहर गयी है क्या ?

सरपंचजी : नही तो !

मैं : तो मम्मी कहां है अंकल ??

सरपंचजी : तुम्हे नही पता कहाँ है तुम्हारी मम्मी ?

मैं : नही अंकल !!

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सरपंचजी : उस कमरे में है सो रही है !!

मैं : उस कमरे में ?? पर रात को मेरे कमरे में सोयी थी ना और उस कमरे में आप थे।

सरपंचजी : हाँ पर रात को तेरे सोने के बाद तेरी मम्मी आयी थी मेरे कमरे में।

मैं : क्या !

सरपंचजी : हां । अरे बेटा तुम्हारे मम्मी को पापा की याद आ रही थी और नींद भी नही आ रही थी इसलिये वो मेरे कमरे में आयी थी । मैंने तुम्हारे मम्मी को तुम्हारे पापा की कमी बिल्कुल महसूस होने नही दी कल रात।

मैं : (भोला बनकर) वो कैसे ?

सरपंचजी : कैसे ये तो तुमने देखा ना बेटा कल रात खिडकी से !!

मैं ये सुनकर डर गया कि सरपंचजी को पता था कि मैंने उनकी चुदाई देखी है।

सरपंचजी : डरो मत इसमे कुछ गलत नही है। तुमने देखा ना कल रात तेरी मम्मी कैसे मेरे उपर चढ़ गयी थी और खुशी खुशी ये सब कर रही थी।

मैं : हां अंकल।

सरपंचजी : बेटा तुम्हारे पापा तुम्हारे मम्मी को खुश नही रख पाते पर तुमने कल देखा ना कल तुम्हारी मम्मी कितनी खुश थी मेरे साथ ??

मैं : हां अंकल वो तो है।

सरपंचजी : बेटा तो तुम्हे तुम्हारे मम्मी की खुशी की कोई परवाह नही ??

मैं : परवाह है अंकल। पर ये बात पापा को पता चल गयी तो ?

सरपंचजी : कौन बतायेगा तेरे पापा को ? तेरी मम्मी तो नही बतायेगी ना की वो किसी गैर मर्द से चुदवाती है और ना मैं बताऊंगा। अब बचता है सिर्फ तू अब तू ही सोच तुझे क्या करना है तेरी मम्मी को खुश रखना है या फिर पापा को बताकर तुम सब लोगो की जिंदगी बरबाद करनी है।

मैं : नही अंकल अगर मम्मी ख़ुशी से आपके साथ है तो मुझे कोई प्रॉब्लम नही मैं नही बताऊंगा पापा को।

सरपंचजी : और हां मम्मी को भी ये मत दिखाना की तुम्हे ये सब पता है नही तो वो फिर कभी मेरे साथ नही सोयेगी।

मैं : ठीक है अंकल।

सरपंचजी : तू फिकर मत कर बेटा मैं तेरे मम्मी को खुश रखूंगा और तुझे भी खुश रखूंगा तुझे जो चाहिये वो दिला दूंगा।

मैं : ठीक है अंकल।

थोड़ी देर बाद मम्मी कमरे से बाहर आयी उनके बदन पर नाईटी थी जो सरपंचजी ने गिफ्ट की थी। मुझे बाहर देखकर वो थोड़ा परेशान हो गयी और मुझसे कहने लगी “अरे बेटा वो कल रात ना तेरे कमरे में बहोत मच्छर थे इसलिय मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं इस कमरे में सोयी थी और सरपंचजी हॉल में सोये थे”।

मैंने कहा ठीक है मम्मी कोई बात नही”।

मम्मी का ये झूठ सुनकर मैं और सरपंचजी एकदूसरे को देखकर हस रहे थे फिर सरपंचजी ने मुझे कहा कि “बेटा मुझे तेरे मम्मी के साथ नहाना है तू कही बाहर चले जा ” मैंने कहा ” ठीक है अंकल” फिर सरपंचजी अंदर गये और मम्मी को पीछे से पकडकर कहने लगे।

सरपंचजी: बड़ी सुंदर लग रही हो !

मम्मी : अच्छा जी।

सरपंचजी : तुम्हारे चेहरे पर आज कुछ अलग तेज झलक रहा है रज्जो।

मम्मी : ये सब आपकी कल रात की मेहनत का फल है !

सरपंचजी : अच्छा जी।

मम्मी : हां मेरे सरपंचबाबू !

सरपंचजी : अच्छा रजनी एक बात सुन ना। वो मनीष को कुछ बहाने से बाहर भेज ना।

मम्मी : क्यों अभी फिर से आपको करना है क्या ?

सरपंचजी : अरे नही बाबा मुझे तेरे साथ नहाना है।

मम्मी : क्या ?

