Hindi Sex StoriesUncategorized

Drishyam, ek chudai ki kahani-10

This story is part of the Drishyam, ek chudai ki kahani series

हेल्लो दोस्तों, अब आगे की कहानी पढ़िए!

अर्जुन ने महसूस किया की उस दोपहर के बाद शायद कालिया का भी ह्रदय परिवर्तन होने लगा था। अब वह पहले की तरह बातबात में गुंडा गर्दी पर नहीं उतर आता था। अर्जुन ने भी कालिया का साथ दिया और धीरे धीरे कालिया और अर्जुन की दोस्ती पक्की हो गयी।

अर्जुन से मिलने के लिए अक्सर कालिया अर्जुन के चाचाजी की दूकान पर वैसे ही आने लगा। जब मौक़ा मिलता तब कालिया और अर्जुन बैठ कर ताश खेलते या इधरउधर की बातें करते। कालिया ने आहिस्ते आहिस्ते अर्जुन के करीब आकर उसे उकसाना शुरू किया।

कालिया में आया हुआ बदलाव देख कर अर्जुन के चाचा सबसे ज्यादा खुश हुए, क्यूंकि उन्होंने देखा की कालिया जो सामान की मार्किट में किल्लत होती थी वह सामान चाचा जी की दूकान पर सबसे पहले और ज्यादा तादाद में पहुंचा देता था। इससे चाचाजी की सेल भी बढ़ने लगी।

ऐसे ही एक दिन जब कालिया अर्जुन से दूकान पर बातें कर रहा था तब सिम्मी अचानक घर से आ पहुंची। कालिया को देख कर सिम्मी कुछ सकपका सी गयी। अर्जुन ने देखा की कालिया भी चुप हो गया। कालिया और सिम्मी एक दूसरे से आँख मिलाने से बच रहे थे।

अर्जुन ने उन दोनों की असमंजस को दूर करने के लिए सिम्मी को चाय बनाकर लाने के लिए कहा। जब सिम्मी चाय ले कर आयी तो अर्जुन ने दीदी से कहा, “दीदी कालिया कह रहा है की वह जो भी सामान की किल्लत होगी, सबसे पहले हमारे यहाँ पहुंचाया करेगा।”

सिम्मी कालिया की और देख कर हल्काफुल्का मुस्करायी और कुछ भी ना बोलते हुए वहाँ से खिसक ली। यह देख कर कालिया के दिल की धड़कन तो जरूर बढ़ी होगी पर सबसे ज्यादा ख़ुशी अर्जुन को हुई। सिम्मी ने कालिया के बारे में ना तो कोई कड़वी टिपण्णी की और ना ही कोई आपत्ति जताई। अर्जुन को अपना प्लान कामयाग होने की उम्मीद जगी।

अब अर्जुन ने ठान लिया की वह कालिया और दीदी को करीब लाने की कोशिश में लग जाएगा।

धीरे धीरे कालिया दूकान पर होता था तब भी सिम्मी दूकान पर आने लगी। सिम्मी ने महसूस किया की हर वक्त कालिया की नजर सिम्मी की गाँड़ पर और उसकी छाती पर ही होती थी। पहले तो सिम्मी सेहम कर अपनी छाती ढक लेती और वहाँ से खिसक लेती थी। पर सिम्मी को भी कालिया की नजर से अजीब सी खिंचाव महसूस होने लगा था।

और वैसे भी कालिया ने सिम्मी का पूरा नंगा बदन ना सिर्फ देखा था बल्कि अच्छी तरह से चोदा और रगड़ा भी था तो फिर इतना ज्यादा क्या शर्माना? कहीं ना कहीं सिम्मी कालिया के हट्टेकट्टे बदन और उसके बदन से निकलती हुई उसके पसीने की बू को महसूस कर के कुछ अजीब सा रोमांच अनुभव करने लगी थी।

कालिया की लोलुप नजर अपने बदन पर देखकर सिम्मी पानी पानी हो जाती। उसकी चूत में गजब की हलचल होने लगी और उसकी चूत गीली होने लगी थी।

कालिया अर्जुन से अपनी दोस्ती गहरी किये जा रहा था। एक दिन अर्जुन ने कालिया से पूछा की कालिया को किस तरह की लडकियां पसंद हैं? तब कालिया ने बेझिझक अर्जुन को कह दिया की उसे सिम्मी जैसी लडकियां बहुत पसंद है।

फिर अर्जुन की और देख कर बोला, “भाई माफ़ करना बोलते बोलते बोल गया। सिम्मी तुम्हारी बहन है। पर सच में यह तो तुम भी मानोगे की वह वाकई में बहुत खूबसूरत और सेक्सी है। है की नहीं?”

अर्जुन को तो यही सुनना था। उसने कालिया की बात को ना काटते हुए कहा, “तुम्हारी बात तो सही है। दीदी सुन्दर और सेक्सी तो है।”

अर्जुन का सही रवैय्या देख कर कालिया को कुछ जोश चढ़ा। उसने अर्जुन से कहा, “भाई, मेरा एक काम करोगे? गुस्सा तो नहीं करोगे?”

