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Amit Uncle Aur Rohit Bhaiya Se Chuda

This story is part of the Amit Uncle Aur Rohit Bhaiya Se Chuda series

हेल्लो, मेरा नाम मधुर है, मैं अब 21 साल का हूँ। मेरा क़द 5 फ़ुट 2 इंच है और वज़न 50 किलो।

ये बात तब की है जब मैं **वी क्लास में आया। मुझे शुरू से ही मर्दों के प्रति आकर्षण था। घर पर जब पापा या भईया कपड़े बदलते तो मैं उन्हें ध्यान से देखा करता, उनके चड्डी में बना उभर मुझे बहुत ही अच्छा लगता।

माँ ने तो कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन पापा ने इस बात पर ग़ौर किया और एक दो बार मुझे डाँट भी दिया जब मैं उन्हें कपड़े बदलते हुए देख रहा था।

फिर एक बार पापा के एक दोस्त अपने बेटे के साथ हमारे घर रुके। वो पापा के ऑफ़िस में ही काम करते थे लेकिन फिर उनका ट्रान्स्फ़र दूसरे शहर हो गया था। वो तीन दिन के लिए आए थे उन्हें उनकी पुरानी प्रॉपर्टी बेचनी थी।

मै उन दोनो से पहली बार मिला था। अंकल का नाम अमित है वो उस वक़्त क़रीब 41 के थे और उनके बेटे का नाम रोहित है जो उस वक़्त 21 के थे।

आंटी की स्वर्गवास कुछ दिन पहले ही हुआ था। दोनो बाप बेटे कम दोस्त ज़्यादा लगते हैं क्योंकि दोनो की शक्ल और क़द काठी एक समान है। दोनो ही 6 फ़ुट लम्बे और जिम जाते हैं इसलिए काफ़ी लम्बे चौड़े है उनके सामने मैं तो बच्चा लगता था।

दोनो का स्वभाव बहुत अच्छा है। जिस दिन वो आए क़रीब 11 बजे तक सब हॉल मैं ही बैठे बात करते रहे फिर जब सोने का समय हुआ तो तीन कमरे ही होने के कारण उन्हें मेरे बेडरूम में ठहराया गया। क्योंकी एक कमरे मैं मम्मी पापा दूसरे कमरे में भईया भाभी थे।

रात को जब सोने गए तो पापा ने मुझसे कहा के मैं ड्रॉइंग रूम में सो जाऊँ क्योंकि उन्हें डर था के कहीं मैं कोई हरकत ना कर बैठूँ लेकिन मम्मी ने मना कर दिया क्योंकि ड्रॉइंग रूम मैं ए.सी भी नहीं था और पंखा भी धीमा चलता था।

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ख़ैर रात को सोते वक़्त अंकल ने कहा के वो एक साइड सोएँगे क्योंकि उन्हें जल्दी उठने की आदत थी और उनके बेटे ने कहा वो एक साइड सोएगा मुझे उनके बीच सोना पड़ेगा आइस तय हुआ।

सोने से पहले अंकल और रोहित भईया ने अपने शर्ट निकल दिए क्योंकि उन दोनो की ऐसे सोने की आदत थी। मुझे लगा था सिर्फ़ शर्ट ही निकलेंगे लेकिन फिर उन लोगों ने जींस भी निकल दी क्योंकि टाइट जींस में नींद नहीं आती।

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया। उन दोनो की चड्डी आगे से इतनी फूली हुई थी मेरी तो साँस रुक गयी ख़ैर उन दोनो ने ध्यान नहीं दिया। मैं तो बरमूडा टी शर्ट पहन कर ही सोता था।

लाइट बंद कर दी और एक डबल बेड की दोहर में हम सो गए। रात को मेरी नींद खुली तो पाया मैं अंकल से बिलकुल चिपक कर सोया था, मेरा सिर उनकी बायीं भुजा पर और मेरा चेरा उनके सीने में था।

अंकल का दाया हाथ मेरे ऊपर था और अंकल गहरी नींद में थे। मैंने हल्के से मुड़कर देखा रोहित भईया हमारी तरफ़ पीठ करके सोए थे, एक बार तो मेरा माँ किया रोहित भईया की शक्तिशाली पीठ से चिपक जाऊँ लेकिन फिर अंकल की तरफ़ ध्यान गया तो पाया अंकल भी कम नहीं थे।

क्या मस्क्युलर हाथ और कंधे थे उनके और कितना चौड़ा सीना था एक दम गोरा और बीच में एक गहरी लकीर जो सीने को दो भाग में बाँटती थी। और उसपर उनके सीने के बाल। और उनमें छूपे निप्प्ल जिनके बिलकुल क़रीब मेरा मुँह था।