सरपंचजी : हां उसदिन हवेली पर तुझे बाथरूम से बाहर आते हुये सिर्फ टॉवल पर देखा ना तभीसे मेरी ख्वाहिश है तेरे साथ नहाने की । उसी वक्त मेरा मन कर रहा था पर तेरा पती था इसलिये चुप बैठा ।

मम्मी : अच्छा जी । सरपंचबाबूआप ना दिन भ दिन शैतान होते जा रहे हो ।

सरपंचजी : तुझ जैसी औरत पाने के लिये मैं कुछ भी बनने के लिये तैयार हूं मेरी रज्जो।

मम्मी : ठीक है इतना मस्का मत लगाओ भेजती हूं मनीष को बाहर।

फिर सरपंचजी बाहर आये और मुझे आंख मारी थोड़ी देर बाद मम्मी मुझसे आकर कहने लगी मार्केट से कुछ सामान लाना है जाओ। मैं समझ गया कि आज सरपंचजी मम्मी के साथ नहाने का सुख भी लेनेवाले है।

फिर मैं बाहर चला गया और मार्किट से सामान लाकर घर आया तो सरपंचजी ने दरवाजा खोला उनके बदन पर सिर्फ टॉवल था और बाल भीगे हुये थे शायद वो अभी अभी डोर बेल बजने के बाद बाहर आये थे। मैं अंदर आया थोड़ी देर बाद मम्मी बाथरूम से बाहर आयी उन्होने भी टॉवल से अपना बदन ढका था और वो कमरे मे चली गयी।

सरपंचजी मुझे देखकर मुस्करा रहे थे उनकी मुस्कराहट बता रही थी कि वो मम्मी के साथ नहाकर खुश हुये थे।

मैंने फिर भी उनसे पूछा ” हो गयी आपकी इच्छा पूरी ?”

सरपंचजी : हां बेटा मजा आ गया तेरी मम्मी के साथ नहाके।

मैं : सिर्फ नहाये या और कुछ भी किया।

सरपंचजी : यार तेरी मम्मी तो चीज ही ऐसी है कि उसको छूते ही मेरा लंड जाग जाता है।

मैं : अच्छा क्या क्या किया ?

सरपंचजी : पहले नंगे होकर शावर चालू किया दोनों का बदन भीग गया था तेरी मम्मी का चिकना बदन तो कयामत लग रहा था वाह भाई मेरे तो नसीब खुल गये फिर हमने एकदूसरे के बदन को साबुन रगड़ा ।

मैं : अच्छा आगे ?

सरपंचजी : क्या आगे कुछ होने के पहले ही तू आ गया ?

मैं : ओह सॉरी अंकल।

सरपंचजी : कोई बात नही बेटा आज की रात है ना सब कसर पूरी करने के लिये।

मैं सरपंचजी के साथ अपनी ही मम्मी की गंदी बाते कर रहा था और पता नही क्यों मुझे कोई शरम नही आ रही थी। और शरम आयेगी भी क्यों जो करवा रही थी वो बेझिझक बेशरम होकर सब कर रही थी।

फिर हम लोगोंने खाना खाया आराम किया। शाम को मैंने सरपंचजी को कहा कि “मुवी देखने चलते है वहां आप और भी मजा कीजियेगा !!”

सरपंचजीने भी हां कर दी। मम्मी तो गजब तैयार हुयी थी ग्रीन कलर की चमकदार सारी उसपर काला स्लीवलेस बैकलेस ब्लाउज जिससे मम्मी की चिकनी पीठ के दर्शन हो रहे थे खुले बाल हाय हिल सैंडल मतलब मम्मी पूरी एक शहर की मॉडर्न सेक्सी लेडी लग रही थी और सरपंचजी ने वही धोती और कुर्ता पहना था। मैंने सरपंचजी से पूछा ” अंकल ये क्या पहना है ? जीन्स टीशर्ट पहन लेते “।

तो सरपंचजी ने कहा ” बेटा मैंने ये जानबूझकर पहना है ताकि सबकी नजर हम पर पड़े की देखो एक गाँव वाले के साथ इतनी सुंदर सेक्सी औरत”।

जैसा सरपंचजी ने कहा वैसा ही हो रहा था सब मम्मी और सरपंचजी को देख रहे थे। हमने टिकट बुक की सरपंचजी ने दो कॉर्नर की बॉक्स वाली टिकट खरीदी और एक रेगुलर सरपंचजी मम्मी के साथ मस्ती करना चाहते थे।

सरपंचजी नाटक करते हुऐ कह रहे थे “यहां तुम और मनीष बैठो मैं वहां रेगुलर में जाकर बैठता हूं” मैने कहा “नही अंकल आप और मम्मी यहां बैठीये मजे कीजिये मैं वहाँ जाकर बैठता हूं”। ये सुनकर मम्मी शरमा गयी।

फिर मैं रेगुलर सीट पर जाकर बैठ गया और सरपंचजी की ओर देखने लगा। सरपंचजी ने मम्मी के कंधे पर हाथ डाल रखा था और दोनों कुछ बाते कर रहे थे मम्मी शरमा शरमा कर मुस्करा रही थी।

