Hindi Sex StoriesHindi Sexy StoryKamvasnaOral SexPorn story in Hindiहिंदी सेक्स स्टोरीज

भाभी की चूत चुदाई करते करते प्यार हो गया- 2

हिंदी चुत सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी पड़ोसन भी को चोद कर उनकी वासना पूरी की. लेकिन हम दोनों को आपस में प्यार हो गया.

हैलो फ्रेंड्स, मैं हरीश एक बार फिर से अपनी मौसी की किराएदार शीला भाभी की हिंदी चुत सेक्स कहानी को आगे सुनाने आपके सामने हाजिर हूँ.
हिंदी चुत सेक्स कहानी के पिछले भाग
भाभी की चूत चुदाई करते करते प्यार हो गया- 1
में अब तक आपने पढ़ा था कि कैसे हम दोनों ने उस रात में खेल किया और रात भर एक दूसरे को चोदते रहे. दूसरे दिन भाभी ने फिर से मुझे ऊपर आ जाने का कह दिया था.

Responsive Image Grid

मैं समझ गया था कि आज भी भाभी की चुत चोदने को मिल जाएगी.

अब आगे हिंदी चुत सेक्स कहानी:

मैं नहाकर ऊपर चला गया, देखा तो भाभी गांड उठाए सोयी पड़ी थीं.
मैं कमरे में चला गया.

Responsive Image Grid

चार बजे किसी ने दरवाजा खटखटाया. मैंने उठ कर देखा तो शीला भाभी आई हुई थीं.

मैंने दरवाजा खोल कर भाभी का हाथ पकड़ा और झट से अन्दर खींच लिया.

भाभी एक झटके से मेरी बांहों में समा गईं और मैंने उन्हें चूमना शुरू कर दिया.
हम दोनों फिर से एक दूसरे को पागलों की तरह ऐसे चूमने लगे मानो बरसों से एक दूसरे से मिलने को प्यासे हों.
जबकि कल रात ही हम दोनों सम्भोग के सागर में घंटों नहाए थे, तब भी मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि हम दोनों एक दूसरे के लिए इतने प्यासे क्यों हैं.

उतने में मौसी ने दरवाजा खटखटाया.
हम दोनों ही एकदम से डर गए.

मैंने भाभी को जल्दी से बाथरूम में छुप जाने को कहा और वो भी एक पल में उधर जाकर छिप गईं.

मौसी चाय के लिए मुझे बुलाने आई थीं.
मैंने उन्हें हां कहा, तो मौसी ने शीला भाभी को भी बुला लाने के लिए कहा और चली गईं.

मैं बाथरूम में गया, तो देखा कि भाभी बांहें पसारे मदहोशी के आलम में खड़ी थीं.

मैंने अगले ही पल भाभी का पजामा नीचे कर दिया. उन्होंने भी मेरे पैंट की चैन को खोल दिया. बस दोनों के लंड चुत एकदम से जुड़ गए और धकापेल चुदाई शुरू हो गई.

पांच मिनट में ही हम दोनों एक क्विकी चुदाई का मजा लिया और अपना काम निपटाकर कपड़े ठीक करके नीचे चाय पीने के लिए आ गए.

चाय पीते समय मौसी ने बताया- मैं 4-5 दिनों के लिए शहर से बाहर जा रही हूँ. तुम दोनों को ही घर की देखभाल करनी है.
ये सुनकर हमारी तो मानो लॉटरी निकल गई थी.

भाभी ने धीरे से सहमति में सर हिलाया और उसी शाम को मौसी चली गईं.

मौसी के जाने के बाद उन 5 दिनों में हमने ऐसी एक भी जगह नहीं छोड़ी थी, जहां हमने एक दूसरे के साथ सेक्स ना किया हो.
एक दूसरे में हम ऐसे खो गए थे मानो बस एक दूसरे के लिए ही बने हैं. हम दोनों के चुत और लंड एक होने के लिए ही बने हैं.

मैं उन पांच दिनों के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक की चुदाई की कहानी आपको लिख रहा हूँ.

मौसी के जाने के दूसरे दिन ही शीला भाभी ने जिद पकड़ ली कि उनको गैलरी में सेक्स करना है.

बस फिर क्या था … मैं रात को 3 बजे उठा और भाभी को ले जाकर गैलरी में खूब चोदा.