मुझ से बिलकुल कंट्रोल नहीं हो रहा था पर डर भी लग रहा था के केन हंगामा नहीं हो जाए लेकिन फिर भी मैंने धीरे दे जीभ निकल कर अंकल के निप्प्ल को चाटा, अंकल ने कोई हरकत नहीं की तो मैंने एक बार और हिम्मत की और एक बार और चाटा।

पहली बार मैंने किसी के नंगे शरीर को छुआ था, मेरे पूरे शरीर मैं बिजली दौड़ रही थी पूरा शरीर डर और सेक्स से काँप रहा था।

इस बार अंकल ने हरकत की मेरी डर के मारे जान निकल गयी, लेकिन ये क्या अंकल ने अपने दाएँ हाथ से मेरा सिर पीछे धीरे से पकड़ा और मेरी और देख कर पहले मेरे माथे को चूमा फिर मेरे चेहरे को अपने निप्प्ल पर दबा दिया।

इतना करते ही जैसे मेरा सारा डर ख़त्म हो गया मैं ज़ोर ज़ोर खुलकर से निप्प्ल चूसने लगा। अंकल ने एक बार के लिए मुझे अलग किया और अपने होठों पर ऊँगली रख कर मुझे आवाज़ नहीं करने का इशारा किया और फिर से मेरा मुँह अपने निप्प्ल से सटा दिया।

मैं उनका स्तनपान करने लगा इतने में अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चड्डी के पास ले गए जैसे ही मैंने वहाँ छुआ मेरी तो जैसे जान निकल गयी अंकल की चड्डी वहाँ नहीं थी और मेरे हाथ में सीधा उनका लंड आया।

ये पहली बार मैंने किसी और का लंड छुआ था। अंकल का लंड बहत बड़ा और मोटा लगा मुझे। क़रीबन 8 इंच लम्बा और 5 मोटा था और थोड़ा बाएँ ओर मुड़ा हुआ था।

मेरा गला सूख गया मेरे निप्प्ल चूस रहे होंठ भी बंद हो गए अंकल समझ गए क्या हुआ है और अपने दाएँ हाथ से मेरा सर नीच धकेलने लगे ।

अब मैं समझ गया अंकल क्या चाहते हैं एक बार स्कूल में एक दोस्त ने ब्लू फ़िल्म दिखायी थी जिसमें लड़की लड़के का लंड चूस रही थी। मैं ये मौक़ा हाथ से नहीं जाने देना चाहता था ना ही मैं ये चाहता था के अंकल नाराज़ होकर शोर मचा दे।

मैं चद्दर के नीचे ही धीरे धीरे नीचे सरकने लगा, जब तक अंकल का लंड मेरे मुँह तक नहीं आ गया वहाँ जाकर मैंने उसे अच्छे से अपने हाथ में लिया, क्योंकि पता नहीं कब ये मौक़ा फिर से मिलेगा ज़िंदगी में ये पता नहीं था।

मैंने अच्छे से मसल मसल कर उसे देखा मैं उसे अपनी याद में बसा लेना चाहता था, फिर अपना मुँह पास में ले गया और चमड़ी नीचे करी।

चमड़ी नीचे करते ही एक अलग सी ख़ुशबू मेरी साँस मैं बस गयी मैं अपनी सारे मन से अंकल के लंड को चूसने लगा और एक हाथ से अंकल के आंडो को पकड़ कर मसाज करने लगा।

इतना मज़ा आ रहा था चूसने मैं बस पूछो मत। टमाटर जैसा गोल गोल फूला हुआ टोपा , एक दम कड़क लंड मैं तो उसकी जैसे पूजा करने लग गया और ज़ोर ज़ोर से मन लगा कर चूसने लगा।

धीरे धीरे अंकल भी कमर हिलने लगे और गांड आगे पीछे करके मेरा मुँह चोदने लगे। मैं भी अपनी सारी ताक़त लगाकर लंड चूसने लगा जैसे कि यही लंड दुनिया में सब कुछ है।

10 मिनट बाद अंकल ने तेज़ी से मेरे मुँह में झटके देने शुरू किए मुझे पता था अब कभी भी अंकल का वीर्य निकल सकता है।

इतने में पलंग धीरे से हिला अंकल ने अचानक मुझे रोक दिया और ख़ुद भी रुक गए। रोहित भईया ने करवट ली थी और हमारी तरफ़ मुँह करके सो गए थे।

