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Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan – Episode 15

This story is part of the Sanjha Bistar, Sanjhi Biwiyan series

राज और रानी को चुम्बन करते हुए देख कर कमल से रहा नहीं गया। उसने अपनी बीबी को करीब खींचा तो कुमुद भी खिसक कर कमल की बाँहों में आ गयी।

इतने दिनों से पति से अलग रहने से वह भी मायूस हो गयी थी। वह समझ चुकी थी की राज जो कह रहा था की ऐसी बातों को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए वह सही था।

कुमुद ने तय किया की अब उसके लिए अपने पति को खुश रखना बहुत जरुरी है। अपना पति थोड़ा बहुत इधर उधर भटक भी जाए फिर भी अपना होता है।

अब जब इतने दिनों के बाद कमल उसे प्यार कर रहा था तो कुमुद कमल को रोकना नहीं चाहती थी।

कुमुद बोली, “मेरे पागल पति! मैं तो तुम्हारी हूँ और हमेशा रहूंगी। ना मैं तुम्हें रोकूंगी ना ही टोकूँगी, बस खुश?”

कमल ने कुमुद के होठोँ पर एक हलकी सी किस करके बोला, “डार्लिंग आज की रात हम सब मिलकर मौज करेंगे।

यह कह कर कमल ने अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर राज और रानी के पास खिसका दिया। कमल खुद पलंग पर चढ़ कर कुमुद से चिपक कर बैठ गया।

हाल यह था की एक पलंग तो खाली था और दूसरे पलंग के ऊपर दोनों युगल एक दूसरे के बदन से सट कर बैठे हुए थे। रानी अपने पति राज की बाँहों में प्रगाढ़ चुम्बन करने में व्यस्त थी।

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थोड़ी देर बाद जब राज और रानी अलग हुए तो राज ने अपनी पत्नी रानी की छाती पर हाथ रखते हुए कमल से पूछा, “भैया, गरबा से क्यों जल्दी वापस आ गये?”

कमल ने कुछ हिचकिचाते हुए, कहा, “गरबा में बहुत सारी सुन्दर लडकियां और औरते थीं। मेरे लिए तो हमारी दो सुन्दर बीबियाँ ही काफी हैं। मैं कन्फ्यूज़ होना नहीं चाहता था।”

कुमुद ने अपने पति कमल को चूँटी भरते हुए कहा, “झूठे कहीं के। क्यों नहीं कहते हो की तुमसे हमारे बगैर रहा नहीं गया?” कुमुद के मुंह से “रानी के बगैर रहा नहीं गया” निकल जाता पर अपने आप को सम्हालते हुए उसने “हमारे बगैर रहा नहीं गया” वाक्य का प्रयोग किया।

पर कमल अपनी पत्नी का इशारा समझ गया था। शर्म के मारे वह कुछ बोल नहीं पाया। कुमुद ने काफी अरसे के बाद अपने पति को उलझन में फंसे हुए चुप चाप रहते हुए महसूस किया।

कमल ने देखा रानी अपने पति राज की गोद में लेटी हुई थी, और राज बात करते हुए अपनी बीबी रानी की छाती पर सजे हुए परिपक्व स्तनों को हलके से मसल ने लगा था।

इसे देख कमल ने भी अपनी बीबी कुमुद को अपनी गोद में लिया, और कुमुद के स्तनों के ऊपर अपना हाथ फिराना और धीरे धीरे उनको को दबाना और मसलना शुरू किया।

कुमुद ने जब अपने पति का हाथ पकड़ उसे रोकना चाहा, तो कमल ने अपनी बीबी का हाथ हटा कर उसके स्तनों को और फुर्ती से मलना जारी रखा।

हार कर कुमुद चुपचाप अपने पति की गोद में लेटी हुई अपने पति की हरकतों का आनंद लेती रही। दोनों ही पति अपनी अपनी पत्नियों के स्तनों को गाउन के ऊपर से मलने का आनंद लेने लगे।

राज ने कहा, “रानी ने अपनी सजा भुगत ली है इसलिए अब सवाल पूछने की बारी रानी की है। ”

रानी कुमुद की और मुड़ी और बोली, “कुमुद बताओ, कौन सी पिक्चर में एक हिंदुस्तानी हीरो इंग्लैंड की टीम में क्रिकेट खेलता हुआ दिखाया गया है?”

कुमुद सोचने लगी। उसे क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उसने कहा उसे नहीं मालुम।

तब रानी ने कहा, “वह पिक्चर थी पटियाला हाउस। अब तुम हार गयी हो तो तुम भी अपने पति की गोद में बैठकर उसे चुम्बन करो।”

कमल तो इसी का इंतजार कर रहा था। उसने फुर्ती से कुमुद को लपक कर पकड़ा और अपने होँठ कुमुद के होँठों से मिलाकर चुम्बन में खो गया।

कुमुद भी अपने पति के गाढ़ आलिंगन में जकड़ी हुई उसे चुम्बन करके कमल के होँठों को चूसने लग गयी। कमल का हाथ अपनी बीबी के स्तनों को गाउन के ऊपर से ही मसलने में लग गया।

अब कुमुद की बारी थी सवाल पूछने की। कुमुद ने अपने पति कमल से पूछा, “बताओ, शोले पिक्चर में सुरमा भोपाली कौन बना था?”