फ़िल्म शुरू हो गयी और शायद सरपंचजी का और मम्मी का रोमांस भी। इंटरवल के समय जब लाइट जली तो मैंने देखा मम्मी के बाल बिखरे थे और सारी भी बिखरी थी। शायद सरपंचजी ने मम्मी के साथ अच्छे से रोमांस किया था।

मैं वाशरूम में गया वहां कुछ लड़के बाते कर रहे थे।

A : यार वो आयटम देखी क्या।

B : कौनसी आयटम रे वो हमारे सामने थी वो क्या ?? A :अरे पागल वो नही कॉर्नर बॉक्स में ग्रीन सारी में।

B: अच्छा वो।

A : हां यार बहोत मजे कर रहे थे यार वो दोनो चुमाचाटी की आवाजें आ रही थी

B : पति पत्नी होंगे।

A : अबे चूतियेकाहे के पती पत्नी लफड़ा है उनका वो औरत देख कितनी मोडर्न है और उसके साथ वो गावठी मर्द।

B : पर इतनी सेक्सी मोडर्न औरत इस गाँववाले के साथ कैसे।

A : मुझे तो ये पक्की रंडी लग रही है। पैसों के लिये करती होगी शायद वो आदमी गांववाला है पर अमीर हो इसलिये करती होगी।

B : या फिर उसका पति नामर्द होगा इसके नीचे साली रंडी को मजा आता होगा।

A : लेकिन कुछ भी बोल बड़ी सेक्सी है यार उसकी चिकनी पीठ गदराया बदन उछलती गांड हाय हाय रे मुझे तो उसे चोदने का मन कर रहा है।

B : मन तो मेरा भी कर रहा है यार।

A : आज रात इसे सोचकर ही मुठ मारूंगा और इसीके नामका पानी निकालूंगा। चल जल्दी अभी और भी उनकी पिक्चर देखनी है साली इंटरवल तक चूमा चाटी की इंटरवल के बाद क्या पता चुदवा लेगी यही।

और वो दोनों हसने लगें और थियेटर में चले गये मम्मी की बारे में ऐसी बाते सुनकर अब मुझे पता चल गया कि मम्मी अब एक आम औरत नही रही अब लोग मम्मी को देखकर ही रंडी कह रहे थे।

फिर मैं भी थियेटर में गया फ़िल्म खत्म होने के बाद मैं बाहर खड़ा था सरपंचजी और मम्मी एकदूसरे के हाथों में हाथ डालकर चल रहे थे।

अचानक मम्मी को किसीने पिछे से आवाज लगायी “रजनी रजनी” मम्मी ने आवाज सुनतेही सरपंचजी का हाथ छोड़ दिया। मम्मी को उनकी सहेली मीनाक्षी आवाज दे रही थीं मैं भी उनके पास गया मीनाक्षी आंटी के साथ भी कोई अंकल थे ।

मीनाक्षी : अरे रजनी कैसी है ?

मम्मी : ठीक हूं तू कैसी है ?

मिनाक्षी : मैं मजे में हूं यार।

मीनाक्षी : अरे ये भाईसाहब कौन है ?

मम्मी : अरे मैं तो तुमको इनसे मिलाना भूल ही गयीं ये मनीष के चाचा है। गांव में रहते है अभी शहर आये थे कुछ काम से ।

मीनाक्षी : अच्छा और मनीष के पापा।

मम्मी : अरे वो ट्रेनिंग के लिये बाहर गांव गये है।

मीनाक्षी : नमस्तेजी।

सरपंचजी : नमस्ते।

मम्मी : और ये तेरे साथ कौन भाईसाहब है ?

मीनाक्षी : अरे ये विक्रम है । मेरे हज्बंड के रेजिमेंट में काम करते है इनको छूटी मिली तो ये आये थे शहर।

(मीनाक्षी आंटी के पति आर्मी में काम करते थे)

मम्मी : अच्छा नमस्ते विक्रम जी

विक्रम : नमस्ते भाभीजी

मम्मी : अच्छा चलो मीनाक्षी घर पर आओ कभी टाइम मिले तो।

मिनाक्षी : हाँ जरूर आऊंगी।

मम्मी : अच्छा चलती हूं बाय

मीनाक्षी : बाय

मीनाक्षी आंटी उनके यार विक्रम और मम्मी अपने यार सरपंचजी के साथ दोनो अपने अपने यारो के साथ फ़िल्म देखने आयी थी। फर्क सिर्फ इतना था कि मीनाक्षी आंटी ने सच बोला था और मम्मी ने झुठ की सरपंचजी मेरे चाचा है।

मम्मी अब थोड़ी डर गयी थी कि उनको किसी पहचानवाले ने सरपंचजी के साथ देख लिया है।

अब आगे क्या होता है ये जानने के लिये अगला पार्ट पढिये अगर कहानी अच्छी लगे तो like कीजिये कमेंट कीजिये और फीडबैक देने के लिये और मम्मी के बारे में बात करने के लिये mail या hangout पर मेसेज कीजिये

[email protected]

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