क़रीब पाँच मिनट मैं चुप चाप अंकल का लंड मुँह में लिए लेटा रहा फिर जब अंकल को लगा रोहित भईया सो गए हैं तो अंकल ने धीरे धीरे कमर हिलनी शुरू की और मैंने लंड चूसना शुरू किया।

धीरे धीरे दस मिनट बाद अंकल ने तेज़ी से गांड हिलानी शुरू की और मैंने भी लंड को गले तक ले जा कर चूसना शुरू किया, इस बार पाँच मिनट बाद अंकल के आँड मेरे हाथ मैं टाइट हो गए अंकल के लंड में से गरर्र गर्र जैसा कम्पन हुआ टोपा फूल कर ओर भी मोटा हो गया और एक ज़ोरदार फँवारे के साथ अंकल ने अपने वीर्य की बारिश मेरे मुँह में कर दी। पाँच छह बार टोपा और फूला और हर बार मेरे मुँह को अंकल के बीज से भर दिया।

अंकल का वीर्य इतना गाढ़ा था के दही भी पतला लगे। मैं उसे लगातार निगलता गया क्योंकि एक मर्द के वीर्य को संभाल कर अपने अन्दर लेना मेरा फ़र्ज़ था।

दो तीन मिनट बाद सब कुछ शांत हो गया। मैंने अंकल के लंड को जीभ से अच्छे से चाटकर साफ़ किया और फिर अंकल ने मेरे मुँह से उसे निकल लिया और ऊपर आने का इशारा किया।

मैं बिना आवाज़ किया ऊपर आ गया और इस बार अंकल ने मेरा मुँह दूसरी करवट करवा दिया और मेरी कमर में हाथ डालकर और मेरी गांड को अपने लंड से लगा कर सोने लगे।

अंकल तो सो गए लेकिन मेरी नींद उड़ गयी थी। ये क्या हो गया था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। इतने में मैंने आँख खोली और चादर से मुँह बाहर निकाला तो मेरे होश उड़ गए। रोहित भईया हमारी ओर ही देख रहे थे।

डर के मारे मेरी जान निकल गयी लेकिन रोहित भईया ने कुछ नहीं बोला। वो धीरे से मुस्कुराए ओर उस वजह से मेरी जान में जान आयी।

अंकल गहरी नींद में थे और भईया ने डरते डरते चद्दर के अन्दर से अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और सहलाने लगे।

मैं एक दम शांत हो गया और मुझे इतना प्यार आया उनके बर्ताव पर के मैं धीरे से सरककर उनके पास गया और उनसे लिपट गया, भईया ने भी मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और चादर अपने सर के ऊपर तक सरका ली जिस से हम दोनो पूरे चादर के भीतर आ गया।

भईया ने मेरा चेहरा पकड़ा और मेरे होठों पर किया किया फिर अपनी ज़बान अन्दर सरका दी भईया भूल गए थे शायद के अभी अभी इसी मुँह ने उनके पापा का लंड चूसा है वोहि लंड जिस से उन्होंने जनम लिया था।

मेरे मुँह में अपने पापा के वीर्य का स्वाद पाकर भईया ने मुझे थोड़ा पीछे किया फिर धीरे से पूछा “मेरा चूसोगे?” मैंने हाँ में सर हिलाया और भईया ने मुझे नीचे सरकने का इशारा किया।

मैं नीचे सरकता गया बिलकुल वैसे ही जैसे अंकल का चूसते वक़्त सरका था। भईया ने चड्डी पहन रखी थी जो उन्होंने धीरे से नीचे सरका दी।

नीचे सरकते ही उनका लोड़ा मेरी आँखों के सामने आ गया, मैं उसे देख तो नहीं सकता था अच्छे से लेकिन हाथ में लिया तो लगा जैसे अंकल का लोड़ा ही हाथ में ले लिया हो।

भईया का लंड बिलकुल अपने पापा जैसा था वोहि आठ इंच लंबा और उतना ही मोटा पाँच इंच। वैसे ही बायीं और मुड़ा हुआ था। भईया की चमड़ी भी बिलकुल वैसी ही थी और चमड़ी को नीचे सरका कर जब मैंने मुँह में लिया, तो उसकी ख़ुशबू और स्वाद भी बिलकुल अपने पापा के लंड जैसा था। दोनो लंड ऐसे थे जैसे जुड़वा भाई हो।

मैं फिर से एक और लंड की पूजा करने लगा, उसे चूसने लगा,अपने तन मन प्राण सब कुछ त्याग कर उसे ही अपना सब कुछ मान कर चूसने लगा।