भाभी बहुत खुश थीं और मेरा लंड भाभी की नमकीन चुत चोद कर झूम उठा था.

उस रात हम दोनों ने बाथरूम में एक दूसरे को नहलाते हुए चुदाई करने का तय किया.

मैंने भाभी से पूछा- भाभी बियर पियोगी?
भाभी बोलीं- बियर नहीं … तुम वोदका ले आओ.

मैं कपड़े पहन कर बाजार गया और एक बोतल वोदका की ली और उसी के साथ एक गोलफ्लेक सिगरेट की डिब्बी भी ले ली.

घर आते वक्त भाभी ने चखना बना कर रखने के लिए कह दिया था, तब भी मैं दो अंडे की भुर्जी बनवा कर पैक करा लाया.

घर आने के बाद भाभी ने सब सामान टेबल पर सजा दिया और एक टू पीस बिकनी में हो गईं.

मैं भी अपने सारे कपड़े उतार कर एक फ्रेंची में हो गया.
भाभी मेरी गोद में आ गईं और मैं उन्हें चूमने चूसने लगा.

कुछ देर बाद भाभी दो गिलास में पैग बनाने के लिए हुईं, तो मैंने उनसे कहा- भाभी एक ही गिलास में बनाओ, हम दोनों उसी से लेंगे.

भाभी ने सिर्फ एक ही गिलास में पैग बनाया और मेरे होंठों से गिलास लगा दिया.

मैंने अपने मुँह में घूँट भरा और भाभी के होंठों से होंठ लगा कर उनके मुँह में अपना घूँट खाली कर दिया. कुछ भाभी ने पीया कुछ मैंने पीया.

इस तरह से हमने पहला गिलास खाली कर दिया. वो दूसरा गिलास बनाने के लिए झुकीं तो मैंने उनकी ब्रा खोल दी और उनके मम्मों को मसल कर मजा लेने लगा.

उधर भाभी प्लेट में भुर्जी रख रही थीं, तब तक मैंने एक सिगरेट सुलगा ली. भाभी गिलास मेरे होंठों से लगातीं और मैं सिगरेट उनके होंठों से लगा देता.
पूरी अय्याशी चलने लगी थी.

फिर भाभी ने मेरे लंड पर दारू टपका कर लंड चूसा मैंने उनकी चुत में शराब भर कर चूत से शराब का मजा लिया.

कुछ ही देर में दारू सर चढ़ गई थी और हम दोनों चुदासे हो गए थे. इसके बाद हम बाथरूम में जाकर नंगे नहाये और उधर से ही मैं नंगी भाभी को अपनी गोद में उठा लाया.

भाभी को बिस्तर पर गिरा कर मैं उनके ऊपर चढ़ गया. लंड चुत में घुसेड़ कर मैंने भाभी की चुदाई चालू कर दी.

उस रात भी मैंने भाभी को चार बार चोदा. इसी तरह से हम दोनों एकदम बिंदास चुदाई का मजा लेने लगे थे.

मौसी के जाने के बाद से इन पांच दिनों तक हम दोनों ने एक दूसरे की बांहों में कैसे गुजार दिए, कुछ पता ही नहीं चला.

और छटवें दिन मौसी आ गईं.

मौसी के आने के बाद मैं घर से फोन आने के कारण घर चला गया.

मगर हमारा ये लंड चुत का प्यार हमें शांत रहने ही नहीं दे रहा था. मेरी भाभी से लगातार वीडियो चैट पर नंगे होकर बात होती रही.

वो रोज मुझे जल्दी वापस आने की कहती थीं.

मैं एक हफ्ते बाद वापस आ गया. मगर भाभी के पास आते ही खबर मिली कि उनकी चुत ने पान चबा लिया था. मतलब भाभी के पीरियड शुरू हो गए थे.

मेरी बुद्धि खराब हो गई. उस वक्त मेरा हाल बहुत बुरा हो गया था. बेचारा मेरा लंड को अपनी चुत रानी के बिना ही शांत होने की कोशिश कर रहा था.

उसी दिन वो मेरे रूम में आईं और मुझे बेचैन देख कर बोलीं- लाओ, मैं शांत कर देती हूँ.

अगले ही पल भाभी मेरा लंड चूस कर ही मुझे मजा दे रही थीं.

फिर शीला भाभी बोलीं- जानू, ऐसे लग रहा है कब मेरे पीरियड खत्म हों और कब हम फिर से एक हो जाएं.

