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भतीजी की कमसिन चूत चोद डाली

हैलो दोस्तों, मैं अरुण राज एक बार फिर से अपनी कहानी लेकर हाज़िर हूं। आप ने मेरी पिछली कहानी “भतीजी की कुंवारी चूत चोदी” पढ़ी और बहुत पसंद भी की। मुझे बहुत से मेल आए और फरीदाबाद की एक जवान चूत भी चोदने को मिली। वो कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगा।

अभी तक आप ने पढ़ा था, कि कैसे मैंने अपनी भतीजी आरती को दिल्ली में चोदा था और फिर घर जा कर भी उसकी चुदाई की थी। आपको पता ही है, जब मैं घर गया था तो दो दिन बाद रिश्तेदारी में एक शादी थी और सब को वहां जाना था। रात में मैं आरती को एक बार चोद चुका था, लेकिन हमें ज़्यादा मौका नहीं मिल सका।

अब हमने पक्का किया था, कि जब सब लोग शादी में चले जाएंगे, तब सारा दिन चुदाई करेंगे। एक बात और, शादी के दिन निशा का प्री बोर्ड पेपर भी था और इसी वजह से उसे शादी पर नहीं जाना था। फिर आरती अपनी तैयारी और खाने का बहाना बना कर शादी पर नहीं गई।

जब सब लोग शादी में और निशा स्कूल चली गई, तो मैंने आरती को बोला-

मैं: अब फटाफट अपनी चूत खोलो और मुझे अपनी चुदाई करने दो।

तब वो बोली: कुछ देर रुको, कहीं कोई वापिस ना आ जाए।

फिर 15 मिनट रुक कर मैंने फिर से कहा-

मैं: अब तो चोदने दो।

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तब वो बोली: मैं नहा कर आती हूं।

और ये बोल कर वो बाथरूम में चली गई। मैंने भी उसके पीछे जाकर उसे कस कर पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से उसके स्तन दबाने लगा। वो एक दम हुए हमले से घबरा गई और बोली-

आरती: थोड़ा तो रुक जाओ, आ तो रही हूं नहा कर।

मैंने कहा: जान अब सब्र नहीं हो रहा है।

और मैं ये बोल कर उसे किस करने लगा। अब वो भी मेरा साथ देने लगी और मैंने किस करते-करते ही उसकी टी-शर्ट और ब्रा उतार दी। फिर मैं उसके स्तन दबाने लगा और वो ज़ोर-ज़ोर से आह.. आह.. की आवाज़ें करने लगी। फिर मैंने उसे फर्श पर लिटा दिया और उसके स्तनों को मुंह में लेकर चूसने लगा।

उसे बहुत मज़ा आने लगा था। फिर थोड़ी देर स्तन चूसने के बाद, मैंने उसके नीचे किस करते हुए उसका पैजामा पैंटी सहित उतार दिया और उसकी रसीली चूत के दर्शन किए। फिर मैंने देर ना करते हुए अपने सारे कपड़े निकाल दिए और हम 69 पोजिशन में आ गए।

फिर मैं उसकी चूत की मलाई खाने लगा और वो मेरा लंड चूसने लगी। 10 मिनट की चुसाई के बाद उसका शरीर अकड़ गया और उसकी चूत ने नमकीन पानी छोड़ दिया, जिसे मैं पूरा का पूरा चाट गया ।अब मैंने उसकी टांगें खोल कर अपना लंड उसकी चूत पर टिका लिया और एक ज़ोरदार झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया।

लंड अंदर जाने से, वो एक दम से चिल्ला पड़ी। इधर उसकी चूत में लंड गया और उधर कोई बाथरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गया। वो निशा थी जो अंदर आई थी। उसके स्कूल में किसी का एक्सीडैंट होने की वजह से पेपर कैंसल हो गया था और इसलिए वो जल्दी ही घर वापस आ गई थी।