अर्जुन ने बिना बोले कालिया की और देखा। कालिया ने फुर्ती से अपनी जेब से एक छोटासा पैकेट निकाला। उसमें एक कैलकुलेटर था। उस जमाने में कैलकुलेटर भी काफी महँगा मिलता था।

कालिया ने अर्जुन से कहा, “यह कैलकुलेटर सिम्मी को मेरी तरफ से दे दोगे? मैंने सूना है सिम्मी पढ़ाई में अव्वल है। उसे पढ़ाई में और दूकान के हिसाब रखने में काम में आएगा।”

उस रात को जब अर्जुन ने दीदी को वह कैलकुलेटर दिया तो दीदी की आँखों में चमक देख कर अर्जुन को यकीन हो गया की दीदी भी दुबारा कालिया के करीब जाने से परहेज नहीं कर रही और शायद कालिया से चुदवाने के लिए भी राजी हो सकती है।

दूसरे दिन जब कालिया ने अर्जुन से पूछा की क्या सिम्मी ने उसकी दी हुई गिफ्ट स्वीकार कर ली? तब अर्जुन ने कहा की दीदी कालिया की गिफ्ट देख कर खुश हुई थी।

कालिया ने कहा, “भाई, मुझे सिम्मी के साथ मिला दोगे? वह मुझे बहुत अच्छी लगती है।”

अर्जुन ने कुछ शरारत के लहजे में पूछा, “क्यों कालिया? तुम्हारी नियत ठीक नहीं है क्या? तुम दीदी को भी दूसरी औरतों की तरह पटाना चाहते हो क्या?”

कालिया अर्जुन की बात सुनकर सकपकाया और कुछ सहम सा गया। फिर सम्हाल कर बोला, “भाई ऐसी कोई बात नहीं। पर देखो यार मैं साफ़ साफ़ बात करता हूँ। सिम्मी तुम्हारी बहन है। मेरी नहीं। मैं जानता हूँ की मेरी औकात नहीं की मैं सिम्मी से शादी कर सकूँ। पर मैं सिम्मी को बहुत पसंद करता हूँ तो उसका दोस्त तो बन सकता हूँ ना? अगर मैं सिम्मी से बात करूंगा तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी। क्या तुम सिम्मी से मेरी मुलाक़ात नहीं करवा सकते?”

अर्जुन ने कालिया को यह नहीं जताया की वह जानता था की कालिया सिम्मी की चुदाई कर चुका था। अर्जुन ने कालिया को चिढ़ाते हुए पूछा, “क्यों भाई, मेरी दीदी को फाँसने का प्लान है क्या?”

कालिया ने भी सीधा सीधा जवाब दिया, “यार तुम भी कमाल हो। अगर तुम्हारी दीदी फँसना चाहेगी तब तो मैं उसे फाँसूंगा ना? पर पहले तुम तुम्हारी दीदी से मेरी मुलाक़ात तो करवाओ?”

अर्जुन ने पट से कहा, “क्यों नहीं भाई? मैं तुम्हारी मुलाक़ात करवा देता हूँ। और बोलो?”

कालिया ने अर्जुन का हाथ थाम कर बोला, “भाई, इसमें फँसने, फाँसने की कोई बात नहीं है। मैं तुम्हारे साथ साथ सिम्मी से भी दोस्ती करना चाहता हूँ। तुम अगर मेरी मुलाक़ात करवा दोगे तो मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर याद रखूंगा।”

अर्जुन ने कालिया को यह कहते हुए सूना तबसे वह कालिया को दीदी को चोदते हुए देखने के सपने देखने लगा। अर्जुन भली भाँती जानता था की दोस्ती का तो सिर्फ बहाना है। वास्तव में तो कालिया सिम्मी को दुबारा चोदने के सपने देख रहा था। पर इस बार कालिया चाहता था की वह सिम्मी को जबरदस्ती से नहीं पर सिम्मी की अपनी मर्जी से चोदे।

चाचा को चाची को चोदते हुए जबसे अर्जुन ने देख था तब से पता नहीं क्यों, उसके मन में चुदाई देखने का एक पागलपन सवार हो गया था। अब दीदी की कालिया से चुदाई देखने की मंशा उसे सताने लगी थी। उसके मन में एक तरह का जनून सवार हो गया की कालिया दीदी को चोदे।

कालिया भी तो यही सपने देख रहा था। जबसे उसने सिम्मी को पहली बार देखा था तबसे और ख़ास कर सिम्मी को चोदने के बाद से तो वह पागल जैसा हो गया था। जिस तरह सिम्मी ने उससे चुदाई कराई वह कालिया के लिए एक अद्भुत अनुभव था।

उसने कई औरतों और लड़कियों को चोदा था। पर सिम्मी की बात ही कुछ और थी। उसके मन में एक टीस सी उठती ही जा रही थी की वह सिम्मी का नंगा बदन फिर से देखे और उसे फिर अच्छी तरह से रगड़े और अपनी प्यास शांत करे।