कमल ने फ़ौरन जवाब दिया, “जगदीप।”

जवाब सही था। अब सवाल पूछने की बारी कमल कि आई। कमल ने अपनी बीबी कुमुद से पूछा, “कौन सी पिक्चर में हीरो आखरी बॉल में छक्का मारकर मैच जीतता है। ”

कुमुद फिर जवाब नहीं दे पायी। उसने कहा, “मुझे नहीं मालुम।”

कमल ने कहा, “लगान”

अपनी बीबी को सजा देने की बारी अब कमल की थी। कमल ने कुमुद से कहा, “अब तुम जाओ और राज की गोद में जा कर बैठ जाओ और उसे चुम्बन करो।”

कुमुद ने कमल की और तर्रार नज़रों से देखा और कहा, “ऐसा मैं नहीं कर सकती।”

कमल ने कहा, “तुम्हें करना ही पडेगा। हमने अभी अभी तय किया था की हम एक दूसरे से कोई बंधन नहीं रखेंगे। तो चलो राज को किस करो। वरना मैं उठकर चला जाऊंगा।”

कुमुद बड़ी धीमी गति से उठी और जैसे बड़ी अनिच्छा दिखाती हुई राज और रानी की और घूमी। रानी राज की गोद में से हट गयी और कुमुद राज की गोद में जा बैठी। फिर शर्म से नीची नजर रखे हुए कुमुद ने अपने होँठ राज के होँठों पर रखे।

राज फ़ौरन कमल की और देखता हुआ (जैसे उसकी इजाजत मांग रहा हो) कुमुद को होँठ से होँठ मिलाकर चूमने लगा। राज और कुमुद थोड़े समय के लिए अटपटे ढंग से एक दूसरे के होँठ चूमते रहे और फिर धीरे से अलग हुए।

कुमुद ने कहा, “बस भाई, यह गेम कुछ ज्यादा ही हो गया। अब मुझे नींद आ रही है। हम सोने चलते हैं।”

कुमुद जैसे ही मुड़ी की कमल ने उसे अपनी गोद में ले लिया और कुमुद की छाती दबाने में लग गया। कुमुद की कमल को रोकने की शक्ति नहीं बची थी। वह खुद भी तो कमल के हाथों से अपने स्तनों को दबवाने का आनन्द उठाना चाहती थी।

राज ने देखा की कुमुद भी अब राज और रानी के सामने ही कमल के हाथों से अपनी चूँचियों को दबवाने का आनंद ले रही थी। राज ने रानी पर झुक कर अपनी बीबी के होँठों पर अपने होँठ रख दिए और रानी को चूमने लगा।

रानी ने देखा की कमल उसकी और बड़ी लोलुप नज़रों से देख रहा था। शायद अपनी पत्नी की चूँचियों को दबाते हुए कहीं वह यह तो नहीं सोच रहा था जैसे वह रानी की चूँचियाँ मसल रहा हो?

इस के बाद कमरे में राज और उसकी बीबी रानी के और कमल और उसकी बीबी कुमुद के गहरे चुम्बन और होँठों से होँठ मिला कर उन्हें चूसने के अलावा कोई और आवाज नहीं आ रही थी।

कमल बार बार राज और रानी की और देखता और तब उसके मन में एक कसक उठती। कमल और कुमुद राज और रानी के करीब ही लेटे हुए थे। दोनों पत्नियों की जांघें एक दूसरे से लगभग सटी हुई थीं।

तब कुमुद ने रानी की और घूम कर रानी के कानों में इस तरह से कहा जिसे उनके पति सुन ना सके।

कुमुद ने कहा, “मेरी प्यारी छोटी बहन रानी। तू जितनी सुन्दर है उतनी ही सरल है। हमारे पतियों की तरह आज से हम दोनों बहनें भी एक दूसरे से कोई बात छुपायेंगे नहीं और एक दूसरे से हर चीझ मिलजुल कर शेयर करेंगे और बाँटेंगे। हम हमारा सुख, दुःख, यहां तक की हमारा प्यार भी एक दूसरे के साथ मिलकर बाटेंगे। तभी तो हम हमारे पतियों की सच्ची सह संगिनी बन कर रह सकती हैं ना? वरना उनके और हमारे बिच हमेशा मन भेद होता रहेगा। ठीक है? क्या तुम्हें यह स्वीकार्य है?”

रानी नजरें झुका कर कुमुद के कानों में फुसफुसाते हुए बोली, “तुम मेरी बड़ी बहन और मेरी शुभचिंतक हो। मैं वही करुँगी जो तुम कहोगी। तुम्हारी हर आज्ञा मुझे स्वीकार्य है।

कुमुद ने रानी से अलग होते हुए हल्का सा मुस्कुराकर बोली, “तो फिर अपनी शर्म को छोडो और चलो अब अपने पतियों का दुःख निवारण करते है।” यह कह कर कुमुद वापस अपने पति की बाँहों में पहुँच गयी और कमल के होँठों से अपने होँठ मिलाकर प्रगाढ़ चुम्बन करने में जुट गयी।

कमल ने पूछा, “रानी के साथ क्या फुसफुसाहट हो रही थी? रानी को क्या पाठ पढ़ा रही थी तुम? कहीं हमारे खिलाफ कोई साज़िश तो नहीं रच रही थी तुम दोनों?”