उसको देख कर हमारी तो गांड ही फट गई और वो हमें गुस्से से देखती हुई फौरन बाहर को भाग गई। फिर हम दोनों घबराहट की वजह से, ऐसे ही बिना कपड़ों के उसके पीछे भागे । वो कमरे में जा कर रोने ली और मैं उससे माफी मांगने लगा। मैंने उसको बोला-

मैं: मेरे से गलती हो गई। मुझे माफ कर दो और मम्मी पापा से कुछ ना बोलना।

फिर आरती भी उससे माफी मांगने लगी। तब वो बोली-

निशा: बेशर्म लोगों, पहले कपड़े पहन लो। और मम्मी पापा को तो मैं ज़रूर बताऊंगी, कि तुम लोग कितने गंदे हो।

मैं फिर फर्श पर बैठ कर उसकी जांघो पर हाथ रख कर उसको समझाने लगा, लेकिन वो किसी की बात मानने को राजी नहीं थी। कुछ देर यूं ही मैं उसे मनाता रहा। फर अचानक मुझे ऐसा लगा, जैसे वो मेरे हाथ की गर्मी से थोड़ी गर्म हो रही थो। तब मुझे ख्याल आया, कि अब मरना तो था ही, तो क्यों ना उसे चोदने की कोशिश की जाए और इससे मेरी भी जान भी बच जाए।

फिर मैंने अपने हाथ थोड़ा और ऊपर लगभग जोड़ के पास रख दिए और अपने अंगूठों से उसकी जांघ सहलाते हुए उसे मनाने लगा। लेकिन वो मान ही नहीं रही थी। फिर अचानक उसके मुंह से “शी” की आवाज़ निकली और मैंने फौरन उसकी चूत दोनों अंगूठों के बीच ले ली और हल्के से दबाने लगा। मैंने उससे कहा-

मैं: शिकायत प्लीज़ मत करना। हमें माफ कर दो।

और मैंने आरती को भी इशारा किया। फिर वो फौरन उसकी कुर्ती में हाथ डाल कर उसे मनाने लगी और धीरे-धीरे उसके स्तन सहलाने लगी और निशा बोलने लगी-

निशा: आह… आह…, अब मैं ज़रूर पापा को बताऊंगी, कि तुम लोग ने मेरे साथ भी गलत किया।

फिर आरती बोलने लगी: निशा प्लीज़ माफ कर दे।

ऐसा कहते हुए आरती ने निशा को बेड पे लिटा दिया। तब मेरा हाथ पूरी तरह से उसकी चूत पर छू गया और बहुत ज़ोर से उसकी सिसकारी निकली फिर मैंने तुरन्त उसकी कुर्ती थोड़ा ऊपर उठा कर उसका पेट सहलाना शुरू किया और आरती ने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया

जब उसकी आंखे बंद होने लगी, तो मैंने तुरन्त उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ अंदर डाल दिया। उसने पैंटी नही पहनी थी, तो मेरा हाथ सीधा उसकी चूत पर लगा और वो बिलबिला गई और बोली-

निशा: मेरे साथ ऐसा ना करो।

लेकिन मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत सहलाता रहा। इधर आरती ने भी देर ना करते हुए उसकी कुर्ती स्तनों से ऊपर तक उठा दी और ब्रा से स्तन बाहर निकाल कर दबाने लगी। फिर वो एक स्तन मुंह में लेकर चूसने लगी।इस दोहरे हमले से निशा एकदम से गर्म हो गई और जाने क्या-क्या बड़बड़ाने लगी थी।

फिर मैंने धीरे से उसकी सलवार नीचे कर दी और उसकी चूत देख कर हैरान रह गया। एकदम चिकनी और बिल्कुल छोटी और गुलाबी चूत थी उसकी। मुझसे रहा ना गया और मैंने एकदम से उसकी टांगे खोल कर, अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया और वो बोल रही थी-