वह सिम्मी के बदन का हर एक अंग दुबारा अपनी बाहों में ले कर उसे चूमना और सहलाना चाहता था। उसे अर्जुन से बड़ी उम्मीद थी की यह काम सिर्फ अर्जुन की मदद से ही हो सकता था। इस लिए कालिया ने अर्जुन को साधना शुरू कर दिया।

वैसे भी कालिया अर्जुन के लिए हर बार कुछ ना कुछ भेंट लेकर आता ही था और धीरे धीरे अर्जुन कालिया से सेक्स के बारे में लम्बी चौड़ी बातचीत करने लगा। अर्जुन सेक्स के मामले में नौसिखिया था और कालिया कई औरतों को चोदने के कारण काफी अनुभवी था। कालिया को अर्जुन के प्रश्नों के उत्तर देने में बड़े गर्व का अनुभव होता था।

अक्सर जब अर्जुन को कुछ समझ नहीं आता था तब वह कालिया को अजीबो गरीब सवाल पूछता जैसे औरतों की छाती इतनी बड़ी फूली हुई क्यों होती हैं, औरत की चूत में कट क्यूँ होता है, मर्दों को लण्ड में से हिलाने से मलाई जैसा प्रवाही क्यों निकलता है इत्यादि। कालिया से हुई सारी बातें अर्जुन सिम्मी को बड़े गर्व से सुनाता था जिसे सिम्मी बड़े ध्यान से सुनती थी।

कालिया अक्सर सिम्मी और अर्जुन के चाचा रश्मि भाई की दूकान के लिए कंपनियों से डिलीवरी लेकर आ जाता था और कई बार काफी देर तक दूकान पर बैठा रहता था।

जब सिम्मी कॉलेज से लौट कर आती तब कई बार कालिया माल की डिलीवरी ले कर चाचाजी की दूकान पहुँच जाता। माल की डिलीवरी लेकर किताबों में चढ़ाना सिम्मी की जिम्मेवारी होती थी। अक्सर कंपनी की चेक पेमेंट कालिया सिम्मी से लेने लगा।

एक बार पेमेंट लेते लेते कालिया ने सिम्मी के हाथ छुए तब सिम्मी ने इधर उधर जरूर देखा पर सिम्मी ने कोई विरोध नहीं किया और धीरे से अपना हाथ छुड़ा कर, यह जताते हुए की कहीं कोई देख ना ले, वहाँ से खिसक ली। यह देख कर कालिया का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया।

कालिया ने एक दिन अर्जुन से पूछा की अगर सिम्मी तैयार हो तो अर्जुन और सिम्मी को कालिया एक रेस्टोरेंट में खाना खाने के ले लिए ले जाना चाहता था। उसी शाम अर्जुन ने दीदी से इसके बारे में पूछा तो सिम्मी ने अर्जुन से काफी कुछ पूछताछ की और मना कर दिया।

जब अर्जुन ने बार बार दीदी को आग्रह किया की शायद कालिया वाकई में अपने किये पर पछता रहा था और सिम्मी से बात करना चाहता था और शायद उससे माफ़ी माँगना चाहता था तब सिम्मी ने अर्जुन से कहा की अगर कालिया सिम्मी से इसी के बारे में मिलना चाहता है तो सिम्मी कालिया से बात करने के लिए तैयार है।

रेस्टोरेंट में अर्जुन ने बैठने के लिए गोल टेबल को पसंद किया ताकि कालिया और सिम्मी को साथ में ही बैठना पड़े। शुरू में तो सिर्फ अर्जुन ही बोलता रहता था। दीदी और कालिया एकदम चुप्पी साधे हुए बैठे थे। कुछ देर बाद अर्जुन वहाँ से वाशरूम में जाने का बहाना करके खिसक लिया तब उसने देखा की दीदी और कालिया धीरे धीरे आपस में बातें करने लगे थे।

शायद कालिया दीदी से माफ़ी मांग रहा था। जब अर्जुन वापस पहुंचा तो उसने पाया की दीदी और कालिया के बिच पहले जैसा तनाव नहीं रहा था। दीदी कालिया से दूकान के सप्लाई के बारे में पूछ रही थी। वह लोग अच्छी तरह से बातें कर रहे थे। अर्जुन को लगा की बात आगे बढाने का सही वक्त आ चुका है।

जब दूकान पर चाचा नहीं होते थे तब कालिया सिम्मी को बेख़ौफ़ घूरने का मौक़ा नहीं चुकता था। उसकी नजर सिम्मी के वक्ष और नितम्बों पर ही रहती थी। सिम्मी भली भाँती जानती थी की कालिया की नजर उसके बदन को हरदम कुरेदती रहती थी। सिम्मी को समझ नहीं आता था की उस समय उसके मन में कैसे भाव पैदा होते थे।

उसे एक तरफ एक सटीक उत्तेजना महसूस होती थी और और उसकी जाँघों के बिच से पानी रिसने लगता था तो दूसरी तरफ सिम्मी को कालिया से डर भी लगता था। कालिया की की हुई जबरदस्त चुदाई सिम्मी को बारबार सताती रहती थी।

पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!

[email protected]

https://s.magsrv.com/splash.php?idzone=5160226

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button