उतने में भाभी के मायके से फोन आ गया. भाभी की बहन की शादी निकल आई थी, सात दिनों के लिए भाभी को उसमें जाना था.
ये बात भाभी को तो मालूम थी, मगर उन्होंने मुझे नहीं बताया था.

उनके जाने की बात सुनकर मेरा मूड खराब हो गया. मैंने कहा- भाभी अब मैं तुम्हारे बगैर कैसे रहूंगा?
भाभी ने वादा करते हुए कहा कि जान एक हफ्ते की तो बात ही है, मैं रोज वीडियो कॉल करके तुम्हें मजा दूंगी और अपनी चुत दिखाऊंगी.

मरता क्या न करता … हां-ना करते करते मैंने हामी भर दी.

मेरे हां करने के बाद हमने एक दूसरे को होंठों को तकरीबन 45 मिनट तक चूमा. हमारे होंठ हमें एक दूसरे से अलग होने की इजाजत ही नहीं दे रहे थे.

अब मेरा लंड फिर से तन गया था. भाभी ने मेरी पैंट निकाल दी और मेरे खड़े लंड को पहले अपने मम्मों के बीच रख लिया.
वो मुझसे लंड ऊपर नीचे करने के लिए बोलने लगीं.
मैंने वैसे ही किया.

फिर भाभी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं. मैंने उनके मुँह में ही धक्के लगाते हुए मेरा सारा माल भाभी के मुँह में ही डाल दिया और वो बड़े चाव से सारा लंड रस पी गईं.

लंड का रस पी जाने के बाद भाभी मेरी आंखों में झाँकते हुए मेरा लंड बड़े प्यार से चूस रही थीं. इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

खैर … जैसे तैसे हम दोनों अलग हुए और अपने अपने काम में लग गए.

दूसरे दिन भाभी अपने मायके जाने के लिए निकलीं. मैं भाभी को स्टेशन तक छोड़ने गया.

अगले 7 दिनों की दूरी हम दोनों से बिल्कुल भी सही नहीं गई. ये हम दोनों की आंखों से छलक रहा था.
मुझसे अलग होते समय भाभी रो पड़ीं.

तब मैंने आजू बाजू वालों की फिक्र ना करते हुए भाभी को कसके पकड़ लिया और उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
भाभी ने उधर खुले में ही मेरे होंठों को चूमा.

क्या बताऊं यारों भाभी को जाता देख कर मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरी जान जा रही हो.

उन सात दिनों में भी हम दोनों ने फोन पर बहुत बातें की, वीडियो चैट की और वीडियो सेक्स भी किया. मगर सच कहूँ दोस्तो, जो मजा लवर के साथ असली सेक्स में आता है, वो सब फोन पर नहीं मिल सकता है.

बस हम दोनों के वो 7 दिन ऐसे ही तड़पते तड़पते बीत गए. मैं मेरी जानू का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.
शीला भाभी का हाल भी वही था, जो मेरा था.

बहन की शादी के बाद वो वापस आ गईं. मौसी से मिलीं और अपने कमरे में चली गईं.

मैंने मौसी से कहा- आज मुझे ऑफिस का काम है, तो मैं रात को ऊपर वाले कमरे में सो जाऊंगा.
मौसी ने हां भर दी और वो सोने के लिए चली गईं.

शाम से मैं रात का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. बस वो मिलन की घड़ी आ गयी, जब मेरी जानू बस मेरे लिए सज संवर कर तैयार हुई थी.
आज भाभी ने मेरे पसंदीदा कलर की नाइटी पहनी थी.

सात दिन की पूरी तड़प आज निकलने वाली थी. भाभी का बेडरूम का दरवाजा तो रोज की तरह खुला हुआ ही था.

मैंने अन्दर जाकर फट से उसे बंद कर दिया और भाभी को अपनी गोद में उठा कर सामने वाली दीवार से सटा दिया.
भाभी मेरे चेहरे को इधर-उधर चूम रही थीं.

उनकी नाइटी की डोरियों को मैंने ढील दे दी और उन्होंने खुद उसे तिलांजलि दे दी.

मैंने जल्दी करते हुए भाभी के बदन से उनकी नाइटी को निकाल कर फेंक दिया.
अब वो मेरे सामने ब्रा पैंटी में थीं.