निशा: आह… उफ्फ.. छोड़ दो मुझे प्लीज़ आह… हाए… ऐसा मत करो।

लेकिन मैं उसकी चूत चाटता रहा। 10 मिनट चूत चाटने के बाद मैंने उसको ठीक से लिटाया। तब मेरी नज़र उसकी छाती पर पड़ी। उफ्फ क्या गोल-मटोल 34 साइज़ के कड़क स्तन थे, जिस पर गुलाबी निप्पल शान से खड़े थे। उसके स्तन मुझे दीवाना कर रहे थे।

फिर मैं उसके ऊपर आकर उसे खूब किस करने लगा और होठों से होता हुआ उसके स्तनों पर आ गया। मैंने अपना पूरा मुंह खोला और उसके स्तनों को मुंह में भर कर चूसने लगा। नीचे से उत्तेजना में उसकी भी हालत खराब हो रही थी, क्योंकि नीचे मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ मार रहा था और ऊपर आरती उसके मुंह को किस कर रही थी।

फिर मैंने आरती को तेल लाने का इशारा किया और वो बादाम के तेल की शीशी ले आई। मैंने ढेर सारा तेल लेकर निशा की चूत पर मला। वो एकदम से चौंक पड़ी और कहने लगी-

निशा: ज़्यादा कुछ मत करो।

मैंने कहा: मैं जो भी कर रहा हूं, लेकिन तुमको मज़ा दे रहा हूं।

फिर मैंने अपने लंड पर तेल लगाया और उसकी टांगो को फैला कर एक ज़ोरदार झटका मारा और उधर आरती ने उसका मुंह बंद कर दिया। कुछ ज़्यादा तेल और तेल की बिलबिलाहट से एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया था।

उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी, इसलिए मैंने फौरन लंड बाहर खींच लिया और उसकी चूत से खून का फव्वारा छूट पड़ा। मैंने आरती को उसका मुंह छोड़ने को बोला। अब वो दर्द से बहुत रो रही थी। फिर मैंने डेटॉल की कॉटन से उसकी चूत को साफ किया और उसपे अपना मुंह रख दिया और धीरे-धीरे उसकी चूत चाटने लगा।

थोड़ी देर में उसे कुछ आराम आ गया और वो धीरे-धीरे फिर से गर्म होने लगी। कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने फिर उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और टांगे फैला कर धीरे से उसकी चूत मे लंड डाल दिया। उसकी फिर से दर्द से कराह निकल पड़ी, लेकिन उतनी नहीं जितनी बर्दाश्त ना कर सके।

फिर मैंने उसका एक स्तन मुंह में लेकर धीरे-धीरे चुदाई शुरू की। पहले उसे कुछ दर्द हुआ, लेकिन बाद में धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा और वो कमर उठा-उठा कर चुदवाने लगी।

निशा: आए.. आह.. उफ्फ.. शी.. चाचू चोदो जरा अहा.. ज़ोर से चोदो अपनी रंडी भतीजी को। आज उफ्फ.. अपनी बेटी की चूत हाए.. फाड़ ही डालो।

और वो ऐसे ही नाजाने वो क्या बकवास करती रही। 35 मिनट की चुदाई में वो एक बार झड़ चुकी थी। अब मेरा भी आने वाला था। तब मैंने उसकी बगलों में से हाथ निकाल कर उसे पूरी तरह बाहों में भर लिया और उसको तेज़-तेज़ चोदने लगा और उसकी चूत को अपने माल से भर दिया। इसी बीच वो भी दोबारा से झड़ गई और मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।

अब मैं अगली कहानी में बताऊंगा, कि मैंने एक साथ आरती और निशा दोनों की गांड और चूत की चुदाई कैसे की।

प्लीज़ मेल करते रहे और हौसला बढ़ाते रहे। अगर दिल्ली एन.सी.आर. की कोई लड़की या औरत मस्त चुदाई चाहती है, तो मुझे समपर्क कर सकती है।

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