कुमुद ने कहा, “हम बेचारी क्या साज़िश रचेंगी? हम तो तुम्हारी सेविकाएं हैं। बल्कि मैं तो उसे यह कह रही थी की हमें हमारे पति की हर इच्छा, चाहे जो भी हो, पूरी करनी है।”

कमल ने कहा, “अच्छा? यह तो बड़ी समझदारी की बात कही तुमने।”

कमल ने फुर्ती से कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठोँ से अपने होँठ चिपका कर एक बार फिर उसे चुम्बन करने लगा। कमल का एक हाथ उसकी बीबी की चूँचियों को मसल ने में लगा था तो दूसरे हाथ से अचानक ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने शुरू किये।

कुमुद ने अपने पति को जब रोकना चाहा, तो कमल ने कुमुद के कानों में बोलकर यह याद दिलाया की उस रात के लिए कुमुद ने वचन दिया था की कुमुद कमल को कुछ भी करने से नहीं रोकेगी।

यह सुन कर कुमुद ने अपने पति कमल से कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी, पर पहले चद्दर तो ओढ़ लेते हैं।” यह कह कर कुमुद ने एक चद्दर खिंच कर अपने और अपने पति पर डाल दी।

राज और रानी हक्का बक्का होकर कमल और कुमुद की चद्दर के निचे की हरकतें देखे रहे। राज ने देखा की कमल अपनी बीबी कुमुद की चूँचियों को चद्दर के निचे से अनावरण करने में लगा हुआ था। राज की उत्सुकता बढ़ गयी। उसने कभी कुमुद के उन्नत उरोजों को खुल्ले नहीं देखा था।

कमल ने देखा की राज उसकी और टकटकी लगाए देख रहा था और कुमुद के स्तनों को निर्वस्त्र होने का इंतजार कर रहा था, हालांकि राज के हाथ चद्दर के निचे उसकी बीबी रानी के गाउन के ऊपर रानी की चूँचियाँ मसलने में लगे हुए थे।

कमल भी तो राज को प्रेरित कर रहा था की वह भी रानी के गाउन को खोले ताकि कमल को भी रानी के परिपक्व भरे हुए स्तनों को देखने का मौक़ा मिले।

दोनों पति प्यार तो अपनी बीबियों से कर रहे थे, पर उनकी निगाहें दूसरे की बीबी पर थी। जब राज ने सुना की कमल अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोलने की जिद कर रहा था और कुमुद उसको रोक रही थी, तब बार बार कमल वही बात दुहरा रहा था की कुमुद ने कमल को वचन दिया था की वह कमल को रोकेगी नहीं। कुमुद के पास उसका कोई जवाब नहीं था।

अब साफ़ दिख रहा था की कमल जबरदस्ती कुमुद के गाउन के पट आगे से खोलने में जुटा हुआ था। राज बड़ी बेसब्री से कुमुद के स्तनों के दर्शन करने की लालसा से कमल के कार्यालाप को बड़े ध्यान से देखने लगा।

जैसे ही कमल ने अपनी बीबी कुमुद के गाउन के बटन खोले की कुमुद के स्तन अंदर से कूद कर फैलते हुए उसके गाउन के बाहर कूद पड़े।

उसके साथ ही कुमुद चौंक पड़ी और इस आननफानन में कुमुद और कमल के ऊपर बिछाई चद्दर खिसक गयी और कुमुद के उद्दंड उरोज, राज को साफ़ साफ़ दिख गए।

राज ने देखा की ऊपर से दबे होने के बावजूद कुमुद के दोनों स्तन फुले हुए और उद्दंड खड़े हुए, चॉकलेट रंग की छतरी जैसे एरोला के बिच फूली हुई निप्पलों का मुकुट पहने दो टीलों के समान प्रतीत हो रहे थे।

कमल ने राज की और राज की प्रतीक्रिया महसूस करने के लिए देखा। राज को ऐसा लगा की शायद कमल ने जान बुझ कर ऊपर की चद्दर पैरों से झटका मार कर हटा दी थी, ताकि राज को कुमुद के स्तनों के दर्शन हो सके।

कुमुद के उन्नत स्तनों को देखते ही राज की आँखें फटी की फटी रह गयीं। अपनी बीबी रानी के स्तन भी तो भरे हुए और मदमस्त थे जो की उसने सैंकड़ों बार देखे थे।

पर कमल की पत्नी कुमुद के स्तनों को निहार कर तो राज की शक्ल देख कर कमल को लगा, जैसे राज पगला गया सा लग रहा था। उसका हाथ हालांकि अपनी बीबी रानी की छाती के उभार को सेहला रहा था, पर उसकी निगाहें तो बस कुमुद की छाती से हटने का नाम नहीं ले रही थीं।

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