हम दोनों के होंठ एक दूसरे से ऐसे मिल गए थे … मानो फेविकोल का मजबूत जोड़ हो, बस एकदम चिपक गए थे.

मैं तड़प उठा. मैंने तुरंत भाभी को ऊपर हवा में उठा लिया, तो भाभी थोड़ा डर गईं क्योंकि उस दीवार पर पकड़ने के लिए कुछ नहीं था.

मैंने उनके दोनों पैर मेरे कंधे पर ले लिए और मेरे होंठ अब भाभी की चुत के सामने थे. मैं भाभी की पैंटी बाजू की और बस चूमता रहा और चूसता रहा.

भाभी की कामुक सिसकारियों से रूम भी गूँज उठा- उम्म्म … आह … मत रुको जान, खूब चूसो … आह आई मिस्ड इट अ लॉट … उमम्म्म … आउच!

मैं एक हाथ से अपने लंड को ऊपर से शेक कर रहा था.

कुछ देर मैंने भाभी को नीचे उतारा. वो नीचे बैठ गईं और मेरी जिप खोल कर मेरे लंड को चूसने लगीं.
फिर अपने एक हाथ से खुद अपनी चुत में उंगली करने लगीं.

कितने दिनों के बाद उसके मुखरस के लिए, उसके प्यार के लिए मेरा लंड तरस रहा था.
जब वो लंड चूस रही थीं, तब मैं अपने होश खोए जा रहा था.

मैं आंख बंद करके भाभी की लंड चूसने वाली अदा को बस फील कर रहा था. वो सुख मैं शब्दों में बयान ही नहीं कर पा रहा हूँ.
बस हमारी वो रात ऐसे ही धक्कम पेली में गुजर गयी.

हम दोनों में एक बात कॉमन थी, वो ये कि एक दूसरे को नीचे किस करते वक्त हमें हमारे लंड चुत को सहलाना बहुत पसंद था.

चार महीने तक ऐसे ही चलता रहा, उसके बाद उसके पति को दूसरा मकान मिल गया और भाभी को जाना पड़ा.

जिस दिन भाभी जाने वाली थीं, उस दिन भैया घर पर नहीं थे. उस रात हम दोनों ने एक दूसरे को अलग अलग तरीके से खूब चोदा.
साथ में ब्लू फिल्म भी देखी और उसी तरीके से एक दूसरे को प्यार किया.

वो रात हम दोनों के लिए बहुत यादगार रही थी.

बस भाभी के जाने के बाद दो महीने बाद भाभी ने मुझे पापा बनने की खुशखबरी सुनाई.

मैं डर गया कि भाभी के जीवन में कुछ समस्या ना हो जाए.
मैंने उन्हें इस बात को कहा, मगर भाभी हमारे प्यार के निशानी को रखना चाहती थीं.
बाकी बात भाभी ने अपने पति के सामने किसी तरह से संभाल ली थी.

बाद में मेरी भी शादी ही गयी. हम दोनों भी अपने अपने पार्टनर के साथ खुश हैं … मगर हमारा प्यार एक दूसरे के लिए अभी भी वही है.

भाभी भी अब मुंबई में जॉब करने लगी हैं. हम आज भी अपने घर वालों से चोरी छुपे पुणे में मिलते हैं. जॉब के कारण हमें बाहर निकलने का जब भी मौका मिल जाता है, वो हम गंवाते नहीं हैं.

एक बार भाभी ने मुझसे एक सवाल पूछा था- तुम्हें मुझ पर कब कब बेइंतेहा प्यार आता है?
तो मैंने बड़ा ही सेक्सी सा जवाब दिया कि हम जब काफी दिन बाद मिलते हैं, तब वो सेक्सी समय कैसे बिताते हैं. बस उसी प्यार को मैं सबसे ज्यादा चाहता हूँ.

दोस्तो, मुझे पता है कि मेरी इस सेक्स कहानी को पढ़ते वक्त कई लोगों का पानी छूटा होगा. मैं खुद दो बार उन सुनहरी यादों को आंखों के सामने लाकर झड़ चुका हूँ.

अब विदा लेता हूँ दोस्तो, ये हिंदी चुत सेक्स कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताना. आपके मेल और कंमेंट का बेसब्री से इंतजार रहेगा.

आपका दोस्त हरीश चौधरी
[email protected]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button

Adblock Detected

please remove ad blocker