भईया ने अपने पापा की तरह अपना बाएँ हाथ से मेरे सर को पीछे से पकड़ लिया और कमर चलने लगे। एक ही रात में दूसरी बार और ज़िंदगी में भी दूसरी बार मैं लंड चूस रहा था और वो भी बाप बेटे का।

मैं लंड गले तक ले जा रहा था, एक हाथ से भईया के आंडो की मसाज कर रहा था दूसरे हाथ से भईया के लंड को पकड़ कर मुँह में आगे पीछे कर रहा था।

भईया अभी भी चद्दर के अन्दर ही थे पूरे के पूरे और धीरे धीरे कमर चलाने में लगे थे और अपनी गांड का धक्का देकर लंड को जड़ तक मेरे गले तक डालने की कोशिश कर रहे थे जिस से एक दो बार मेरे मुँह से उबकाई सी आयी और घूँ घूँ सी आवाज़ मेरे मुँह से निकल गयी।

इतने में मुझे लगा पलंग हिला है और इस बार अंकल थे। हम दोनो को नहीं पता था अंकल जाग गए हैं। जब अंकल का हाथ आ कर भईया के हाथ पर लगा, उसी हाथ पर जिस से भईया ने मेरा सिर पकड़ा हुआ था तब हमें पता चला।

हम दोनो एक दम रुक गए। भईया ने धीरे से अपना चेहरा चादर से बाहर निकाला देखा तो अंकल जाग रहे थे और मेरा सर भईया के हाथ के ऊपर से सहला रहे थे।

भईया डर गए लेकिन अंकल ने संभाल लिया और अपना हाथ मेरे सिर से हटा कर भईया का कंधा सहलाते हुए बोले “बेटा डर क्यों रहा है, इट्स ओके!”

फिर अंकल ने भईया पर से अचानक चादर हटा दी मुझे पता नहीं था अंकल ऐसा कर देंगे भईया का लंड अभी भी मेरे मुँह मैं था.

अंकल ने देखा फिर भईया से बोले “अभी ये छोटा है बेटा इतना ज़ोर से मुँह में नहीं डालते। धीरे धीरे डाल मैं सिखाता हूँ, और शर्माना बंद कर हम बाप बेटे हैं तुझे मैंने बचपन में भी तो नंगा देखा है तो अब क्या है, चल धक्के लगा।”.

ये कहकर अंकल ने भईया की पीठ थपथपायी। भईया का लंड जो कि थोड़ा ढीला हो गया था फिर से खड़ा हो गया और भईया ने फिर से गांड आगे पीछे करना शुरू कर दी।

अंकल अपने बेटे को मेरा मुँह चोदन करते देख मुस्कुराए और बोले “मेरा बेटा मुझे तुम पर गर्व है, अब अच्छे से छोड़ इसका मुँह।”

भईया ने अपनी स्पीड तेज़ कर दी और अंकल ने मेरा सिर पीछे से पकड़ लिया ताकि उनके बेटे को आसानी हो और दूसरे हाथ से अपने बेटे के आँड पकड़ कर उनकी मसाज करने लगे ताकि उनके बेटे को पूरा मज़ा आए।

दस मिनिट की मुँह चुदाई के बाद भईया गरर्र गरर्र करके मेरे मुँह में अपना वीर्य का फँवारा छोड़ने लगे।

क़रीबन छ आठ झटकों के बाद मेरा मुँह पूरा अपने वीर्य से भर दिया जिसे मैंने अपने दूसरे मर्द का प्रसाद समझ कर निगल लिया।

भईया का विर्यपात हो जाने के बाद मैंने उनके लंड को मुँह से चूसकर साफ़ किया और भईया ने फिर से चड्डी पहन ली।

अभी भी हम दोनो को अंकल से शर्म आ रही थी जिसे अंकल ने भाप लिया और बोले “रोहित क्या बोलता है मधुर को अपने साथ ले चलें?”

भईया धीरे से मुसकाए “जी पापा ”

“ठीक है मैं कुछ करता हूँ ” इतना बोलकर अंकल ने मुझे भईया के जाँघों के बीच से उठाकर ऊपर सरकाया और मुझे भईया और अपने बीच लेकर लेट गए और भईया के ऊपर एक हाथ डालते हुए अपने पास सरका लिया.

भईया ने भी अपना एक हाथ अपने पापा पर रख दिया और इस तरह उन दोनो के मस्क्युलर जिस्मों के बीच दबा हुआ मैं गहरी नींद सो गया।

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